इंदौर, 21 अप्रैल। इंदौर की ये कहानी आपको रुला देगी। ये कहानी 6 साल के अनाथ मासूम की है। ट्रेन की चपेट में आकर इसका एक हाथ और पैर कट चुका है। दूसरा पैर भी घायल है। इसकी देखभाल अब एक पुलिस कर्मी कर रहा है।
विराट कोहली का ये नन्हा फैन अस्पताल के वार्ड में चौके छक्के लगा रहा है। क्रिकेट की दीवानगी ऐसी कि बैट हाथ में लेते ही सारा दर्द भूल जाता (Emotional Story) है
अस्पताल के बैड पर क्रिकेट ये सुनकर आपको कुछ अजीब सा लगेगा। लेकिन इंदौर के एमवाय अस्पताल के पीडियाट्रिक वार्ड में भर्ती छह साल का मासूम आपको क्रिकेट खेलता नजर आएगा। उसने अपने वार्ड को क्रिकेट का मैदान बना लिया है और पलंग को पिच। वहां से वो चौके छक्कों की बरसात करता है। उसी के वार्ड में भर्ती दूसरे बच्चे फील्डिंग करते हैं और पुलिस वाले बॉल फेंकते (Emotional Story) हैं।
3 मार्च को रतलाम के पास ये बच्चा रेलवे ट्रैक पर खून में लथपथ मिला था। एक पैर और एक हाथ कट कर धड़ से अलग हो गए थे। दूसरा हाथ और दूसरा पैर भी बुरी तरह कुचले हुए हैं। दो सर्जरी के बाद मासूम की जान बच गई, जीवनभर के लिए दिव्यांग हो (Emotional Story) गया।
ये बच्चा किसका है,कहां से आया है ये किसी को नहीं पता है। उसकी टूटी-फूटी बातों से पता चला है कि वो आदिवासी समाज है। अब अस्पताल का स्टाफ, जीआरपी के पुलिसकर्मी और भर्ती मरीजों के अटैंडर ही उसे संभाल रहे हैं। ड्रेसिंग के दौरान वो दर्द की वजह से मां को बई-बई कहकर याद करता है
एमवाय अस्पताल के अधीक्षक डॉ।पीएस ठाकुर बताते हैं कि 3-4 मार्च की दरमियानी रात एमवाय हॉस्पिटल की इमरजेंसी में ये खबर दी गई कि रतलाम से गंभीर हालत में एक बच्चे को लाया गया है। इसके हाथ-पैर ट्रेन से कट गए हैं। हमारी टीम तुरंत पहुंची और देखा तो पहले ही पल में आंखें डबडबा उठीं।
डॉक्टर बताते हैं -बच्चे का एक हाथ पूरी तरह कंधे से अलग हो गया था। एक पैर भी घुटने के नीचे से लटक रहा था। जैसे ही उसके घाव को खोला तो खून की धार निकल पड़ी। चारों लिंब से एक साथ खून बहना,आप समझ ही पा रहे होंगे,कैसा मंजर होगा। हमने तुरंत साथ आए पुलिसकर्मी से कहा कि इसकी तत्काल सर्जरी कराना होगी। अटेंडर को बुलाइए तब पुलिस कर्मी ने बताया कि इसका कोई नहीं है।
डॉ।पीएस ठाकुर बताते हैं अस्पताल स्टाफ ने तत्काल ग्रुप डिस्कशन से तय कर लिया कि सीएमएचओ कार्यालय से नोटिफाइड कराते हैं और आनन-फानन में पूरी फाइल तैयार कर अनुमति ली गई। पुलिस से भी सहमति ली और ऑपरेशन थिएटर में सर्जरी शुरू कर दी गई।
जब ऑपरेशन शुरू कर रहे थे तब पता चला कि ज्यादा खून बह जाने से उसका हीमोग्लोबिन सिर्फ 6 रह गया है। ये सामान्य से आधे से भी कम था। वैसे भी बच्चा थोड़ा कमजोर है और हादसे से पहले भी उसका हीमोग्लोबिन 9-10 से ज्यादा नहीं रहा होगा।
डॉक्टर बताते हैं कि हमने दो बोतल खून चढ़ाया और सर्जरी कर दी। उसके खून बहने वाले हिस्सों को पूरी तरह बंद किया और ऐसी नसों को शरीर से अलग किया, जिससे इंफेक्शन फैलने का खतरा लग रहा था। हमें डर था कि कोई नस दबी रह गई तो शरीर काला पड़ जाएगा। हमने तुरंत फिटनेस जांच भी करवाई और जैसे तैसे उसकी जान बचा पाए।
अब इस बच्चे को कृत्रिम अंग लगाकर चलने फिरने लायक बनाया जा रहा है। अस्पताल का पूरा स्टॉफ उसकी देखभाल कर रहा हैं। उसका मन बहलाने के लिए क्रिकेट खिलाया जा रहा है।
मासूम की रतलाम से देखभाल करने आए जीआरपी कॉन्स्टेबल चेतन नरवले बताते हैं कि मासूम आकाश क्रिकेटर विराट कोहली का जबरदस्त फैन है। उस पर विराट जैसा बनने का जुनून सवार है। उसके पास बैठने के दौरान वो मोबाइल पर अकसर क्रिकेट मैच देखता है। खिलाड़ियों के चौके-छक्के मारने या कैच लेने पर वो खुशी से उछल जाता है और एक हाथ को पेट पर लाकर तालियां बजाने की कोशिश करता है।
उसकी क्रिकेट में रूचि देखते हुए चेतन ने प्लास्टिक के बैट और आधा दर्जन बॉल्स लाकर दिए। इन्हें देख वो बहुत खुश हुआ। वो क्रिकेट खेलना चाहता है लेकिन लाचार है। चेतन ने अस्पताल के स्टाफ से बात की तो उन्होंने कहा इस मासूम को जो अच्छा लगे उसे वैसा वातावरण देना चाहिए।
चेतन बताते हैं मैंने प्लास्टिक की बॉल आकाश की ओर उछाली तो उसने एक हाथ से शॉट मारने की कोशिश की। लेकिन मिस हो गया। शुरू में ऐसा चार-पांच बार हुआ। फिर उसके बैट पर बॉल फेंकी गई तो वो शॉट मारकर खुश हो गया। इसके बाद उसने शॉट मारना शुरू कर दिए और उसकी खुशी बढ़ती गई,वो जोर जोर से खिलखिलाकर हंसने लगा। अब तो उसे बैट-बॉल से इतना लगाव हो गया है कि सोने के दौरान वो बैट बॉल अपने पलंग पर रखकर सोता है।
पुलिस और प्रशासन उसके परिवार का पता लगा रही है। ये पहला मौका है जब पुलिसकर्मियों की किसी एडमिट मासूम बच्चे के लिए इस तरह की ड्यूटी लगी हो। चेतन और उसके साथियों की ड्यूटी में बच्चे का ध्यान रखना, भोजन करवाना, व्हील चेयर पर घुमाना और खासकर उसका दिल बहलाना शामिल है। पुलिसकर्मी उसे खाने के लिए बिस्किट,चाकलेट,फल और नई ड्रेस लाते हैं।
मासूम आकाश दिन में कई बार मां को याद करता है। इस आदिवासी मासूम के जख्मों की ड्रेसिंग होती है तो वो मां को बई-बई नाम से यादकर काफी रोता है। ये दृश्य देखकर वहां मौजूद लोगों की आंखें डबडबा जाती हैं।