Author name: Ek Janta Ki Awaaz

CG Rajyostav: Rajyotsav to be organised from 02 to 04 November, Industry Minister Lakhan Lal will be present as the chief guest.
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CG Rajyostav : राज्योत्सव का आयोजन 02 से 04 नवंबर तक, उद्योग मंत्री लखन लाल मुख्य अतिथि के रूप में होंगे शामिल

रायपुर, 29 अक्टूबर। CG Rajyostav : छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस रजत जयंती वर्ष के अवसर पर राज्योत्सव का आयोजन कोरबा के घंटाघर ओपन आडिटोरियम परिसर में 02 नवंबर से 04 नवंबर तक किया जायेगा। इसके लिए आवश्यक तैयारियां की जा रही है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वाणिज्य श्रम व उद्योग मंत्री श्री लखन लाल देवांगन होंगे। राज्योत्सव के शुभारंभ अवसर पर स्थानीय कलाकारों को मंच देने के साथ ही छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम में 02 नवंबर को शाम 07 बजे से जसगीत गायक श्री दिलीप षड़ंगी, 03 नवंबर को लोक गायिक श्रीमती अलका चंद्राकर अपनी प्रस्तुति देंगी। 04 नवंबर को कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है। जिसमें श्री अरूण जैमिनी, हास्य कवि श्री चिराग जैन, कवि श्री शशिकांत यादव, श्रद्धा शौर्य, देवेन्द्र परिहार, हीरामणी वैष्णव शामिल होंगे। तीन दिवसीय राज्योत्सव कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की कलाकारों द्वारा देशभक्ति छत्तीसगढ़ी गीत, लोक नृत्य, नृत्य नाटिका, शास्त्रीय संगीत एवं गायन की प्रस्तुति भी दी जायेगी। कलेक्टर श्री अजीत वसंत ने आम नागरिकों से अपील की है कि राज्योत्सव कार्यक्रम में शामिल होकर कार्यक्रम का आनंद उठायें। 

Special Article: After the formation of Chhattisgarh state, 54 irrigation schemes were constructed in Bastar, increasing the irrigated area in Bastar district by more than 23,500 hectares.
Chhattisgarh

Special Article : छत्तीसगढ़ राज्य गठन पश्चात बस्तर में 54 सिंचाई योजनाओं का हुआ निर्माण, बस्तर जिले में साढ़े 23 हजार हेक्टेयर से अधिक सिंचित रकबे में हुई वृद्धि

रायपुर, 29 अक्टूबर। Special Article : छत्तीसगढ़ राज्य को उदित हुए 25 वर्ष की अवधि में बस्तर जिले के अंतर्गत किसानों को सिंचाई संसाधन उपलब्ध करवाने के लिए सकारात्मक प्रयास किया गया है। जिसके फलस्वरूप अब तक कुल 92 सिंचाई योजनाओं के माध्यम से 32 हजार 656 हेक्टेयर सिंचित रकबे का सृजन किया गया है। बस्तर जिले में छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पूर्व 38 लघु सिंचाई योजनाओं से 7521 हेक्टेयर खरीफ एवं 1386 हेक्टेयर रबी कुल 8907 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई हो रही थी। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद किसानों को खेती-किसानी के लिए ज्यादा से ज्यादा सिंचाई साधन उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से जिले में 54 सिंचाई योजनाओं का निर्माण कर 23 हजार 749 हेक्टेयर सिंचित रकबा का सृजन किया गया है। जिसमें 18 हजार 129 हेक्टेयर खरीफ और 5620 हेक्टेयर रबी फसल हेतु सिंचाई क्षेत्र विकसित किया गया है। इन सभी सिंचाई संसाधनों के माध्यम से क्षेत्र के किसानों द्वारा द्विफसलीय खेती-किसानी को बढ़ावा देकर आय संवृद्धि किया जा रहा है। कोसारटेडा, बेदारमुंडा एवं टिकरालोहंगा जैसी परियोजनाओं से नगदी फसल के रकबे में हुई वृद्धि छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद जल संसाधन विभाग के द्वारा बस्तर जिले में कोसारटेडा मध्यम सिंचाई परियोजना सहित बेदारमुंडा एवं टिकरालोहंगा लघु सिंचाई तालाब, कुम्हरावण्ड, बनियागांव एवं भालूगुड़ा उदवहन सिंचाई योजना, मूली एवं कावारास व्यपवर्तन योजना और 46 एनीकट एवं स्टॉपडेम निर्मित किया गया है। इन सिंचाई साधनों के निर्माण एवं सिंचित रकबा में वृद्धि के फलस्वरूप अब किसानों में नकदी फसलों की ओर रुझान बढ़ रहा है। जिससे बस्तर जिले के किसान आवश्यकता के अनुरूप खरीफ फसल में सिंचाई करते हैं और रबी सीजन में मक्का, उड़द-मूंग एवं साग-सब्जी की भरपूर पैदावार लेकर अतिरिक्त आमदनी अर्जित कर रहे हैं।  कोसाटेडा बनने से डमरूधर और पीलूराम की आमदनी में हुआ इजाफा कोसाटेडा जलाशय से लाभन्वित होने वाले केशरपाल निवासी कृषक डमरूधर कश्यप और पीलूराम बघेल बताते है कि रबी में मक्का सहित साग-सब्जी की खेती कर आमदनी में इजाफा कर रहे हैं। कार्यपालन अभियंता टीडीपीपी जल संसाधन संभाग जगदलपुर से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में जिले के अन्तर्गत 195 करोड़ 36 लाख रूपए लागत की 42 सिंचाई योजनाओं का निर्माण प्रगति पर है, इन योजनाओं के पूर्ण होने पर 6790 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता निर्मित होगी। जिससे किसानों को खेती-किसानी को बढ़ावा देने में सहूलियत होगी।

Special Article: The country's first digital museum is dedicated to tribal heroes.
Chhattisgarh

Special Article : आदिवासी वीर नायकों को समर्पित है देश का पहला डिजिटल संग्रहालय

रायपुर, 29 अक्टूबर।  Special Article : आदिवासी नायक भगवान बिरसा मुंडा जहां देशभर के आदिवासियों के प्रेरणापूंज है। ठीक उसी प्रकार छत्तीसगढ़ में भी फिरंगियों के विरूद्ध बिगुल फूंकने का काम सोनाखान केे जमींदार वीर नारायण सिंह ने किया। उन्होंने फिरंगियों की दमन और शोषणकारी नीतियों के विरूद्ध विद्रोह का बिगुल फंूका और उनसे लड़ते हुए शहीद हुए। उन्हें छत्तीसगढ़ का प्रथम शहीद माना जाता है।   मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शहीद वीर नारायण सिंह और फिरंगियों के विरूद्ध संघर्ष करने वाले आदिवासी नायकों की स्मृतियों को संजोने और भावी पीढ़ी तक उनके प्रेरणास्पद कार्यों को पहुंचाने के लिए नवा रायपुर में संग्रहालय बनाने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री के इस निर्णय से पूरा आदिवासी समाज गौरवान्वित है।  प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा ने बताया कि नवा रायपुर के सेक्टर 24 में तैयार किया जा रहा है भव्य संग्रहालय अपने आप में अनूठा है। यह देश का पहला डिजिटल संग्रहालय है। लगभग 50 करोड़ रूपए की लागत से इस संग्रहालय को तैयार किया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी राज्य स्थापना की 25वीं वर्षगांठ पर इस संग्र्रहालय का लोकार्पण करने जा रहे हैं।  प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत की। उन्होंने जनजाति समाज को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए देश का सबसे बड़ा अभियान पीएम जनमन और प्रधानमंत्री धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना शुरू की। इस अभियान के तहत जनजाति इलाकों में सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाओं के साथ ही कंेद्र और राज्य सरकार की योजनाओं से उन्हें लाभान्वित किया जा रहा है।  संग्रहालय में शहीद वीर नारायण सिंह का भव्य स्मारक भी बनाया गया है। साथ ही यहां छत्तीसगढ़ में आदिवासी विद्रोहों हल्बा विद्रोह, सरगुजा विद्रोह, भोपालपट्टनम, परलकोट, तारापुर, लिंगागिरी, कोई, मेरिया, मुरिया, रानी चौरिस, भूमकाल, सोनाखान विद्रोहों के साथ ही झंडा सत्याग्रह और जंगल सत्याग्रह की जीवंत झलक दिखाई गई है। इन विद्रोहों को अलग-अलग 14 सेक्टरों में बांटा गया है। अत्याधुनिक इस डिजिटल संग्रहालय में आगतुंकों के लिए वीएफएक्स टेक्नोलॉजी, प्रोजेक्शन, डिजिटल स्क्रीन, मोबाइल पर क्यूआर कोड स्कैन की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।   संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर सरगुजा कलाकारों की नक्काशीदार पैनल, 1400 वर्ष पुराने साल-महुआ और साजा वृक्ष की प्रतिकृति जिसकी पत्तियों पर 14 विद्रोहों की डिजिटल कहानी उकेरी गई है। यह वृक्ष मोशन फिल्मों की तरह पूरे विद्रोहो की कहानी बतलाती प्रतीत होगी। इस संग्रहालय में सेल्फी पॉइंट, दिव्यांग सुविधाएं, सीनियर सिटीजन के लिए विशेष इंतजाम, ट्राइबल आर्ट से सजा फर्श, भगवान बिरसा मुंडा, शहीद गैंदसिंह और रानी गाइडल्यू की मूर्तियां भी लगाई गई है, जो लोगों के लिए प्रेरणाप्रद होंगे।    मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय कहते हैं कि यह संग्रहालय छत्तीसगढ़ जनजातीय संस्कृति का वैश्विक केंद्र बनेगा। यहां आने वाले लोगों को आदिवासी वीर नायकों की शौर्य गाथा से गर्व की अनुभूति होगी। यह आदिवासी समाज की पूर्वजों की स्मृति है और नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। 

CM Vishnu: Baba Kartik Oraon dedicated his life for the upliftment of tribal society.
Chhattisgarh

CM Vishnu : बाबा कार्तिक उरांव ने जनजातीय समाज के उत्थान हेतु अपना जीवन किया समर्पित

रायपुर, 29 अक्टूबर। CM Vishnu : जनजातीय समाज के महान शिक्षाविद्, समाजसेवी एवं राष्ट्रनायक बाबा कार्तिक उरांव की जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर आज अंबिकापुर में भूमि पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री साय ने बाबा कार्तिक उरांव जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि बाबा कार्तिक उरांव समाज के गौरव हैं। उन्होंने विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद अपनी धर्म, संस्कृति और सभ्यता को कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने पुरखों के बताए हुए मार्ग पर चलते हुए उच्चतम शिक्षा अर्जित की और समाज को दिशा दी। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बाबा कार्तिक उरांव का यह कथन-“जितना ज्यादा पढ़ेंगे, उतना ही समाज को गढ़ेंगे”- आज भी हमें प्रेरित करता है। उन्होंने जनजातीय समाज के उत्थान, शिक्षा के प्रसार और सामाजिक एकता के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया। हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलकर समाज के सर्वांगीण विकास का संकल्प लेना चाहिए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने नगर निगम कार्यालय के समीप बनने वाले बाबा कार्तिक उरांव चौक का भूमि पूजन किया तथा मूर्ति एवं चौक निर्माण के लिए ₹40.79 लाख की राशि की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह चौक बाबा कार्तिक उरांव के आदर्शों, विचारों और योगदान की स्मृति को सहेजने का प्रतीक बनेगा। कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम ने कहा कि बाबा कार्तिक उरांव हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने समाज के उत्थान और विकास के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया। हमें उनके बताए हुए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। उन्होंने समाज की संस्कृति, सभ्यता, परंपरा और रीति-रिवाजों को सम्मान देते हुए समाज को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। सांसद श्री चिंतामणि महाराज ने कहा कि बाबा कार्तिक उरांव ने सदैव समाज में एकता, शिक्षा और जागरूकता का संदेश दिया। आज यह आवश्यक है कि हम उनके आदर्शों और बताए मार्ग पर चलकर समाज को संगठित करें और एकता के सूत्र में बांधें, जिससे जनजातीय समाज सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनकर देश के विकास में अपनी भागीदारी निभा सके। इस अवसर पर सामरी विधायक उद्धेश्‍वरी पैकरा, जशपुर विधायक रायमुनी भगत, सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

CM Vishnu: The darkness of fear is being dispelled by the light of rehabilitation in Bastar; Bastar is becoming a new land of dialogue, empathy and trust - Chief Minister
Chhattisgarh

CM Vishnu : बस्तर में पुनर्वास की रोशनी से मिट रहा भय का अंधकार, संवाद, संवेदना और विश्वास की नई धरती बन रहा है बस्तर – मुख्यमंत्री

रायपुर, 29 अक्टूबर। CM Vishnu : राज्य सरकार की ‘आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025’ और ‘नियद नेल्ला नार योजना’ ने बस्तर अंचल में एक नई क्रांति की शुरुआत की है। इन नीतियों के परिणामस्वरूप माओवाद की हिंसक विचारधारा में लिप्त युवाओं में विश्वास जागा है और वे मुख्यधारा में लौटकर विकास की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बीजापुर जिले में “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्ज़ीवन” अभियान के तहत आज सुरक्षा बलों के निरंतर प्रयासों से कुल ₹66 लाख के इनामी 51 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। इन सभी ने संविधान पर आस्था व्यक्त करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम इस बात का प्रमाण है कि बस्तर भय और हिंसा के अंधकार से बाहर निकलकर शांति, विश्वास और प्रगति के नए युग में प्रवेश कर रहा है। शासन की संवेदनशील नीतियाँ और मानवीय दृष्टिकोण इस परिवर्तन की सबसे बड़ी शक्ति बनकर उभरी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि संवाद ही इस समस्या का स्थायी समाधान है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के मार्गदर्शन में देश अब नक्सल मुक्त भारत के लक्ष्य की ओर तेजी से अग्रसर है। छत्तीसगढ़ सरकार इस दिशा में प्रतिबद्धता और संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे इस परिवर्तन की यात्रा में सहभागी बनें, ताकि छत्तीसगढ़ का प्रत्येक गाँव शांति, प्रगति और समरसता का प्रतीक बन सके।

Khelo India: Khelo India University Games in Rajasthan from November 24 to December 5, Union Sports Minister Dr. Mansukh Mandaviya says KIUG is the 'first step towards glory'
National, Sports

Khelo India : खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स राजस्थान में 24 नवंबर से 5 दिसम्बर तक, केन्द्रीय खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा कि केआईयूजी ‘गौरव की दिशा में पहला कदम’ है

रायपुर, 28 अक्टूबर। Khelo India : पांचवें खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स राजस्थान के सात शहरों में 24 नवंबर से 5 दिसम्बर 2025 तक आयोजित होंगे। इसमें 23 मेडल स्पोर्ट्स और एक डेमोंस्ट्रेशन स्पोर्ट (खो-खो) में प्रतियोगिताएं होंगी। इसी साल कुछ समय पहले में बिहार में हुए खेलो इंडिया यूथ गेम्स की तरह, यूनिवर्सिटी गेम्स भी राजस्थान के सात शहरों जयपुर, अजमेर, उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर, कोटा और भरतपुर में आयोजित होंगे। इस 12 दिनों के यूनिवर्सिटी आयोजन में 5,000 से अधिक एथलीटों के आने की उम्मीद है। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स का आयोजन भारतीय विश्वविद्यालय संघ के सहयोग से किया जाता है। केन्द्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा कि ‘खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स’ भारत के खेल मार्ग में एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। दुनिया भर में विश्वविद्यालय, चैंपियनों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और केआईयूजी हमारे युवा एथलीटों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी क्षमता दिखाने का मंच प्रदान करता है। इन खेलों का राजस्थान संस्करण भारत के विस्तृत खेल परिदृश्य को उजागर करेगा और वैश्विक स्तर पर राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने की आकांक्षा रखने वालों के लिए पहला कदम साबित होगा। डॉ. मंडाविया ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विज़न के तहत खेलो इंडिया पहल ने भागीदारी, प्रतिभा विकास और उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करने वाला एक ठोस पारिस्थितिकी तंत्र बनाया है। राजस्थान में आयोजित होने वाले ये यूनिवर्सिटी गेम्स हजारों छात्रों को न केवल खेलों को पढ़ाई के समानांतर ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे। साथ ही प्रतियोगिता एवं सौहार्द्र के माध्यम से ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत भी करेंगे। केआईयूजी-2025 में 23 मेडल स्पोर्ट्स और एक डेमोंस्ट्रेशन श्रेणी के स्पोर्ट्स होंगे। मेडल स्पोर्ट्स में तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, बॉक्सिंग, फेंसिंग, फुटबॉल, हॉकी, जूडो, कबड्डी, मल्लखंब, रग्बी, शूटिंग, तैराकी, टेबल टेनिस, टेनिस, वॉलीबॉल, वेटलिफ्टिंग, कुश्ती, योगासन, साइक्लिंग, बीच वॉलीबॉल, कैनोइंग और कयाकिंग शामिल हैं। खो-खो एक डेमोंस्ट्रेशन इवेंट होगा। पहली बार केआईयूजी कार्यक्रम में कैनोइंग, बीच वॉलीबॉल, और कयाकिंग तथा साइक्लिंग को शामिल किया जा रहा है। पूर्वाेत्तर भारत में आयोजित हुए पिछले खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी चैंपियन बनी। लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी और गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर ने क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया था। खेलो इंडिया के विषय में  खेलो इंडिया योजना युवा मामले एवं खेल मंत्रालय की प्रमुख केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। खेलो इंडिया गेम्स खेल कौशल प्रदर्शन का आधारभूत मंच हैं, जो प्रतिभा की पहचान करने और प्रतिभाशाली बच्चों को उत्कृष्टता हासिल करने हेतु एक विकास का मार्ग प्रदान करने का प्लेटफॉर्म बनते हैं। ये राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं ओलंपिक आंदोलन की सच्ची भावना में आयोजित की जा रही हैं, जिसमें संबंधित एनएसएफ, एसजीएफआई, एआईयू आदि जैसे विभिन्न हितधारकों को शामिल किया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत अब तक देश भर में 20 संस्करणों का आयोजन हो चुका है, जिसमें 7 संस्करण खेलो इंडिया यूथ गेम्स (केआईव्हायजी), 4 संस्करण खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (केआईयूजी), 5 संस्करण खेलो इंडिया विंटर गेम्स (केआईव्हीजी), 2 संस्करण खेलो इंडिया पैरा गेम्स (केआईपीजी), 1 संस्करण खेलो इंडिया बीच गेम्स (केआईबीजी), और 1 संस्करण खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल (केआईडब्ल्यूएसएफ) शामिल हैं।

State Foundation Day: Rajyotsav programs will be organized in the district headquarters on the occasion of State Foundation Day.
Chhattisgarh

State Foundation Day : राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर जिला मुख्यालयों में आयोजित होंगे राज्योत्सव कार्यक्रम

रायपुर, 28 अक्टूबर। State Foundation Day : राज्य स्थापना दिवस 2025 के अवसर पर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में भव्य राज्योत्सव कार्यक्रम का आयेाजन किया जाएगा। जिला मुख्यालयों में आयोजित कार्यक्रमों में राज्य के मंत्रीगण, सांसद तथा विधायक मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। राज्य शासन ने प्रत्येक जिले के लिए मुख्य अतिथि के नामों की घोषणा की है। राज्य शासन द्वारा जारी सूची के अनुसार राजनांदगांव जिला मुख्यालय में आयेाजित राज्योत्सव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. रमन सिंह विधानसभा अध्यक्ष और सरगुजा में मुख्य अतिथि कृषि मंत्री रामविचार नेताम होंगे। इसी प्रकार बिलासपुर जिला मुख्यालय में तोखन साहू केन्द्रीय राज्य मंत्री, बस्तर में उप मुख्यमंत्री अरूण साव तथा दुर्ग में उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा जिला मुख्यालय में आयोजित राज्योत्सव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे। इसी प्रकार गरियाबंद में मंत्री दयालदास बघेल, दंतेवाड़ा में मंत्री श्री केदार कश्यप, कोरबा में मंत्री लखन लाल देवांगन, जशपुर में मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल तथा रायगढ़ में मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। सूरजपुर में मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े, जांजगीर-चांपा में मंत्री टंकराम राम वर्मा, बालोद में मंत्री गजेन्द्र यादव, कोरिया में मंत्री राजेश अग्रवाल और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी में मंत्री गुरू खुशवंत साहेब जिला मुख्यालय में आयोजित राज्योत्सव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे। बलौदाबाजार-भाटापारा में सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल, बेमेतरा में सांसद श्री विजय बघेल, कबीरधाम में सांसदश्री संतोष पाण्डेय, बलरामपुर-रामानुजगंज में सांसदश्री चिंतामणी महाराज, महासमुंद में सांसद श्रीमती रूपकुमारी चौधरी, सारंगढ़-बिलाईगढ़ में सांसद श्री राधेश्याम राठिया, सक्ति में सांसद श्रीमती कमलेश जांगड़े, बीजापुर में सांसद श्री महेश कश्यप, कांकेर में सांसद श्री भोजराज नाग तथा खैरागढ़-गंडई-छुईखदान में सांसद श्री देवेन्द्र प्रताप सिंह जिला मुख्यालय में आयोजित राज्योत्सव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे। वहीं मुंगेली जिले में विधायक श्री पुन्नू लाल मोहले, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में विधायक श्री धरमलाल कौशिक, धमतरी में विधायक अजय चन्द्राकर, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर में विधायक श्रीमती रेणुका सिंह, कोण्डागांव में विधायक सुश्री लता उसेंडी, नारायणपुर में विधायक श्री विक्रम उसेंडी तथा सुकमा जिले में विधायक श्री किरण देव जिला मुख्यालय में आयोजित राज्योत्सव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे। राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर सभी जिलों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, लोकनृत्य, हस्तशिल्प प्रदर्शनी, स्थानीय उत्पादों की झांकी एवं विकासपरक योजनाओं से संबंधित स्टॉल लगाए जाएंगे। राज्योत्सव कार्यक्रमों का आयोजन जनभागीदारी और पारंपरिक गौरव के साथ गरिमामय ढंग से किया जाएगा ताकि प्रदेश की संस्कृति, विकास और एकता का संदेश पूरे राज्य में प्रसारित हो सके।

Jashpur: Chief Minister Vishnudev Sai inaugurated and performed bhoomi pujan of 13 works worth Rs 40.89 crore in Farsabahar of Jashpur district, inaugurated 4 works worth Rs 4.16 crore and performed bhoomi pujan of 9 development works worth Rs 36.72 crore.
Chhattisgarh

Jashpur : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जशपुर जिले के फरसाबहार में 40.89 करोड़ के 13 कार्यों का किया लोकार्पण एवं भूमिपूजन, 4.16 करोड़ लागत के 4 कार्यों का लोकार्पण और 36.72 करोड़ लागत के 9 विकासकार्यों का हुआ भूमिपूजन

रायपुर 28 अक्टूबर। Jashpur : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज जशपुर जिले के फरसाबहार क्षेत्र के व्यापक विकास को नए आयाम देते हुए 40 करोड़ 89 लाख 26 हजार रुपए की लागत के 13 विकासकार्यों का लोकार्पण एवं भूमिपूजन किया। इनमें 4 करोड़ 16 लाख 41 हजार रुपए लागत के 4 विकासकार्यों का लोकार्पण और 36 करोड़ 72 लाख 85 हजार रुपए लागत के 9 विकासकार्यों का भूमिपूजन शामिल हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने जिन विकासकार्यों का लोकार्पण किया उनमें 01 करोड़ 81 लाख 32 हजार रुपए लागत के मस्कामारा से होते हुए लवाकेरा मेन रोड तक मार्ग लं. 1.70 कि.मी., 01 करोड़ 29 लाख 56 हजार रुपए लागत के जिला जशपुर के अम्बाकछार पहुंच मार्ग लं. 1.00 कि.मी., 10 लाख रुपए लागत के आर सी.सी. पुलिया निर्माण, सिंहटोला दीपक घर से मेन रोड़ पहुंच मार्ग पर, ग्राम लावाकेरा और 95 लाख 53 हजार रूपए लागत के जशपुर के मुण्डाडीह पहुच मार्ग लं. 0.90 कि.मी. का निर्माण कार्य शामिल है। इसी तरह उन्होंने 36 करोड़ 72 लाख 85 हजार रुपए लागत के जिन 9 विकासकार्यों का भूमिपूजन किया उनमें 31 लाख 38 हजार रूपए लागत के फिकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट, 23 करोड़ 96 लाख 94 हजार रूपए लागत के पमशाला में सरईटोला पहुंच मार्ग लं. 11.50 कि.मी. का निर्माण कार्य, 01 करोड़ 72 लाख 55 हजार रुपए लागत के फरसाबहार में विश्रामगृह भवन का निर्माण कार्य, 01 करोड़ 91 लाख 51 हजार रुपए लागत के प्रो.मै. आदिवासी बालक छात्रावास कोल्हेनझरिया का भवन निर्माण, 01 करोड़ 91 लाख 51 हजार रुपए लागत के प्रो.मै. आदिवासी बालक छात्रावास फरसाबहार का भवन निर्माण, 01 करोड़ 52 लाख 97 हजार रुपए लागत के प्री.मै. आदिवासी बालक छात्रावास लवाकेरा का भवन निर्माण, 01 करोड़ 52 लाख 97 हजार रुपए लागत के प्री.मै. आदिवासी बालक छात्रावास पण्डरीपानी का भवन निर्माण, 01 करोड़ 91 लाख 51 हजार रुपए लागत के प्रो.मै. आदिवासी बालक छात्रावास पंडरीपानी का भवन निर्माण कार्य और 01 करोड़ 91 लाख 51 हजार रुपए लागत के प्री.मै. आदिवासी बालक छात्रावास तपकरा का भवन निर्माण कार्य शामिल है। इस अवसर पर सांसद श्री राधेश्याम राठिया, विधायक श्रीमती गोमती साय, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री सालिक साय, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री शौर्य प्रताप सिंह जूदेव, नगर पालिका जशपुर के उपाध्यक्ष श्री यश प्रताप सिंह जूदेव,पूर्व संसदीय सचिव श्री भरत साय, कलेक्टर श्री रोहित व्यास, पुलिस अधीक्षक श्री शशिमोहन सिंह, श्री विजय आदित्य सिंह जूदेव सहित जनप्रतिनिधिगण और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

CG News: Birth and death certificates are now completely online; there is no compulsion to obtain an online birth certificate for Aadhaar cards for children born before October 2023.
Chhattisgarh

CG News : जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र अब पूरी तरह ऑनलाइन, अक्टूबर 2023 के पूर्व जन्मे बच्चों के आधार कार्ड हेतु ऑनलाइन जन्म प्रमाण पत्र की कोई बाध्यता नहीं

रायपुर, 28 अक्टूबर। CG News : भारत के महारजिस्ट्रार कार्यालय, नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2023 में संशोधित ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया गया है, जिसके माध्यम से राज्य में जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र ऑनलाइन बनाए जा रहे हैं। इस प्रकार, छत्तीसगढ़ राज्य में प्रत्येक जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र का ऑनलाइन बनाया जाना अनिवार्य किया गया है। उल्लेखनीय है कि जन्म-मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 में वर्ष 2023 में संशोधन किया गया है। संशोधन के अनुसार अक्टूबर 2023 के बाद जन्मे बच्चों की जन्म तिथि प्रमाणित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र ही एकमात्र वैध आधार होगा। अर्थात, इस तिथि के पूर्व जन्मे बच्चों के मामलों में अन्य वैकल्पिक दस्तावेज भी जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में मान्य रहेंगे। परंतु अक्टूबर 2023 के बाद जन्मे बच्चों के लिए केवल जन्म प्रमाण पत्र ही तिथि प्रमाण का एकमात्र स्रोत होगा। राज्य में अप्रैल 2023 के बाद से जन्मे प्रत्येक बच्चे के लिए ऑनलाइन जारी जन्म प्रमाण पत्र को ही मान्य किया गया है। इस प्रकार स्पष्ट है कि अक्टूबर 2023 के पूर्व जन्मे बच्चों के जन्म तिथि प्रमाणन के लिए जन्म प्रमाण पत्र अनिवार्य नहीं है। उनके लिए अन्य दस्तावेज भी मान्य हैं। लेकिन अक्टूबर 2023 के बाद जन्मे बच्चों के लिए जन्म प्रमाण पत्र ही जन्म प्रमाण का एकमात्र आधार होगा। पूर्व में जिन बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र मैन्युअल पद्धति से जारी किया गया था, उनके लिए भी अब पोर्टल में ऑनलाइन प्रमाण पत्र बनाने का प्रावधान उपलब्ध है। इससे पुराने प्रमाण पत्र भी डिजिटल स्वरूप में सुरक्षित किए जा सकेंगे। यह संज्ञान में आया है कि कुछ जिलों में केवल उन्हीं जन्म प्रमाण पत्रों के आधार पर आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं जिनमें क्यूआर कोड (QR Code) है। यह विषय संज्ञान में आने पर इस विषय में राज्य सरकार द्वारा सहायक प्रबंधक, UIDAI हैदराबाद से अनुरोध किया गया है कि वे राज्य के सभी आधार केंद्रों को उचित दिशा-निर्देश जारी करें। यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 में संशोधित पोर्टल के लॉन्च के बाद प्रारंभिक चरण में कुछ तकनीकी कठिनाइयाँ आई थीं, जिन्हें भारत के महारजिस्ट्रार कार्यालय, नई दिल्ली द्वारा समाधान कर दिया गया। साथ ही राज्य के सभी रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) को नए पोर्टल के संबंध में आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। आवश्यकता अनुसार जिला स्तर पर भी नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे ऑनलाइन प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया सुचारू रूप से संचालित हो रही है।राज्य में अप्रैल 2023 के बाद से सभी जन्म प्रमाण पत्र केवल ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से बनाए जा रहे हैं, और वर्तमान में पोर्टल पूरी तरह से तकनीकी रूप से सुचारू रूप से संचालित है।

Special Article: A confluence of culture, history and spirituality where history speaks, culture smiles and spirituality breathes
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Special Article : संस्कृति, इतिहास और अध्यात्म का संगम जहां इतिहास बोलता है, संस्कृति मुस्कुराती है और अध्यात्म सांस लेता है

रायपुर, 27 अक्टूबर। Special Article : छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में स्थित सिरपुर (श्रीपुर) केवल एक पुरातात्त्विक स्थल ही नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों का जीवंत प्रतीक है। यह नगर महान सम्राट महाशिवगुप्त बालार्जुन की राजधानी रहा है और अपनी स्थापत्य कला, बौद्ध धरोहरों तथा प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। सिरपुर का उल्लेख प्राचीन भारतीय ग्रंथों और अभिलेखों में मिलता है। यहाँ भगवान शिव, विष्णु, बुद्ध और जैन धर्म के उपासना स्थलों के अवशेष मिले हैं। 7वीं शताब्दी में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी सिरपुर का उल्लेख अपनी यात्राओं में किया है, जिससे इसकी अंर्तराष्ट्रीय ख्याति सिद्ध होती है। यह नगर धार्मिक सहिष्णुता और कला का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। यहाँ 22 शिव मंदिर, 5 विष्णु मंदिर, 3 जैन विहार और एक विशाल बौद्ध विहार के अवशेष प्राप्त हुए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सिरपुर में लगातार संरक्षण और मरम्मत का कार्य किया जा रहा है जिससे इसकी ऐतिहासिक गरिमा बनी रहे। डिजिटल टूर, क्यूआर कोड आधारित जानकारी और थ्रीडी गाइडेंस सिस्टम जैसी आधुनिक तकनीकों का भी उपयोग हो रहा है। सिरपुर बौद्ध, जैन और हिन्दू स्थापत्य कला का त्रिवेणी संगम है। यहां स्थित लक्ष्मण मंदिर भारत का पहला ईंटों से निर्मित मंदिर है जो वास्तुकला का अनुपम उदाहरण है। आनंदप्रभु कुटीर विहार बौद्ध भिक्षुओं का प्रमुख केंद्र है, जहाँ चीन से आए भिक्षु रह चुके हैं। गंधेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित मंदिर है, जिसमें अनेक मूर्तियाँ और सांस्कृतिक प्रतीक हैं। 1872 में अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा सिरपुर के अवशेषों की खोज की गई थी। इसके बाद यहाँ अनेक उत्खनन कार्य हुए, जिनमें बुद्ध, विष्णु, शिव और जैन परंपराओं के असंख्य साक्ष्य मिले। चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के विद्वान भी सिरपुर को एशिया की बौद्ध धरोहरों में महत्वपूर्ण स्थान मानते हैं। हर वर्ष आयोजित होने वाला सिरपुर महोत्सव छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है। इसमें देश-विदेश के कलाकार शास्त्रीय नृत्य, संगीत और नाट्य प्रस्तुतियाँ देते हैं। यहाँ ईको-ट्रेल, हस्तशिल्प बिक्री केंद्र और स्थानीय भोजनालयों की योजनाएँ चलाई जा रही हैं, ताकि स्थानीय समुदाय को रोजगार मिले और पर्यटन को बढ़ावा मिले। विद्यार्थियों के लिए सिरपुर की ऐतिहासिक धरोहरों पर आधारित पाठ्यक्रम भी प्रारंभ किया गया है। साय सरकार ने सिरपुर को विश्व पर्यटन मानचित्र पर लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। विजन 2047 के तहत आधुनिक बुनियादी ढांचा, सड़क, प्रकाश व्यवस्था और अंर्तराष्ट्रीय स्तर का पर्यटक कॉरिडोर विकसित किया जा रहा है। सिरपुर की पुरातात्त्विक संरचनाओं को संरक्षित रखने के लिए अत्याधुनिक तकनीकें अपनाई जा रही हैं। सिरपुर केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे भारत की सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक है। यहाँ के मंदिर, विहार, मूर्तियाँ और जीवंत परंपराएँ हमें यह सिखाती हैं कि भारत की संस्कृति, सहिष्णुता, कला और ज्ञान का संगम है। सिरपुर सचमुच वह स्थान है जहाँ इतिहास बोलता है, संस्कृति मुस्कुराती है और अध्यात्म सांस लेता है।