गाजियाबाद, 12 जुलाई। Accident on National Highway : उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में नेशनल हाईवे पर बस और कार के बीच हुई टक्कर में मेरठ के एक परिवार के छह लोगों की मौत हो गई। एक साथ परिवार के छह लोगों की मौत होने से गांव में मातम पसर गया है। उधर, मुख्यमंत्री योगी ने दुख जताया है।
परिवार की सारी खुशियां छीन लीं
हादसे ने जयपाल सिंह यादव के परिवार की सारी खुशियां छीन लीं। मझले बेटे का पूरा परिवार खत्म हो गया जबकि छोटे बेटे की पत्नी और बेटी की मौत हो गई। हादसे के बाद पूरा परिवार गमजदा है जिसे भी हादसे की जानकारी मिली वह उनके घर की तरफ दौड़ पड़ा। रात करीब साढ़े नौ बजे जैसे ही छह शव गांव पहुंचे चारों ओर कोहराम मच गया।
बता दें कि मेरठ के इंचौली क्षेत्र के धनपुर गांव के रहने वाले नरेंद्र यादव और उनके भाई धर्मेंद्र यादव परिवार के सदस्यों के साथ मंगलवार सुबह खाटू श्याम के दर्शन के लिए जा रहे थे। एक्सप्रेस-वे पर रॉन्ग साइड से हाई स्कूल बस ने उनकी गाड़ी में टक्कर मार दी, जिसमें परिवार के छह लोगों की मौत हो गई। बताया गया कि घर पर सबसे बड़े बेटे जितेंद्र की पत्नी और पिता जयपाल मौजूद हैं, उन्हें अभी घटना की जानकारी नहीं हैं।
इंचौली थाना क्षेत्र के गांव धनपुर निवासी 85 वर्षीय जयपाल यादव के एक बेटी और तीन बेटे थे। सबसे बड़ी बेटी माया, बेटा जितेंद्र यादव, नरेंद्र यादव और धर्मेंद्र यादव हैं। चारों की शादी हो चुकी है। पुश्तैनी मकान के एक हिस्से में जितेंद्र अपने परिवार के साथ रहते हैं, जबकि एक हिस्से में नरेंद्र-धर्मेंद्र एक साथ रहते हैं।
गाजियाबाद में हुआ हादसा
गाजियाबाद में ट्रैफिक एडिशनल सीपी आरके कुशवाहा के मुताबिक, मंगलवार सुबह करीब छह बजे दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे पर एक स्कूल बस और कार के बीच एक्सीडेंट हुआ। बस गलत लेन में आ रही थी। गलती बस चालक की है। बस ड्राइवर को पकड़ लिया गया है।
बता दें कि मेरठ के इंचौली क्षेत्र के धनपुर गांव के रहने वाले नरेंद्र यादव और उनके भाई धर्मेंद्र यादव परिवार के सदस्यों के साथ मंगलवार सुबह खाटू श्याम के दर्शन के लिए जा रहे थे। एक्सप्रेस-वे पर रॉन्ग साइड से हाई स्कूल बस ने उनकी गाड़ी में टक्कर मार दी, जिसमें परिवार के छह लोगों की मौत हो गई। बताया गया कि घर पर सबसे बड़े बेटे जितेंद्र की पत्नी और पिता जयपाल मौजूद हैं, उन्हें अभी घटना की जानकारी नहीं हैं। आदित्यनाथ ने भी हादसे पर दुख जताया है। पूरा परिवार खाटू श्याम के दर्शन के लिए निकला था। घर पर कोई नहीं है।
जितेंद्र के बेटे ने दी मुखाग्नि
दो चिता बनाई, जितेंद्र के बेटे ने दी मुखाग्नि देर रात शव घर पहुंचे। कुछ देर रोकने के बाद ही शवों को गांव के श्मशान में ले जाया गया। यहां दो चिता बनाई गईं। एक चिता पर नरेंद्र, उनकी पत्नी अनीता और बेटे दीपांशु के शव रखे गए। जबकि दूसरी चिता पर धर्मेंद्र की पत्नी बबीता, बेटी वंशिका व नरेंद्र के बेटे हिमाशु का शव रखा गया। दोनों चिता को जितेंद्र के बड़े बेटे प्रियांशु ने मुखाग्नि दी।
गांव में नहीं जले चूल्हे
गांव धनुपर तीन हजार की मिश्रित आबादी वाला गांव हैं। जिसमें यादव, अनुसूचित जाति, मुस्लिम के साथ अन्य समाज के लोग रहते हैं। मंगलवार की सुबह गांव के घरों में रोज की तरह महिलाएं घर में चाय व नाश्ते की तैयारी में लगी थीं, हादसे की जानकारी मिलते ही सभी के चूल्हे बंद हो गए। ग्रामीण पूरे दिन पीड़ित जयपाल के घर मौजूद रहे। यहीं नहीं, घर पर केवल बुजुर्ग जयपाल मौजूद थे। ग्रामीणों ने अर्थी का सामान एवं चिता के लिए ईधन का इंतजाम किया।
दीपांशु ने जाने से किया था इन्कार
ग्रामीणों ने बताया कि नरेंद्र परिवार के साथ अक्सर खाटू श्याम जाया करते थे। कुछ दिन पहले ही बागड़ गए थे। नरेंद्र ने जाने का कार्यक्रम बनाया तो बड़े बेटे दीपांशु ने मना कर दिया था। वह बाबा के पास ही घर पर रहने की जिद कर रहा था। बाद में उसे जाने के लिए तैयार कर लिया गया। ग्रामीण चर्चा कर रहे थे कि होनी को कौन टाल सकता है।
बड़े भाई की पत्नी ऊषा कई बार हुई बेहोश
भले ही एक भाई अलग और दो भाई एक साथ रहते थे लेकिन तीनों के परिवार में प्यार बहुत था। जितेंद्र तो सूचना मिलते हुए गाजियाबाद रवाना हो गए, उनकी पत्नी ऊषा घर पर थीं। वह बदहवास थीं और कई बार वह बेहोश हुई। रिश्तेदार व गांव की महिलाएं उन्हें संभाल रही थीं।
नरेंद्र का काम के प्रति था समर्पण
नरेंद्र का हालांकि मूल काम खेती था, लेकिन इसके साथ इलेक्ट्रिक व हार्डवेयर की दुकान भी करते थे। वह हरियाणा से तीन साल पहले एक गाड़ी खरीदकर लाए थे। जिसे वह बुकिंग पर भी चलाते थे। मुख्यमंत्री ने जताई शोक-संवेदना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना जताई। मेरठ व गाजियाबाद के पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों को घायलों को इलाज की व्यवस्था करने और मृतक के घर पहुंचकर स्वजन से दुख दर्द साझा करने के दिशा-निर्देश भी दिए। उधर, मुख्यमंत्री राहत कोष के साथ दुर्घटना बीमा आदि मद से आर्थिक मदद करने के आदेश भी दिए। एसडीएम मवाना अखिलेश यादव व थाना पुलिस गांव पहुंची और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।
उम्र के इस पड़ाव पर पहाड़ जैसा दुख
नरेंद्र अपने पिता जयपाल को रात में दर्शन कर लौटने की बात कहकर गए थे। पिता उम्र के उस पढ़ाव में हैं, जहां आंखों से कम दिखाई देता और सुनाई भी कम देता है। करीब तीन वर्ष पूर्व उनकी पत्नी सावित्री भी चल बसी थीं। सुबह बुजुर्ग को किसी ने भी हादसे की जानकारी नहीं दी। लेकिन जैसे-जैसे घर पर ग्रामीण व रिश्तेदार एकत्र होते गए तो उन्होंने इसका कारण पूछा। तब उन्हें सब बताया गया। इसके बाद वह भावशून्य हो एक टक दरवाजे की ओर देख रहे थे। शाम को जब शव घर पहुंचे तो बुजुर्ग जयपाल की हिड़की बंध गई। ग्रामीणों ने बताया कि कई पीढ़ी पहले मुरादनगर के सुराना गांव से यह परिवार यहां आकर बस गया था।