नई दिल्ली, 19 मई। Party Delegation : केंद्र सरकार और कांग्रेस के बीच एक बार फिर तीखी बयानबाज़ी शुरू हो गई है। इस बार मामला सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को लेकर उठे विवाद का है, जिसमें कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि सरकार ने उनसे चार सांसदों के नाम मांगे, लेकिन बाद में तीन नाम खारिज कर दिए।
कांग्रेस का दावा है कि ये प्रतिनिधिमंडल पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर जैसे गंभीर मुद्दों पर विदेश यात्रा के लिए बनाया जा रहा था, और इसपर चर्चा के लिए उन्हें उम्मीदवारों के नाम भेजने को कहा गया था।
हालांकि, अब इस मुद्दे पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने पहली बार इस मामले में सफाई दी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसी पार्टी से आधिकारिक तौर पर नाम नहीं मांगे, बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को केवल सूचनात्मक तौर पर प्रतिनिधिमंडल के बारे में अवगत कराया गया था।
रिजिजू ने कहा– “यह पूरी प्रक्रिया केवल शिष्टाचार के तौर पर थी। हम कांग्रेस की आंतरिक प्रक्रियाओं में दखल नहीं देते। हमने न तो नाम मांगे और न ही किसी को रिजेक्ट किया।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी पार्टी से नाम पूछने की परंपरा पहले कभी नहीं रही, और इस बार भी ऐसा नहीं किया गया।
क्या है मामला
कांग्रेस का आरोप (Party Delegation) है कि सरकार ने चार सांसदों के नाम मांगे थे, लेकिन उनमें से तीन को नकार दिया गया, जो कि पार्टी के अपमान के समान है। इस पर अब सत्तापक्ष ने पलटवार करते हुए कहा कि यह सिर्फ राजनीतिक भ्रम फैलाने की कोशिश है।
राजनीतिक माहौल गरमाया
इस मुद्दे को लेकर संसद से लेकर मीडिया तक हलचल तेज हो गई है। जहां कांग्रेस इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान बता रही है, वहीं केंद्र इसे अनावश्यक विवाद करार दे रहा है। बता दें कि, यह विवाद ऐसे समय पर उभरा है जब संसद सत्र और आगामी चुनावी माहौल में सरकार और विपक्ष के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है।