रायपुर, 08 अगस्त। Amendment in Municipality Act : विष्णुदेव साय सरकार ने नगरीय निकायों में चेक का पॉवर फिर एक बार अफसरों के हाथों में सौंप दिया है। राज्य सरकार ने इसके लिए नगर पालिका अधिनियम में संशोधन किया है। इसके तहत अब केवल निकाय के मुख्य नगर पालिका अधिकारी (CMO) ही चेक पर साइन करेंगे।
जानकारों के अनुसार पहले भी चेक साइन करने का पॉवर केवल CMO के पास था, लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने नियम में संशोधन करते हुए अध्यक्षों को भी चेक साइन करने का पॉवर दे दिया। सत्ता में लौटी बीजेपी ने फिर नियम बदल दिया। इस पर सियासत गरमा सकती है। इस बीच सरकार के इस फैसले के साथ ही इसकी टाइमिंग को लेकर काफी चर्चा हो रही है।
इस साल के अंत में निकाय चुनाव
बता दें कि राज्य में इस साल के अंत में नगरीय निकाय चुनाव होना है। इसकी प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। निकायों में वार्डों के परिसीमन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई। जल्द ही मतदाता सूची के लिए कार्यक्रम जारी हो सकता है। चुनाव से ठीक पहले सरकार ने अध्यक्षों से चेक साइन करने का पॉवर छीन लिया है।
ज्यादातर निकायों पर कांग्रेस का कब्जा
यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि राज्य के ज्यादातर निकायों पर फिलहाल कांग्रेस का कब्जा है। नगर निगम से लेकर नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में महापौर और अध्यक्ष कांग्रेस के ही हैं। ऐसे में सरकार के इस फैसले को कांग्रेसी अध्यक्षों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। चूंकि इस वर्ष के अंत में चुनाव होना है, इस वक्त जनप्रतिनिधि ज्यादा से ज्यादा काम स्वीकृत करने और अपनों को उपकृत करने का प्रयास करते हैं। ऐसे वक्त में चेक साइन करने का पॉवर छीने जाने का सीधा असर जनप्रतिधियों के वोट बैंक पर पड़ सकता है।
मन माने कामों की स्वीकृति पर नकेल
इधर, सरकार के सूत्रों का कहना है कि चुनावी समय में मन माने कामों की स्वीकृति के साथ ही भुगतान की आशंका रहती है। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। सरकारी तंत्र का दावा है कि नियमों में बदलाव से भ्रष्टाचार और सरकारी धन के अपव्यय पर रोक लेगी। जनप्रतिनिधि अफसरों पर भुगतान के लिए दबाव नहीं बना सकेंगे।