रायपुर, 29 जून। Fault in Transfer Order : छत्तीसगढ़ के वाणिज्य कर विभाग से एक बेहद चौंकाने वाली प्रशासनिक लापरवाही सामने आई है, जिसने सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 27 जून को जारी किए गए तबादला आदेश में न केवल एक मृत कर्मचारी का नाम शामिल कर दिया गया, बल्कि एक ऐसी महिला अधिकारी को भी ट्रांसफर कर दिया गया जो पहले ही दूसरे विभाग में स्थानांतरित हो चुकी हैं।
मृत कर्मचारी को दिया गया नया पदस्थापन आदेश
प्राप्त जानकारी के अनुसार, स्थानांतरण सूची में शामिल एक कर्मचारी की छह महीने पहले ही मृत्यु हो चुकी थी। इसके बावजूद उनका नाम ट्रांसफर आदेश में न सिर्फ शामिल किया गया, बल्कि उन्हें नए पद पर पदस्थ करने का आदेश भी जारी कर दिया गया। यह घटना विभागीय स्तर पर डेटा अपडेट की गंभीर खामी और फाइल प्रोसेसिंग में लापरवाही को उजागर करती है।
दूसरे विभाग में कार्यरत अधिकारी को भी किया गया ट्रांसफर
इतना ही नहीं, सूची में एक महिला अधिकारी का नाम भी शामिल था, जिनका स्थानांतरण पहले ही महिला एवं बाल विकास विभाग में किया जा चुका है और वह वहाँ कार्यरत हैं। इसके बावजूद वाणिज्य कर विभाग ने उन्हें फिर से अपने विभाग में पदस्थ करने का आदेश जारी कर दिया, जिससे साफ जाहिर होता है कि तबादला आदेश तैयार करते समय कर्मचारियों की वर्तमान स्थिति की कोई जांच नहीं की गई।
प्रशासनिक दक्षता पर सवाल
यह मामला सामने आने के बाद विभागीय कामकाज की प्रामाणिकता और दक्षता पर सवाल उठने लगे हैं। विपक्षी दलों ने इसे “सरकारी लापरवाही की पराकाष्ठा” बताया है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “जब मृत कर्मचारी को भी ट्रांसफर किया जा सकता है, तो सोचिए जीवित कर्मचारियों की फाइलें कैसे चल रही होंगी?”
जांच के आदेश की उम्मीद, लेकिन जवाबदेही कौन तय करेगा?
अब तक इस मामले में विभाग की ओर से कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं आया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार इस लापरवाही की जांच की तैयारी की जा रही है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इस तरह की चूक की जवाबदेही किस पर तय होगी? क्या यह सिर्फ “क्लेरिकल एरर” कहकर टाल दिया जाएगा, या दोषियों पर वास्तविक कार्रवाई होगी?
तकनीक के युग में प्रशासनिक लचरता
इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि डिजिटलाइजेशन (Fault in Transfer Order) और ई-गवर्नेंस के दावों के बावजूद, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में प्रशासनिक कामकाज अब भी फाइलों, अंदाजों और कागजों के भरोसे चल रहा है। जब तक सरकारी मशीनरी में डेटा प्रबंधन, समन्वय और जवाबदेही नहीं लाई जाएगी, तब तक ऐसी घटनाएं ‘सिस्टम की भूल’ नहीं बल्कि ‘सिस्टम की विफलता’ कहलाएंगी।
