नई दिल्ली, 26 जून। Leaders Of Opposition : संसद में विपक्ष के नेता अधिनियम कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष होंगे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर मंगलवार को इंडिया ब्लॉक की बैठक में ये फैसला लिया गया। इस फैसले को लेकर प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को पत्र लिख कर जानकारी दे दी गई है। गांधी परिवार को तीसरी बार ये पद मिला है। गांधी परिवार से सोनिया गांधी विपक्ष भी नेता रह चुकी हैं। उन्होंने 13 अक्टूबर 1999 से 06 फरवरी 2004 तक नेता प्रतिपक्ष को जिम्मेदारी निभाई है। इसके अलावा राजीव गांधी 18 दिसंबर 1989 से 24 दिसंबर 1990 तक नेता विपक्ष रह चुके हैं।
इसलिए नहीं मिला नेता विपक्ष का पद
मालूम हो कि दस साल बाद कांग्रेस को नेता विपक्ष का पद मिल पाया है, क्योंकि 2014 और 2019 में कांग्रेस के पास इतने सांसद नहीं थे कि वो नेता विपक्ष का पद पाते। क्योंकि नियम है कि कम से कम कुल संख्या का 10 फीसदी सांसद आपकी पार्टी के पास होने चाहिए। इस बार 99 सांसद वाली कांग्रेस इस पैमाने पर पहुंची। इसी वजह से दस साल बाद नेता विपक्ष का पद कांग्रेस ले सकती थी। जहां राहुल गांधी का नाम नेता विपक्ष की तरफ से तय किया गया है।
राहुल गांधी के पास ये शक्तियां
अब राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बन रहे हैं तो वह उस कमिटी का हिस्सा बन जाएंगे, जो सीबीआई के डायरेक्टर, सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर, मुख्य सूचना आयुक्त, ‘लोकपाल’ या लोकायुक्त, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के चेयरपर्सन और सदस्य और भारतीय निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ती करती है। इन सारी नियुक्तियों में राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उसी टेबल पर बैठेंगे, जहां प्रधानमंत्री मोदी बैठेंगे और पहली बार ऐसा होगा, जब इन फैसलों में प्रधानमंत्री मोदी को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी से भी उनकी सहमति लेनी होगी।
आर्थिक फैसलों की समीक्षा कर पाएंगे राहुल गांधी
राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष होने के बाद वह सरकार के आर्थिक फैसलों की लगातार समीक्षा कर पाएंगे और सरकार के फैसलों पर अपनी टिप्पणी भी कर सकेंगे। राहुल गांधी उस ‘लोक लेखा’ समिति के भी प्रमुख बन जाएंगे, जो सरकार के सारे खर्चों की जांच करती है। और उनकी समीक्षा करने के बाद टिप्पणी भी करती है।
नेता प्रतिपक्ष को मिलेंगी ये सारी सुविधाएं
नेता प्रतिपक्ष होने के बादसंसद में विपक्ष के नेता अधिनियम 1977 के अनुसार नेता प्रतिपक्ष के अधिकार और सुविधाएं ठीक वैसे ही होते हैं, जो एक कैबिनेट मंत्री के होते हैं। अब राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष होने के नाते उन्हें कैबिनेट मंत्री की तरह सरकारी सचिवालय में एक दफ्तर मिलेगा। कैबिनेट मंत्री की रैंक के अनुसार उच्च स्तर की सुरक्षा मिलेगी। और उन्हें मासिक वेतन और दूसरे भत्तों के लिए 3 लाख 30 हज़ार रुपये मिलेंगे, जो एक सांसद के वेतन से कहीं ज्यादा होंगे। एक सांसद को वेतन और दूसरे भत्ते मिलाकर हर महीने लगभग सवा दो लाख रुपये मिलते हैं।
सरकार के कामकाज की समीक्षा कर सकेंगे
राहुल गांधी को एक ऐसा सरकारी बंगला मिलेगा, जो कैबिनेट मंत्रियों को मिलता है और उन्हें मुफ्त हवाई यात्रा, रेल यात्रा, सरकारी गाड़ी और दूसरी सुविधाएं भी मिलेंगी और सबसे बड़ी बात ये है कि संसद की मुख्य समितियों में राहुल गांधी बतौर नेता प्रतिपक्ष के रूप में शामिल होंगे और उनके पास ये अधिकार होगा कि वो सरकार के कामकाज की लगातार समीक्षा करते रहेंगे।