Bank Workload Crisis : बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य प्रबंधक ने की आत्महत्या…! पत्नी-बेटी से मांगी माफी…कहा- मेरी आंखें दान कर देना…यहां देखें Suicide नोट
पुणे, 19 जुलाई। Bank Workload Crisis : महाराष्ट्र के बारामती में बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ मैनेजर ने बैंक में ही अपनी जान दे दी है। मृतक का नाम शिवशंकर मित्रा है। घटना से पहले उन्होंने बैंक में ही बैठकर एक चिट्ठी लिखी थी। इसके जरिए उन्होंने बताया कि वो काम के दबाव से तंग आकर ये फैसला ले रहे हैं। घटना की जानकारी मिलते ही बारामती पुलिस मौके पर पहुंची थी। उन्होंने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। मामला 17 जुलाई की रात का है। इलाके में इस तरह की पहली घटना हुई है। इसके कारण लोगों में इसकी चर्चा है। 52 साल के मैनेजर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के रहने वाले थे। 90 दिनों का नोटिस पीरियड मिली जानकारी के अनुसार, उन्होंने 11 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। बारामती सिटी पुलिस स्टेशन के पुलिस इंस्पेक्टर विलास नाले ने बताया कि मैनेजर ने स्वास्थ्य और काम के दबाव को इस्तीफे का कारण बताया था, लेकिन बैंक ने 90 दिनों के नोटिस पीरियड का हवाला देते हुए उन्हें तत्काल ही काम से मुक्त नहीं किया। पुलिस का कहना है, मैनेजर ने किसी भी बैंक अधिकारी को दोषी नहीं ठहराया है। उन्होंने काम के दबाव की बात की है। उन्होंने आगे कहा कि इस मामले को लेकर अन्य संभावित कारणों की भी जांच की जाएगी। मैनेजर ने लेटर में ये आग्रह किया कि बैंक अपने कर्मचारियों पर भारी दबाव न डाले। उन्होंने कहा कि हर कोई अपनी जिम्मेदारियों के प्रति पूरी तरह जागरूक है और अपना 100 प्रतिशत योगदान देता है। उन्होंने अपनी पत्नी प्रिया से अपने इस फैसले के लिए माफी मांगी। शिवशंकर मित्रा ने इच्छा जताई कि अगर संभव हो तो उनकी आंखें दान कर दी जाएं। बारामती पुलिस आगे की जांच कर रही है। इस बात का पता लगाया जा रहा है कि मृतक पर काम का अतिरिक्त दबाव डाला गया था या नहीं। सुसाइड नोट में क्या कहा? शिवशंकर मित्रा ने अपने सुसाइड नोट में लिखा, “मैं शिवशंकर मित्रा, बैंक ऑफ बड़ौदा, बारामती शाखा का मुख्य प्रबंधक, आज बैंक के अत्यधिक काम के दबाव के चलते आत्महत्या कर रहा हूं। मेरी बैंक से विनती है कि कर्मचारियों पर अनावश्यक दबाव न डाला जाए। सभी कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी समझते हैं और पूरी मेहनत से काम करते हैं। वह अपना 100 फीसदी देते हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे अपनी इच्छा से आत्महत्या कर (Bank Workload Crisis) रहे हैं। इसमें उनके परिवार का कोई दोष नहीं है। वह सिर्फ बैंक के अत्यधिक दबाव के चलते यह कदम उठा रहें है। उन्होंने आगे लिखा, “मेरी पत्नी प्रिया और बेटी माही मुझे माफ करना। हो सके तो मेरी आंखें दान कर देना”