Author name: Ek Janta Ki Awaaz

Jashpur Jamboree 2025: A unique confluence of nature, culture, and adventure, a four-day festival is taking place in Jashpur, where tourists are enjoying the natural valleys, tribal culture, and adventure sports.
Chhattisgarh

Jashpur Jamboree 2025 : प्रकृति, संस्कृति और साहसिक रोमांच का अनोखा संगम, जशपुर में हो रहा है चार दिन का उत्सव, जहां पर्यटक प्राकृतिक वादियों, जनजातीय संस्कृति और एडवेंचर खेलों का उठा रहे हैं आनंद

रायपुर, 08 नवंबर। Jashpur Jamboree 2025 : जशपुर के हरे-भरे जंगलों और सुरम्य वादियों में आयोजित जशपुर जम्बूरी 2025 पर्यटन का ऐसा महाकुंभ है, जो प्रकृति प्रेमियों और रोमांच तलाशने वालों के लिए यादगार अनुभव लेकर आया है। 6 से 9 नवंबर तक चलने वाले इस भव्य आयोजन में देशभर से आए 120 से अधिक प्रतिभागियों ने नीमगांव में पक्षी दर्शन से अपनी यात्रा की शुरुआत की, जहां शांत वातावरण ने सभी को प्रकृति के करीब ला दिया। दो समूहों में बंटे पर्यटकों ने मयाली में कयाकिंग, एटीवी राइड, एक्वा साइकिलिंग और पेंटबॉल जैसे साहसिक खेलों का आनंद लिया, जबकि दूसरे समूह ने देशदेखा में बोल्डरिंग, रॉक क्लाइंबिंग, जुमारिंग और ज़िपलाइनिंग जैसी चुनौतीपूर्ण गतिविधियों में भाग लिया। मधेश्वर पहाड़ के प्राकृतिक शिवलिंग की दिव्यता के बीच आयोजित इस उत्सव में स्थानीय व्यंजनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भी प्रतिभागियों के बीच अपनी छाप छोड़ी। शाम को सरना एथनिक रिजॉर्ट में पारंपरिक नृत्य और लोकगीतों ने जशपुर की जीवंत जनजातीय संस्कृति को मंच पर जीवंत कर दिया। आखिरी सत्र में पर्यटक चमकीले तारों के नीचे कैम्पफायर के इर्द-गिर्द एकजुट हुए, जहां हंसी-मज़ाक और अनुभवों के आदान-प्रदान से यह दिन प्रतिभागियों के लिए एक यादगार बन गया। यह आयोजन न केवल पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता के नए अवसर भी प्रस्तुत कर रहा है, जिससे जशपुर राज्य के पर्यटन मानचित्र पर अपनी खास पहचान बना रहा है। जशपुर जम्बूरी 2025 ने छत्तीसगढ़ के ग्रामीण पर्यटन को नई उड़ान दी है, जहां प्रकृति, संस्कृति और एडवेंचर का प्रभावशाली समागम देखने को मिल रहा है।

Courtesy Meet: The Chief Minister's Special Health Assistance Scheme is becoming a lifeline for the people. Ganeshram's kidney transplant was successful with government assistance. The family expressed their gratitude after meeting the Chief Minister
Chhattisgarh

Courtesy Meet : मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना बन रही लोगों के लिए संजीवनी, शासकीय मदद से गणेशराम का किडनी प्रत्यारोपण सफल, मुख्यमंत्री से मिल कर परिवार ने जताया आभार

रायपुर, 08 नवम्बर। Courtesy Meet : छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना अब उन परिवारों के लिए संजीवनी बन चुकी है, जिनके लिए गंभीर बीमारियों का खर्च उठाना संभव नहीं होता। इस योजना ने एक बार फिर जशपुर जिले के बगीचा निवासी 48 वर्षीय किसान गणेशराम यादव को नई ज़िंदगी दी है। गणेशराम की दोनों किडनियाँ खराब हो चुकी थीं। कई महीनों से डायलिसिस पर चल रहे गणेशराम की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। डॉक्टरों ने उन्हें किडनी प्रत्यारोपण की सलाह तो दी, लेकिन उपचार का खर्च सुनकर परिवार की उम्मीदें टूटने लगीं। एक किसान परिवार के लिए इतना बड़ा खर्च उठाना असंभव था – परिवार असहाय खड़ा था, और हर दिन जीवन की आस धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही थी। इसी कठिन समय में उन्हें कुनकुरी सदन के माध्यम से मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना की जानकारी मिली। परिवार ने तत्परता से पहल की, आवश्यक दस्तावेज़ तैयार किए गए, और बिना किसी जटिल प्रक्रिया के योजना के अंतर्गत उनका पूरा उपचार निःशुल्क स्वीकृत हो गया। गणेशराम को रायपुर स्थित एम्स अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में भर्ती कराया गया। उनके उपचार के लिए उनकी 64 वर्षीय माता सरस्वती यादव ने अपने बेटे के लिए निःसंकोच किडनी दान कर दी — इस प्रकार एक माँ ने अपने बेटे को दूसरी बार जीवनदान दिया। किडनी प्रत्यारोपण सफल रहा, और गणेशराम अब पूरी तरह स्वस्थ हैं। घर लौटने के बाद उनका परिवार पुनः खुशियों से भर उठा है। स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के पश्चात् गणेशराम अपने परिवार के साथ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से राजधानी रायपुर स्थित निवास में मिले। उनकी आँखों में कृतज्ञता और भावनाओं की नमी थी। मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए गणेशराम ने कहा कि“अगर यह योजना नहीं होती, तो शायद मैं आज ज़िंदा नहीं होता। सरकार ने हमारी जीवन की टूटी हुई आस को फिर से लौटा दिया।” मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने गणेशराम और उनके परिवार से आत्मीय मुलाकात करते हुए उनके उज्ज्वल और स्वस्थ भविष्य की हार्दिक शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि, “प्रदेश का प्रत्येक नागरिक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पाने का अधिकारी है। हमारी सरकार का प्रयास है कि कोई भी व्यक्ति आर्थिक तंगी के कारण इलाज से वंचित न रहे — यही सच्चे अर्थों में जनसेवा है।” मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सहायता योजना स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में मानवीयता और करुणा को नया आयाम दे रही है।रायपुर, 08 नवम्बर। Courtesy Meet : छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना अब उन परिवारों के लिए संजीवनी बन चुकी है, जिनके लिए गंभीर बीमारियों का खर्च उठाना संभव नहीं होता। इस योजना ने एक बार फिर जशपुर जिले के बगीचा निवासी 48 वर्षीय किसान गणेशराम यादव को नई ज़िंदगी दी है। गणेशराम की दोनों किडनियाँ खराब हो चुकी थीं। कई महीनों से डायलिसिस पर चल रहे गणेशराम की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। डॉक्टरों ने उन्हें किडनी प्रत्यारोपण की सलाह तो दी, लेकिन उपचार का खर्च सुनकर परिवार की उम्मीदें टूटने लगीं। एक किसान परिवार के लिए इतना बड़ा खर्च उठाना असंभव था – परिवार असहाय खड़ा था, और हर दिन जीवन की आस धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही थी। इसी कठिन समय में उन्हें कुनकुरी सदन के माध्यम से मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना की जानकारी मिली। परिवार ने तत्परता से पहल की, आवश्यक दस्तावेज़ तैयार किए गए, और बिना किसी जटिल प्रक्रिया के योजना के अंतर्गत उनका पूरा उपचार निःशुल्क स्वीकृत हो गया। गणेशराम को रायपुर स्थित एम्स अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में भर्ती कराया गया। उनके उपचार के लिए उनकी 64 वर्षीय माता सरस्वती यादव ने अपने बेटे के लिए निःसंकोच किडनी दान कर दी — इस प्रकार एक माँ ने अपने बेटे को दूसरी बार जीवनदान दिया।किडनी प्रत्यारोपण सफल रहा, और गणेशराम अब पूरी तरह स्वस्थ हैं। घर लौटने के बाद उनका परिवार पुनः खुशियों से भर उठा है। स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के पश्चात् गणेशराम अपने परिवार के साथ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से राजधानी रायपुर स्थित निवास में मिले। उनकी आँखों में कृतज्ञता और भावनाओं की नमी थी। मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए गणेशराम ने कहा कि“अगर यह योजना नहीं होती, तो शायद मैं आज ज़िंदा नहीं होता। सरकार ने हमारी जीवन की टूटी हुई आस को फिर से लौटा दिया।” मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने गणेशराम और उनके परिवार से आत्मीय मुलाकात करते हुए उनके उज्ज्वल और स्वस्थ भविष्य की हार्दिक शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि, “प्रदेश का प्रत्येक नागरिक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पाने का अधिकारी है। हमारी सरकार का प्रयास है कि कोई भी व्यक्ति आर्थिक तंगी के कारण इलाज से वंचित न रहे — यही सच्चे अर्थों में जनसेवा है।” मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सहायता योजना स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में मानवीयता और करुणा को नया आयाम दे रही है।

Fake News: The Public Works Department has not paid Deputy Chief Minister Arun Sao or any private event. The information circulating on social media is baseless and misleading
Chhattisgarh

Fake News : लोक निर्माण विभाग द्वारा उप मुख्यमंत्री अरुण साव या किसी भी निजी कार्यक्रम का कोई भुगतान नहीं, सोशल मीडिया में प्रसारित जानकारी तथ्यहीन एवं भ्रामक

रायपुर, 08 नवम्बर। Fake News : कतिपय सोशल मीडिया में प्रसारित उप मुख्यमंत्री-सह-लोक निर्माण मंत्री के परिवार के निजी कार्यक्रम का भुगतान लोक निर्माण विभाग द्वारा किये जाने संबंधी समाचार तथ्यहीन एवं भ्रामक है। लोक निर्माण विभाग द्वारा उप मुख्यमंत्री अरुण साव या किसी भी निजी कार्यक्रम का कोई भुगतान नहीं किया गया है। आरटीआई के तहत विभाग द्वारा प्रदान की गई जानकारी में सोशल मीडिया में प्रसारित किसी भी बिल का कोई उल्लेख नहीं है। इन बिलों से विभाग का कोई संबंध नहीं है। लोक निर्माण विभाग के बेमेतरा संभाग के कार्यपालन अभियंता डी.के. चंदेल ने इस संबंध में वस्तुस्थिति की विस्तार से जानकारी दी है। कार्यपालन अभियंता डी.के. चंदेल ने बताया कि लोक निर्माण विभाग के बेमेतरा संभाग के अंतर्गत व्ही.आई.पी. कार्यक्रमों में लगाए गए टेंट-पंडाल से संबंधित किये गये भुगतान की जानकारी श्री अब्दुल वाहिद रवानी आत्मज अब्दुल मजीद रवानी, निवासी वार्ड नंबर 21, बाजार पारा बेमेतरा, जिला-बेमेतरा को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत कार्यपालन अभियंता, लोक निर्माण विभाग भवन/सड़क, संभाग बेमेतरा के पत्र क्रमांक 4630/सू.अ.लि./25, दिनांक 28.08.2025 को जानकारी प्रदान किया गया है। श्री रवानी द्वारा सूचना का अधिकार के माध्यम से बेमेतरा संभाग में दिनांक 18.06.2025 को गुरूनानक टेंट हाऊस एवं केटरर्स, गुरूदेव टेंट हाउस एवं केटरर्स, खालसा टेंट केटरिंग एवं लाइट को किये गये भुगतान राशि रू. 3.97 करोड़ के बिल व्हाउचर सहित मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के प्रोटोकॉल एवं कलेक्टर महोदय के आदेश की प्रति कार्यपालन अभियंता ने दिनांक 28.08.2025 को जानकारी प्रदान की है। विभाग द्वारा प्रदान की गई जानकारी में ऐसे किसी भी बिल का कोई उल्लेख नहीं है और विभाग का ऐसे किसी भी बिल से कोई संबंध नहीं है, जो सोशल मीडिया में भ्रामक रूप से प्रसारित हो रही है। जिन कार्यक्रमों का भुगतान किया गया है, उसका विवरण निम्नानुसार है – इस प्रकार उपरोक्त भुगतान से स्पष्ट है कि किसी भी निजी कार्यक्रम का और विशेषकर दिनांक 09.08.2024 के किसी कार्यक्रम जिसे लेकर विभाग और उप मुख्यमंत्री के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाई गई है, का भुगतान लोक निर्माण विभाग द्वारा नहीं हुआ है। समस्त कार्यक्रमों का विस्तृत माप पुस्तिका, देयक की कॉपी तथा कार्यक्रमों की फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी कार्यालयीन अभिलेख में उपलब्ध है। भुगतान करने के पूर्व सेवानिवृत्त कार्यपालन अभियंता श्री निर्मल सिंह ठाकुर के द्वारा सिर्फ ऊपर उल्लेखित 12 कार्यक्रमों का भुगतान आदेश पारित किया गया है तथा समस्त भुगतान वर्तमान कार्यपालन अभियंता (श्री डी.के. चंदेल) के द्वारा किया गया है तथा नियमानुसार समस्त शासकीय प्रयोजनार्थ किये गये टेंट आदि के भुगतान पूर्व माप का रिकार्ड उप अभियंताओं एवं अनुविभागीय अधिकारियों के द्वारा किया गया है। किसी भी निजी कार्यक्रम के लिए कोई भुगतान नहीं हुआ है। लोक निर्माण विभाग ने बताया है कि उप मुख्यमंत्री के किसी भी निजी कार्यक्रम का कोई भी भुगतान विभाग द्वारा नहीं किया गया है। विभाग द्वारा ऐसी कोई भी भ्रामक जानकारी फैलाने वालों के ऊपर यथासमय विधिसम्मत कार्यवाही की जाएगी।

CM Vishnu: Implementation of the Chief Minister's announcement, individuals identified for the Baiga Guniya Hadjod Samman will receive an incentive of Rs 5,000 per year.
Chhattisgarh

CM Vishnu : मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल, बैगा गुनिया हड़जोड़ सम्मान के लिए चिन्हित व्यक्तियों को मिलेगी प्रति वर्ष 5 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि

रायपुर, 07 नवम्बर। CM Vishnu : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की घोषणा के अनुरूप अनुसूचित जनजाति वर्ग के बैगा, गुनिया एवं हड़जोड़ के चिन्हित व्यक्तियों को प्रति वर्ष 5,000 रुपए की सम्मान सह-प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। इस योजना को ‘मुख्यमंत्री बैगा गुनिया हड़जोड़ सम्मान योजना (अनुसूचित जनजाति) वर्ष 2025’ के नाम से जाना जाएगा। योजना के संबंध में 6 नवम्बर को आदिम जाति विकास विभाग द्वारा विस्तृत अधिसूचना जारी की गई है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के जनजातीय बाहुल्य ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत रूप से वनौषधीय चिकित्सा संबंधी कार्यों में संलग्न बैगा, गुनिया एवं हड़जोड़ लोगों की परंपरागत वनौषधीय चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहित करने और उनके सेवा एवं योगदान को मान्यता देने के उद्देश्य से, जनजातीय गौरव दिवस 15 नवम्बर 2024 के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय द्वारा प्रति चिन्हित व्यक्ति को प्रतिवर्ष 5,000 रुपए की सम्मान सह-प्रोत्साहन निधि प्रदान करने की घोषणा की गई थी। आदिम जाति विकास विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में उल्लेखित है कि ‘मुख्यमंत्री बैगा, गुनिया-हड़जोड़ सम्मान योजना’ का उद्देश्य जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के अंतर्गत परंपरागत रूप से वनौषधियों के ज्ञान में दक्ष बैगा, गुनिया और हड़जोड़ व्यक्तियों के पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करना, उसे आगामी पीढ़ियों तक हस्तांतरित करना और उनके वनौषधीय चिकित्सकीय अनुभवों का अभिलेखीकरण कर उनकी आजीविका एवं सेवा को सुदृढ़ बनाना है। अधिसूचना में यह भी उल्लेख किया गया है कि जनजाति समाजों में वनौषधीय चिकित्सा संबंधी अनुभव परिवारों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होते हैं। अनुसूचित क्षेत्रों के ग्रामों में ऐसे बैगा, गुनिया एवं हड़जोड़ व्यक्ति जो विगत तीन वर्षों से वनौषधीय चिकित्सा सेवा कार्य में संलग्न हैं, उन्हें संरक्षित करने और सम्मानित करने के उद्देश्य से प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिवर्ष 5,000 रुपए की सम्मान राशि प्रदान की जाएगी। छत्तीसगढ़ राज्य के अनुसूचित जनजाति वर्ग के स्त्री, पुरुष एवं तृतीय लिंग (ट्रांसजेंडर) व्यक्ति, जो बैगा, गुनिया या हड़जोड़ के रूप में कम से कम 30 वर्षों से अपने स्थानीय क्षेत्र में सेवाएँ दे रहे हैं तथा जिनके परिवार में कम से कम दो पीढ़ियों से वनौषधीय चिकित्सा का ज्ञान स्थानांतरित हुआ है, पात्र माने जाएंगे। साथ ही, जो व्यक्ति पादप औषधि बोर्ड, आयुष विभाग, वन विभाग या लघु वनोपज संघ जैसी पंजीकृत संस्थाओं से जुड़े हुए हैं, उनका चयन निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ग्राम स्तर पर किया जाएगा। ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायत द्वारा प्रेषित नामों की अनुशंसा ग्राम स्तर पर ग्राम सचिव, सरपंच, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन तथा प्राथमिक अथवा माध्यमिक शाला के प्रधानपाठक द्वारा अनुमोदित की जाएगी। इस अनुशंसा के आधार पर संबंधित जिले के सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास स्तर पर गठित समिति — जिसमें संबंधित जनपद अध्यक्ष, अनुसूचित जनजाति वर्ग के एक जनपद सदस्य, मुख्य कार्यपालन अधिकारी (जनपद पंचायत) एवं मंडल संयोजक शामिल होंगे — द्वारा अनुशंसित नामों का परीक्षण और सत्यापन किया जाएगा। सत्यापित सूची आयुक्त, आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास कार्यालय को प्रेषित की जाएगी। समिति द्वारा किसी मान्यता प्राप्त संस्था से प्रशिक्षण प्राप्त सदस्यों का विशेष रूप से उल्लेख किया जाएगा। ग्राम सभा/ग्राम पंचायत से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर तथा जनपद स्तर पर गठित समिति की अनुशंसा के उपरांत सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास द्वारा कलेक्टर से अनुमोदन प्राप्त कर प्रस्ताव आयुक्त, आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास को भेजा जाएगा। प्राप्त प्रस्तावों के अनुसार जिलों को आवश्यक धनराशि का आबंटन किया जाएगा। तत्पश्चात सहायता राशि का वितरण जिला कलेक्टर द्वारा किया जाएगा तथा सम्मान निधि प्राप्त व्यक्तियों की सूची संबंधित ग्राम सभा में सार्वजनिक रूप से पढ़ी जाएगी। “छत्तीसगढ़ की जनजातीय परंपराएं हमारे सांस्कृतिक वैभव और प्राचीन ज्ञान का जीवंत प्रतीक हैं। बैगा, गुनिया और हड़जोड़ हमारे समाज के वे सम्मानित जन हैं, जिन्होंने सदियों से वनौषधीय चिकित्सा की लोकपरंपरा को जीवित रखा है। उनकी इस अनमोल सेवा और ज्ञान को सम्मान देने के लिए राज्य सरकार ने “मुख्यमंत्री बैगा गुनिया हड़जोड़ सम्मान योजना” प्रारंभ की है। इस योजना के माध्यम से हम न केवल उनके योगदान को मान्यता दे रहे हैं, बल्कि उनकी परंपरागत चिकित्सा प्रणाली को संरक्षित करते हुए आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प भी निभा रहे हैं।” – मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय

Durg: There has been a revolutionary change in the rate of malnutrition in Durg, a historic decline in the malnutrition rate from 50.4 percent to 7.95 percent in 25 years.
Chhattisgarh

Durg : दुर्ग में कुपोषण की दर में आया क्रांतिकारी बदलाव, 25 वर्षों में कुपोषण दर में 50.4 प्रतिशत से 7.95 प्रतिशत तक की ऐतिहासिक गिरावट

रायपुर,  07 नवंबर। Durg : महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा दुर्ग जिले में पिछले 25 वर्षों में अविस्मरणीय उपलब्धि हासिल की गई है, जिसने ज़िले के बाल स्वास्थ्य परिदृश्य को पूरी तरह से बदल दिया है। शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं के क्रियान्वयन तथा विभाग की अथक मेहनत का परिणाम है कि दुर्ग ज़िले में कुपोषण की दर राज्य में सबसे कम है। यह सफलता कई बच्चों को कुपोषण के अँधेरे से निकालकर सुपोषण के उजाले की ओर ले जाने की एक प्रेरक गाथा है। गृह भेंट और सही पोषण आहार से कुपोषण से सुपोषण का सफर जिले की 77 पंचायतों को कुपोषण से मुक्त करने के लक्ष्य के तहत, ग्राम पंचायत करेला का नन्हा बालक यक्ष कभी मध्यम कुपोषण की श्रेणी में था, उसका वजन मात्र 9.8 किलोग्राम था। मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना के अंतर्गत हुए परीक्षण में यह पाया गया कि यक्ष घर का पोषक खाना न खाकर बाजार के पैकेट वाले खाद्य पदार्थों पर अधिक निर्भर था। पर्यवेक्षक श्रीमती ममता साहू और कार्यकर्ता श्रीमती दुर्गेश्वरी वर्मा ने गृहभेंट कर यक्ष के माता-पिता को पोषण के प्रति जागरूक किया। उन्हें घर के बने पोषक भोजन, अंकुरित अनाज और रेडी-टू-ईट के महत्व को समझाया गया। ग्राम सरपंच डॉ. राजेश बंछोर ने भी पोषण खजाना योजना के तहत फूटा चना, मूंग, गुड़ आदि उपलब्ध कराया। इन समेकित प्रयासों का परिणाम यह हुआ कि यक्ष को नया जीवन मिला। वर्तमान में यक्ष का वजन 11.5 किलोग्राम है, वह सामान्य श्रेणी में आ गया है और पूरी तरह स्वस्थ है। यह कहानी दर्शाती है कि शासन की योजनाएँ किस प्रकार ज़मीनी स्तर पर बच्चों का भविष्य बदल रही हैं। आँगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 1551 हो गई विगत 25 वर्षों में महिला एवं बाल विकास विभाग ने दुर्ग में अपनी पहुँच और सेवाओं में अभूतपूर्व विस्तार किया है। वर्ष 2000 में ज़िले में एकीकृत बाल विकास सेवा की केवल 5 परियोजनाएँ संचालित थीं, जो अब बढ़कर 8 हो गई है, जबकि सेक्टरों की संख्या 35 से बढ़कर 59 तक पहुँच गई है। संचालित आँगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 819 से बढ़कर 1551 हो गई है। यह विस्तार गुणवत्ता के साथ हुआ है, जहाँ स्वयं के भवन में संचालित आँगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 286 से बढ़कर 1193 हो गई है, जो किराए पर निर्भरता को कम करते हुए कार्यक्रमों को एक स्थिर आधार प्रदान करता है।  1491 आँगनबाड़ी भवनों में मूलभूत सुविधाएं आधारभूत संरचना के क्षेत्र में भी क्रांति आई है। जहां वर्ष 2000 में आँगनबाड़ी भवनों में बिजली और शौचालय की उपलब्धता नहीं थी।  विभाग के प्रयासों से अब 1491 आँगनबाड़ी भवनों में शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएँ पहुँच चुकी हैं। इसके साथ ही स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता भी 1513 केंद्रों में सुनिश्चित की गई है। दुर्ग में अब 16 पालना केंद्र भी संचालित किए जा रहे हैं। इन सब प्रयासों का व्यापक प्रभाव बाल स्वास्थ्य पर देखा जा रहा है।  वर्ष 2025 में कुपोषण दर 7.95 प्रतिशत रह गया वर्ष 2000 में जहां कुपोषण का प्रतिशत 50.4 था, जो भयावह प्रतीत होता था। वर्ष 2025 में यह ऐतिहासिक रूप से गिरकर मात्र 7.95 प्रतिशत रह गया है। पहले जहां गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 5 हजार 688 थी, जो अब घटकर केवल 748 रह गई है। इसी प्रकार मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या भी 17 हजार 431 से घटकर 5 हजार 448 रह गई है। इस दौरान ज़िले में सामान्य बच्चों की संख्या भी लगभग 23 हज़ार से बढ़कर 72 हजार हो गई है, जो ज़िले के भविष्य के लिए एक उज्जवल संकेत है। 300 ग्राम पंचायतों और 332 वार्ड  बाल विवाह  मुक्त विभाग ने कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के मानदेय में भी वृद्धि हुई है, जिससे सेवा की गुणवत्ता भी सुनिश्चित हो सकी है। इसके अलावा विभाग ने सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध भी मोर्चा संभाला है। अब जिले के 300 ग्राम पंचायतों और 332 वार्डों को बाल विवाह से भी मुक्त घोषित किया जा चुका है। 43 आँगनबाड़ी केंद्र कुपोषण मुक्त घोषित किए गए हैं। विभाग की यह सफलता दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प और अथक प्रयासों से कोई भी चुनौती असंभव नहीं है।

PM Modi: Vande Mataram is an inspiring expression of devotion and worship of Mother India; the national anthem resonates in Chhattisgarh; the occasion of the 150th anniversary of Vande Mataram becomes special.
Chhattisgarh

PM Modi : वंदे मातरम् मां भारती की साधना और आराधना की प्रेरक अभिव्यक्ति, छत्तीसगढ़ की फिज़ा में गूंजा राष्ट्रगीत, वंदे मातरम् के 150वें स्मरणोत्सव का अवसर बना खास

रायपुर, 07 नवम्बर।PM Modi : ‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रगीत की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर आज देशभर में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक दिन को छत्तीसगढ़ में भी बड़े उत्साह और गर्व के साथ मनाया गया। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने मंत्रालय महानदी भवन में वरिष्ठ अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ सामूहिक रूप से ‘वंदे मातरम्’ का गायन किया। इस अवसर पर सभी ने “वंदे मातरम्” के उद्घोष के साथ आज़ादी की राष्ट्रीय चेतना का पुण्य स्मरण किया और अमर बलिदानियों को नमन किया। मुख्यमंत्री साय ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर नई दिल्ली में आयोजित स्मरणोत्सव में वर्चुअली शामिल हुए और प्रधानमंत्री का उद्बोधन भी सुना। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में कहा कि वंदे मातरम् मां भारती की साधना और आराधना की प्रेरक अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ के सामूहिक गान का एक प्रवाह, एक लय और एक तारतम्य हृदय को स्पंदित कर देता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ का मूल भाव मां भारती है — यह भारत की शाश्वत संकल्पना, स्वतंत्र अस्तित्व-बोध और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ भारत की आज़ादी का उद्घोष था, जिसने गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने और स्वाधीन भारत के स्वप्न को साकार करने की प्रेरणा दी। स्वतंत्रता आंदोलन में यह गीत क्रांतिकारियों की आवाज़ बना और यह केवल प्रतिरोध का स्वर नहीं, बल्कि आत्मबल जगाने वाला मंत्र बन गया। श्री मोदी ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ में भारत की हजारों वर्षों पुरानी सभ्यता, संस्कृति और समृद्धि की कहानी समाहित है। विदेशी आक्रमणों और अंग्रेज़ों की शोषणकारी नीतियों के बीच ‘वंदे मातरम्’ ने समृद्ध भारत के स्वप्न का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया भारत के नए स्वरूप का उदय देख रही है, जो अपनी परंपरा, आध्यात्मिकता और आधुनिकता के समन्वय से आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना स्वतंत्रता संग्राम के समय था, और यह गीत सदैव हमारे हृदयों में अमर रहेगा। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राष्ट्रगीत की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएँ दीं और कहा कि यह गीत मातृभूमि के प्रति अगाध प्रेम, कृतज्ञता और राष्ट्रधर्म की भावना का शाश्वत प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे देश ने एक स्वर में ‘वंदे मातरम्’ का सामूहिक गायन कर मातृभूमि की वंदना की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के वर्षभर चलने वाले स्मरणोत्सव का आज माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा राष्ट्रव्यापी शुभारंभ इस कालातीत रचना के 150 वर्ष पूरे होने का गौरवपूर्ण अध्याय है। इस अवसर पर वंदे मातरम् के सामूहिक गायन के साथ ही माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा स्मारक सिक्के का जारी होना एक ऐतिहासिक स्मृति है। श्री बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित वंदे मातरम् गीत भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा रहा है, जिसने सदैव राष्ट्रीय गौरव, एकता और आत्मसम्मान की ज्योति प्रज्वलित की है। यह मातृभूमि की शक्ति, समृद्धि और दिव्यता का प्रतीक है, साथ ही भारत की एकता और आत्मगौरव की काव्यात्मक अभिव्यक्ति है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि 7 नवम्बर 1875 को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने इस कालजयी रचना की सृष्टि की थी, जिसे बाद में उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंद मठ’ में शामिल किया गया। मातृभूमि की स्तुति में रचा गया यह गीत स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देशभक्ति की सबसे प्रबल प्रेरणा बना। अनेक क्रांतिकारियों ने “वंदे मातरम्” कहते हुए हँसते-हँसते अपने प्राण न्योछावर कर दिए। वंदे मातरम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक बन गया। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि 1905 में बंगाल विभाजन के समय ‘वंदे मातरम्’ ने स्वदेशी आंदोलन को नई ऊर्जा दी। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक यह गीत सांस्कृतिक एकता और राष्ट्रभक्ति का मंत्र बन गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ सुनते ही हृदय में ऊर्जा, गर्व और देशभक्ति का संचार होता है। यह गीत हमें स्मरण कराता है कि हमारी भूमि, जल, अन्न और संस्कृति ही हमारी जीवनदायिनी शक्ति हैं। उन्होंने कहा, “यूरोप में भूमि को ‘फादरलैंड’ कहा जाता है, लेकिन भारत में हम अपनी भूमि को ‘मातृभूमि’ कहते हैं।” यह भाव रामायण के श्लोक “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” में प्रकट होता है। ‘वंदे मातरम्’ भी इसी भाव से जन्मा हमारा ध्येय-वाक्य है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि इस पहल से भावी पीढ़ी को हमारे अतीत के संघर्षों और ‘वंदे मातरम्’ जैसी अमर रचनाओं की आज़ादी की लड़ाई में भूमिका के बारे में जानने का सुंदर अवसर मिलेगा। उन्होंने इस अवसर पर सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे विकसित भारत और विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण का संकल्प लें और इसे भारत माता तथा छत्तीसगढ़ महतारी को समर्पित करें। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ को समर्पित स्मारक सिक्का तथा डाक टिकट का विमोचन किया। साथ ही, इस अवसर पर ‘वंदे भारत पोर्टल’ (vandematram150.in) का शुभारंभ भी किया। इस पोर्टल के माध्यम से देशवासी अपनी आवाज़ में ‘वंदे मातरम्’ रिकॉर्ड कर इस ऐतिहासिक यात्रा से जुड़ सकते हैं। यह पहल लोगों को भारत की गौरवशाली विरासत का हिस्सा बनने का अवसर प्रदान करेगी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर छायाचित्र प्रदर्शनी का किया शुभारंभ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मंत्रालय महानदी भवन में ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित छायाचित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रदर्शनी का विस्तार से अवलोकन करते हुए ‘वंदे मातरम्’ के सृजन से लेकर इसके राष्ट्रीय चेतना के प्रतीक बनने तक की ऐतिहासिक यात्रा का अवलोकन किया। उन्होंने प्रदर्शनी को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह भारत के गौरवशाली इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम के दौर की अनेक अनकही कहानियों को उजागर करती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी प्रदर्शनी नई पीढ़ी को देश की आज़ादी के मूल भाव और ‘वंदे मातरम्’ की प्रेरक भूमिका से परिचित कराती है। इस अवसर पर सांसद श्री चिंतामणि महाराज, मुख्य सचिव श्री विकास शील, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह, संस्कृति विभाग के सचिव श्री रोहित यादव, मुख्यमंत्री के सचिव श्री राहुल भगत, श्री मुकेश बंसल, श्री पी. दयानंद, डॉ. बसवराजू एस. सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

Governor Ramen Deka: Chhattisgarh is progressing in every field... The Governor presented medals to meritorious students at the convocation ceremony of OFT University.
Education

Governor Ramen Deka : छत्तीसगढ़ हर क्षेत्र में आगे बढ रहा है… ऑफ्ट विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने मेधावी विद्यार्थियों को प्रदान किए पदक

रायपुर, 06 नवंबर। Governor Ramen Deka : छत्तीसगढ़ हर क्षेत्र में आगे आगे बढ रहा है। उन्होंने कहा कि देखे, सोचे और अवसर का उपयोग करें। अपने लक्ष्य की प्राप्त करने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति होना जरूरी हैं। यह उद्गार राज्यपाल रमेन डेका ने आज ऑफ्ट विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय की प्रावीण्य सूची में स्थान प्राप्त करने वाले 65 मेधावी विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक सहित 324 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गई। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि अनुशासन और समय का पाबंद होना प्रबंधन का महत्वपूर्ण भाग है। अपने समय का सद्पयोग कर, अपनी क्षमता और योग्यता का विकास करें। अपने स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें क्योकि शरीर स्वस्थ रहेगा तभी पूर्ण क्षमता से कार्य कर पायेंगे। उन्होंने सिनेमा, फोटोग्राफी, फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में भी विस्तृत संभावनाओं का उल्लेख किया। श्री डेका ने कहा कि सिनेमा वह माध्यम जिसके द्वारा हम संदेश दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस देश ने हमें बहुत कुछ दिया है, हमें भी इसके बारे में सोचना चाहिए।  राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थी काल आपके जीवन का एक बहुत संदर पड़ाव है। जब आप कॉलेज से निकलते हैं उसके बाद ही आपका संघर्ष प्रारंभ होता है। जीवन में एक काम ऐसा करिये जो लाभ के लिए न हो बल्कि बदलाव के लिए हो। समाज आपकी ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है, उसके लिए काम करें। हमारा एक-एक प्रयास भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की ओर आगे बढ़ाएगा।   विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. संदीप मारवाह, विधायक पद्मश्री अनुज शर्मा, छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के चेयरमेन श्री वी. के. गोयल ने भी अपना संबोधन दिया। विश्वविद्यालय के संचालक प्रोफेसर श्रीमती शिखा वर्मा ने विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।  इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, छात्र-छात्राएं एवं उनके पालकगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

150 years of “Vande Mataram: The year-long festival of national pride and public participation will start from November 7, Chhattisgarh will echo with the echo of “Vande Mataram” – The festival of national unity and pride will run throughout the year.
Chhattisgarh

150 years of “Vande Mataram : राष्ट्रगौरव और जनभागीदारी का वर्षभर चलने वाला उत्सव 7 नवम्बर से होगा प्रारंभ, वंदे मातरम्” की गूंज से गूंजेगा छत्तीसगढ़ – वर्षभर चलेगा राष्ट्रीय एकता और गौरव का महोत्सव

रायपुर, 06 नवम्बर। 150 years of “Vande Mataram : “वंदे मातरम्” की 150वीं वर्षगांठ पूरे देश के लिए गर्व और राष्ट्रभक्ति का अद्वितीय अवसर है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के मार्गदर्शन में इस ऐतिहासिक पर्व को वर्षभर चलने वाले महाअभियान के रूप में मनाया जा रहा है। देश के साथ छत्तीसगढ़ में भी यह आयोजन जनभागीदारी के साथ चार चरणों में ग्राम पंचायत से लेकर राज्य स्तर तक भव्य रूप में संपन्न किया जाएगा। पहला चरण 7 नवम्बर से होगा प्रारंभ वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर कार्यक्रम का शुभारंभ 7 नवम्बर 2025 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया जाएगा। यह राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रातः 10 से 11 बजे तक दूरदर्शन पर प्रसारित होगा। प्रधानमंत्री के उद्बोधन के पश्चात पूरे देश में एक साथ वंदे मातरम् का सामूहिक गायन किया जाएगा। गीत के बोल और धुन पोर्टल vandemataram150.in पर उपलब्ध हैं। चार चरणों में होगा वर्षभर आयोजन कार्यक्रम चार चरणों में आयोजित होगा- प्रथम चरण 7 से 14 नवम्बर 2025, द्वितीय चरण 19 से 26 जनवरी 2026, तृतीय चरण 7 से 15 अगस्त 2026 (हर घर तिरंगा अभियान के साथ), और चतुर्थ चरण 1 से 7 नवम्बर 2026 तक चलेगा। इस दौरान राज्य के सभी जिलों, जनपदों, ग्राम पंचायतों, शैक्षणिक संस्थानों, कार्यालयों एवं सामाजिक संगठनों में राष्ट्रगीत के सामूहिक गायन के साथ विविध कार्यक्रम आयोजित होंगे। जिलों में मंत्रीगण और जनप्रतिनिधियों की सहभागिता राज्य के सभी जिलों में मंत्रीगण, सांसदगण, विधायकगण और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में विशेष कार्यक्रम आयोजित होंगे।प्रत्येक जिले में स्थानीय कलाकारों, छात्रों, सामाजिक संस्थाओं और नागरिक समूहों की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी, ताकि यह अभियान एक जनआंदोलन का रूप ले सके। विद्यालयों में विशेष गतिविधियाँ और रचनात्मक आयोजन प्रदेश के सभी विद्यालयों, महाविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में “वंदे मातरम्” विषय पर विशेष सभाएँ, निबंध, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी, पोस्टर निर्माण, एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताएँ होंगी। एनसीसी, एनएसएस, स्काउट-गाइड और स्कूल बैंड के माध्यम से वंदे मातरम से संबंधित संगीतमय प्रस्तुतियाँ दी जाएँगी। राज्य पुलिस बैंड भी सार्वजनिक स्थलों पर वंदे मातरम और देशभक्ति गीतों पर आधारित कार्यक्रमों से वातावरण को देशभक्ति के रंग में रंगेगा। ‘वंदे मातरम् ऑडियो-वीडियो बूथ’ एक अभिनव पहल राज्यभर में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत “वंदे मातरम् ऑडियो-वीडियो बूथ” स्थापित किए जाएंगे। इनमें नागरिक अपनी आवाज़ में वंदे मातरम् गाकर उसे पोर्टल पर अपलोड कर सकेंगे। पोर्टल पर गीत की मूल धुन और बोल की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। यह पहल लोगों को अपने तरीके से राष्ट्रप्रेम व्यक्त करने का अवसर देगी और आंदोलन को अधिक व्यक्तिगत और भावनात्मक बनाएगी। “वंदे मातरम्” की 150वीं वर्षगांठ केवल एक स्मरणीय अवसर नहीं, बल्कि राष्ट्र की एकता, आत्मगौरव और मातृभूमि के प्रति समर्पण का जीवंत संदेश है। यह आयोजन छत्तीसगढ़ की नई पीढ़ी को भारत की सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ते हुए उनमें देशभक्ति, कर्तव्यनिष्ठा और राष्ट्रीय चेतना की भावना को और गहराई देगा। वंदे मातरम् केवल गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का स्वर है, जिसकी गूंज हर नागरिक के हृदय में नई ऊर्जा और गर्व का संचार करेगी। – मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय

Vice President Radhakrishnan: Lakhpati Didi is an example of women empowerment and rural prosperity, Vice President, Governor and Chief Minister attended the Lakhpati Didi conference in Rajnandgaon.
Chhattisgarh

Vice President Radhakrishnan : लखपति दीदी महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण समृद्धि की मिसाल, राजनांदगांव में लखपति दीदी सम्मेलन में शामिल हुए उपराष्ट्रपति राज्यपाल और मुख्यमंत्री

रायपुर, 05 नवम्बर। Vice President Radhakrishnan : राजनांदगांव के स्टेट हाई स्कूल मैदान में आयोजित लखपति दीदी सम्मेलन में देश के उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन, राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह सहित अनेक जनप्रतिनिधि शामिल हुए। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने महतारी वंदन योजना और नियद नेल्लानार योजना के तहत 69 लाख 15 हजार 273 हितग्राहियों को कुल 647 करोड़ 28 लाख 36 हजार 500 रुपए की राशि डीबीटी के माध्यम से अंतरित की। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति श्री राधाकृष्णन ने कहा कि लखपति दीदी आत्मनिर्भरता और सम्मान का प्रतीक हैं। यह केवल आय का कार्यक्रम नहीं, बल्कि महिलाओं के आत्मविश्वास और समाज में उनके बढ़ते प्रभाव का उत्सव है। उन्होंने कहा कि राजनांदगांव जिला महिला सशक्तिकरण का उदाहरण बन चुका है, जहां महिलाएं आर्थिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर अग्रसर हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए चल रहे प्रयासों की सराहना की और कहा कि छत्तीसगढ़ आज बिजली उत्पादन, स्वास्थ्य, शिक्षा और अधोसंरचना के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि लखपति दीदी आंदोलन दिखाता है कि जब महिलाएं संगठित होती हैं, तो परिवर्तन की गाथाएं स्वयं लिखती हैं। अपने संबोधन में राज्यपाल श्री रमेन डेका ने कहा कि लखपति दीदी सम्मेलन केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि यह आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़ की जीवंत तस्वीर है। यह सम्मेलन इस बात का प्रमाण है कि ग्रामीण महिलाओं की मेहनत, संकल्प और आत्मबल से कैसे समृद्धि का नया अध्याय लिखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज हर जिले में महिलाएं स्वसहायता समूहों के माध्यम से आर्थिक रूप से सक्षम हो रही हैं। बलरामपुर में महिलाएं बाड़ी विकास और विपणन में, बस्तर में वनोपज से जैविक उत्पाद तैयार करने में, और कोण्डागांव में फूड प्रोसेसिंग, सिलाई-कढ़ाई जैसे कार्यों में उल्लेखनीय योगदान दे रही हैं। राजनांदगांव जिले में ही लगभग 40 हजार लखपति दीदियां बनी हैं, जिनमें से 208 दीदियां सालाना 5 लाख रुपए से अधिक और 26 दीदियां 10 लाख रुपए से अधिक का व्यवसाय कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा केवल आर्थिक उपलब्धि नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि हर दीदी की कहानी प्रेरणा है। जब संकल्प और सामूहिक प्रयास जुड़ते हैं, तो आत्मनिर्भरता केवल सपना नहीं रहती, वह हकीकत बन जाती है। राज्यपाल ने पद्मश्री फूलबासन बाई यादव जैसी महिलाओं के कार्यों को आदर्श बताते हुए कहा कि उनके प्रयासों से नारी सशक्तिकरण का मार्ग और सशक्त हुआ है। राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में महिला उद्यमिता और स्वरोजगार के लिए देशभर में अनेक योजनाएं चल रही हैं, और छत्तीसगढ़ ने उन्हें ज़मीन पर उतारकर एक “सशक्त भारत, सशक्त छत्तीसगढ़” की मिसाल पेश की है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि सरकार का लक्ष्य प्रदेश में 7 लाख 82 हजार लखपति दीदी बनाने का है, जिनमें से अब तक 4 लाख 93 हजार दीदियां आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। उन्होंने कहा कि महतारी वंदन योजना से 70 लाख महिलाओं को प्रतिमाह एक हजार रुपए की सहायता दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि नियद नेल्लानार योजना से बस्तर के दूरस्थ इलाकों में बिजली, पानी और सड़क जैसी सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनेगा। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि लखपति दीदी सम्मेलन नारी शक्ति की पहचान और आत्मनिर्भरता की मिसाल है। उन्होंने कहा कि राजनांदगांव जिले ने विकास की दिशा में नई ऊंचाइयां हासिल की हैं  चाहे वह पीएम आवास निर्माण हो, जल संरक्षण या कुपोषण उन्मूलन का अभियान। उन्होंने महिलाओं को सशक्त बनाने और आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित करने हेतु पद्मश्री फूलबासन बाई यादव के योगदान की भी प्रशंसा की। कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल, स्कूल शिक्षा मंत्री श्री गजेन्द्र यादव, श्रम कल्याण मंडल अध्यक्ष योगेशदत्त मिश्रा, पूर्व सांसद प्रदीप गांधी, सहित अन्य जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में महिला स्वसहायता समूह की दीदियां उपस्थित थीं।

CM Pilgrimage: Under the Chief Minister's pilgrimage scheme, 800 pilgrims from Durg division left for Dwarka, Somnath and Nageshwar.
Chhattisgarh

CM Pilgrimage : मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत दुर्ग संभाग के 800 तीर्थयात्री द्वारका, सोमनाथ एवं नागेश्वर के लिए हुए रवाना

रायपुर, 05 नवम्बर। CM Pilgrimage : छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के अंतर्गत दुर्ग संभाग के 800 श्रद्धालु तीर्थयात्री आज दुर्ग रेलवे स्टेशन से भारत गौरव टूरिस्ट ट्रेन के माध्यम से द्वारका, सोमनाथ एवं नागेश्वर के लिए रवाना हुए। ट्रेन को अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं अहिवारा विधायक श्री डोमन लाल कोर्सेवाड़ा, दुर्ग नगर निगम की महापौर श्रीमती अलका बाघमार, जिला पंचायत दुर्ग की अध्यक्ष श्रीमती सरस्वती बंजारे एवं कलेक्टर श्री अभिजीत सिंह ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रवाना होने से पूर्व विधायक श्री कोर्सेवाड़ा एवं अन्य जनप्रतिनिधियों ने ट्रेन में सवार यात्रियों से भेंटकर उन्हें शुभकामनाएं दीं और यात्रा की सफलता की कामना की। इस यात्रा में दुर्ग जिले से 459, बालोद जिले से 189, बेमेतरा जिले से 146 तथा समाज कल्याण संचालनालय, छत्तीसगढ़ से 6 तीर्थयात्री सम्मिलित हुए हैं। तीर्थयात्रियों की सुविधा एवं सुरक्षा के लिए नोडल अधिकारी, सहायक नोडल अधिकारी, अनुरक्षक एवं चिकित्सा दल सहित सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं। इस यात्रा को लेकर यात्रियों में विशेष उत्साह देखा गया। उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन की इस जनकल्याणकारी पहल की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के प्रति आभार व्यक्त किया।  इस अवसर पर जिला प्रशासन एवं पुलिस विभाग के अधिकारी, पर्यटन तथा रेलवे विभाग के अधिकारीगण और बड़ी संख्या में नगरवासी उपस्थित थे।