रायपुर, 20 अगस्त। Alcohol Scandal : छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच कर रहे राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए इस मामले में छठवां अभियोग पत्र रायपुर की विशेष अदालत में दाखिल किया है। इस बार की जांच का मुख्य फोकस रहा विदेशी शराब पर कमीशनखोरी और उससे जुड़े सिंडीकेट की भूमिका।
EOW ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि वर्ष 2020-21 के दौरान आबकारी विभाग में एक संगठित सिंडीकेट सक्रिय था, जिसने नीति में बदलाव कर सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाया।
नीति में कैसे रचा गया घोटाला?
जांच में सामने आया कि अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी, निरंजन दास, अनवर बेबर, विकास अग्रवाल और अरविंद सिंह जैसे प्रभावशाली प्रशासनिक और कारोबारी चेहरे मिलकर एक सिंडीकेट चला रहे थे। विदेशी शराब आपूर्तिकर्ताओं से सीधे कमीशन वसूलने में मुश्किल आने पर, इस सिंडीकेट ने षड्यंत्रपूर्वक 2020-21 में आबकारी नीति बदलवाई।
नई नीति के तहत, राज्य में पहली बार एफएल-10ए/बी लाइसेंस प्रणाली लागू की गई। पहले तक विदेशी शराब की पूरी खरीद-बिक्री छत्तीसगढ़ स्टेट बेवरेज कॉर्पोरेशन के माध्यम से होती थी, जिससे लाभ सीधे सरकार के खाते में आता था। लेकिन अब तीन निजी कंपनियों को लाइसेंस देकर उनके माध्यम से 10% मार्जिन पर शराब खरीदी-बिक्री करवाई गई। इस मार्जिन का बड़ा हिस्सा सिंडीकेट और उनके राजनीतिक संरक्षकों के पास जाता था।
तीन कंपनियों की भूमिका पर सवाल
- ओम साईं बेवरेज प्रा. लि.
- मालिक: अतुल सिंह, मुकेश मंधड़ा
- छिपा हुआ लाभार्थी: विजय कुमार भाटिया
- लाभ: ₹14 करोड़ से अधिक
- नेक्सजेन पावर इंजिटेक प्रा. लि.
- मालिक: संजय मिश्रा (CA)
- डायरेक्टर: मनीष मिश्रा (भाई), अभिषेक सिंह (भतीजा)
- भूमिका: अवैध कमाई को वैध बनाना
- लाभ: ₹11 करोड़
- दिशिता वेंचर्स प्रा. लि.
- मालिक: आशीष केडिया
- पुराना शराब कारोबारी, जिसने सिंडीकेट से लाभ लिया
राजकोष को हुआ भारी नुकसान
EOW की रिपोर्ट के अनुसार, इन तीन कंपनियों को लाइसेंस देने के कारण सरकारी खजाने को 248 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। वहीं सिंडीकेट और उससे जुड़े प्रभावशाली व्यक्तियों ने कई गुना अवैध कमाई की।
गिरफ्तारियां और आगे की कार्रवाई
इस अभियोग पत्र में विजय कुमार भाटिया, संजय मिश्रा, मनीष मिश्रा और अभिषेक सिंह को मुख्य आरोपी बनाया गया है। चारों इस समय न्यायिक हिरासत में हैं। EOW ने संकेत दिया है कि अन्य कंपनियों से जुड़े लोगों के खिलाफ भी अलग से चार्जशीट दाखिल की जाएगी।
क्या है आगे की राह?
- राज्य शासन से 2020-21 की आबकारी नीति की समीक्षा की मांग उठ सकती है
- कई अन्य प्रभावशाली नामों पर भी जांच की गहराई बढ़ने के संकेत
- राजनीतिक संरक्षण और प्रशासनिक मिलीभगत के तथ्य भी रिपोर्ट में
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला लंबे (Alcohol Scandal) समय से चर्चा का विषय रहा है। पहले दाखिल अभियोग पत्रों में राज्य के वरिष्ठ अफसरों और कारोबारी समूहों की मिलीभगत उजागर हो चुकी है। अब छठवें अभियोग पत्र में नीतिगत हेरफेर के ज़रिए राजकोषीय नुकसान को दस्तावेज़ों सहित प्रस्तुत किया गया है।

