रायपुर, 22 मई। Protest Five Day Weekend : छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने राज्य सरकार द्वारा सप्ताह में पांच कार्य दिवसों की कार्य संस्कृति को समाप्त कर छह दिवसीय कार्य प्रणाली लागू करने की संभावनाओं का तीव्र विरोध किया है।
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फेडरेशन का विरोध
फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा सप्ताह में पांच कार्य दिवसों की व्यवस्था कर्मचारियों और आम जनता दोनों के हित में लागू की गई थी। इससे अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने घरेलू कार्यों और पारिवारिक दायित्वों को निभाने का अवसर मिला। उन्होंने यह भी कहा कि यह कहना अनुचित है कि पांच दिवसीय कार्य प्रणाली से कार्य प्रभावित हो रहा है, क्योंकि कर्मचारी देर रात तक कार्य करते हैं और विधानसभाओं के सत्रों और वर्षांत में अवकाश के दिनों में भी आठ-आठ घंटे से अधिक कार्य करते हैं।
रिक्त पदों की स्थिति
वर्तमान में राज्य के विभिन्न कैडरों में केवल 60% पद ही भरे हुए हैं, और यही 60% कार्मिक समस्त शासकीय योजनाओं का 100% कार्यभार वहन कर रहे हैं। नवा रायपुर सहित अन्य कार्यालयों में कार्यरत शासकीय सेवक प्रातः 10:00 बजे कार्यालय पहुंचते हैं, और उन्हें नियमानुसार सायं 5:30 बजे तक कार्यालय छोड़ देना चाहिए, किंतु इसके उपरांत भी मंत्रालय, संचालनालय एवं अन्य कार्यालयों में देर रात तक कार्य करते हुए अधिकारी-कर्मचारियों को देखा जा सकता है।
फेडरेशन की मांग
फेडरेशन ने सरकार से यह मांग की है कि शासकीय सेवकों पर बंधुआ मजदूरों की भांति अतिरिक्त कार्यभार डालने की बजाय नियमित भर्ती कर रिक्त पदों की पूर्ति की जाए, जिससे कार्यों का निष्पादन अधिक प्रभावी रूप से हो सके।
फेडरेशन ने यह भी कहा कि वर्तमान में भारत सरकार एवं अधिकांश राज्यों में पांच दिवसीय कार्य सप्ताह लागू है, ऐसे में छत्तीसगढ़ राज्य में इस व्यवस्था को केवल ‘प्रोपेगंडा’ के आधार पर समाप्त करना एक अत्यंत संवेदनहीन एवं कर्मचारी विरोधी कदम होगा।
फेडरेशन (Protest Five Day Weekend) का यह स्पष्ट कहना है कि कर्मचारियों की कार्य संस्कृति में बदलाव से पहले उनके हितों और कार्य की गुणवत्ता पर विचार किया जाना चाहिए। फेडरेशन ने सरकार से अपील की है कि कर्मचारियों की कार्य संस्कृति में बदलाव से पहले उनके हितों और कार्य की गुणवत्ता पर विचार किया जाए।