Author name: Ek Janta Ki Awaaz

Tribal Museum: Union Minister Oram reviewed the preparations for the inauguration of the Tribal Museum; Prime Minister Narendra Modi will inaugurate the museum on November 1, on the State Festival.
Chhattisgarh

Tribal Museum : केन्द्रीय मंत्री ओराम ने जनजातीय संग्रहालय के लोकार्पण की तैयारियों का लिया जायजा, राज्योत्सव पर 1 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे संग्रहालय का उद्घाटन

रायपुर, 30 अक्टूबर। Tribal Museum : केन्द्रीय जनजातीय मामले के मंत्री जोएल ओराम ने आज शाम निर्माण स्थल पहुंच कर नवा रायपुर, अटल नगर मे छत्तीसगढ़ के जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेननियों के शौर्य गाथा की स्मृति में तैयार भव्य एवं आकर्षक शहीद वीरनारायण सिंह स्मारक सह-संग्रहालय के लोकार्पण की तैयारियों का जायजा लिया। गौरतलब है कि प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी राजयोत्सव के मौके पर 01 नवंबर को शहीद वीर नारायण सिंह जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारक सह-संग्रहालय का उदघाटन करेंगे। केन्द्रीय मंत्री श्री ओराम ने इस दृष्टिकोण से सुरक्षा सहित अन्य अवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। छत्तीसगढ़ सरकार में आदिम जाति विकास मंत्री श्री रामविचार नेताम और विभाग के प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा ने इस दौरान केन्द्रीय मंत्री श्री जोएल ओराम को छत्तीसगढ़ मे हुए जनजातीय विद्रोहों और स्थापित गैलरियों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। मंत्री श्री ओराम ने जनजातीय संस्कृति एवं परंपराओं पर बने संग्रहालय का भी निरीक्षण किया । मंत्री श्री नेताम ने श्री ओराम को बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आव्हान पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में जनजाति के वर्ग के ऐतिहासिक घटनाओं और परंपराओं के संरक्षण व संर्वधन के उद्देश्य से इन संग्रहालय के निर्माण का बिडा उठाया है, जो बनकर तैयार है। छत्तीसगढ़ रजत जंयती वर्ष, राज्योत्सव के मौके पर 1 नवम्बर को प्रधानमंत्री श्री मोदी के करकमलों से इस संग्रहालय का लोकार्पण होगा। केन्द्रीय मंत्री श्री ओराम ने जनजाति नायक-नायिकाओं के वीरगाथाओं पर तैयार इस जीवंत संग्रहालय की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जनजातीय वर्गों के ऐतिहासिक गौरव गाथा, शौर्य और बलिदान का प्रतीक यह स्मारक सह-संग्रहालय लोगों के समर्पित होगा है और यह संग्रहालय नई पीढ़ियों को पुरखों की वीर गाथाओं को अवस्मरणीय बनाएगा।  उल्लेखनीय है कि शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारक सह-संग्रहालय 50 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया जा रहा है। यहां 16 गैलरियों में अंग्रेजी हुकूमत काल में जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की मूर्तियां लगाई गई है। जनजातीय विद्रोहों के बारे में लोग आसानी से समझ सके इस लिहाज से डिजीटली व्यवस्था भी की गई है। इस अवसर पर उनके साथ विधायक श्री किरण सिंह देव, आदिम जाति विकास विभाग के आयुक्त डॉ. सारांश मित्तर, टीआरटीआई संचालक श्रीमती हिना अनिमेष नेताम सहित निर्माण कार्य में लगे अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

Bastar: Significant development of health facilities in Bastar district in 25 years, health revolution has saved millions of lives
Chhattisgarh

Bastar : बस्तर जिले में 25 वर्षों में स्वास्थ्य सुविधाओं का उल्लेखनीय विकास, स्वास्थ्य क्रांति से लाखों जीवन हुए सुरक्षित

रायपुर, 30 अक्टूबर। Bastar : राज्य गठन के बाद बीते 25 वर्षों में बस्तर संभाग में स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक परिवर्तन और उल्लेखनीय सुधार देखने को मिले हैं। पहले जहां ग्रामीण और अंदरूनी इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित थीं, वहीं अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल तक आधुनिक संसाधनों और विशेषज्ञ डॉक्टरों से सुसज्जित हो चुके हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के 25 वर्ष पूरे होने पर बस्तर जिले की स्वास्थ्य सेवाओं में आई क्रांतिकारी बदलाव की कहानी प्रेरणादायक है। दूर-दराज के आदिवासी इलाकों में जहां कभी बुनियादी चिकित्सा सुविधाएं भी दुर्लभ थीं, वहां आज आधुनिक मेडिकल कॉलेज, सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और मजबूत ग्रामीण स्वास्थ्य नेटवर्क खड़े हो चुके हैं। यह प्रगति न केवल लाखों लोगों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ा रही है, बल्कि क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक उन्नति का आधार भी बन रही है।   स्व. बलीराम कश्यप स्मृति शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय: बस्तर का स्वास्थ्य गढ़ वर्ष 2006 में स्थापित यह मेडिकल कॉलेज बस्तर की स्वास्थ्य क्रांति का प्रतीक है। शुरुआत में प्रतिवर्ष 50 सीटों पर प्रवेश के साथ शुरू हुए इस कॉलेज का भूमि पूजन तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा 9 अगस्त 2006 को किया गया। निर्माण कार्य 2010 में शुरू होकर फरवरी 2013 में पूरा हुआ, और 3 अक्टूबर 2013 को मुख्यमंत्री द्वारा इसका लोकार्पण किया गया। मार्च 2014 में जगदलपुर से डिमरापाल में स्थानांतरित होने के बाद, यह कॉलेज प्रदेश का एकमात्र वायरोलॉजी लैब संचालित कर रहा है, जो माइक्रोबायोलॉजी विभाग में स्थित है। भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) से मान्यता प्राप्त इस संस्थान में एमसीआई मानकों के अनुरूप सभी चिकित्सा उपकरण उपलब्ध हैं। अस्पताल का स्थानांतरण 6 जुलाई 2018 को नए भवन में हो चुका है, जिससे विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं और मजबूत हुई हैं। यह कॉलेज न केवल डॉक्टर तैयार कर रहा है, बल्कि महामारी जैसी चुनौतियों से निपटने में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल: बस्तर को मिला विश्व स्तरीय स्वास्थ्य केंद्र संभाग मुख्यालय जगदलपुर में डिमरापाल स्थित सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल अब बनकर तैयार है और जल्द ही सेवाएं शुरू होने वाली हैं। यह अस्पताल जटिल रोगों के इलाज में क्रांति लाएगा, जहां हृदय, किडनी और न्यूरो जैसी स्पेशलिटी सेवाएं उपलब्ध होंगी। बस्तर जैसे सुदूर क्षेत्र में यह अस्पताल स्थानीय लोगों को बड़े शहरों की यात्रा से मुक्ति दिलाएगा, जिससे समय और खर्च दोनों की बचत होगी। महारानी अस्पताल: 1937 से जारी सेवा का आधुनिकीकरण 1937 से बस्तर संभाग का सबसे बड़ा शासकीय अस्पताल महारानी अस्पताल आज भी स्वास्थ्य सेवाओं का मजबूत स्तंभ है। अगस्त 2006 से यह स्व. बलीराम कश्यप चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल के रूप में जाना जाता था, जहां 500 बिस्तर सक्रिय थे। 6 जुलाई 2018 से मेडिकल कॉलेज के अलग होने के बाद इसे पुनः महारानी अस्पताल के रूप में स्थापित किया गया। अस्पताल के जीर्णोद्धार के तीन चरणों में धन्वंतरी ओपीडी, सुश्रुत अस्थि रोग शल्य चिकित्सा कॉम्प्लेक्स, डिजिटल एक्स-रे, आईसीयू, मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर जैसी सुविधाएं शुरू की गईं। दूसरे चरण में फिजियोथेरेपी, आयुष विभाग और ऑडिटोरियम जोड़े गए, जबकि तीसरे चरण में कादम्बिनी मातृ-शिशु स्वास्थ्य संस्थान ने गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए टीकाकरण, सोनोग्राफी, प्रसव पूर्व-पश्चात जांच, सामान्य-सिजेरियन डिलीवरी, परिवार नियोजन और सीटी स्कैन जैसी सेवाएं शुरू कीं। वर्तमान में 200 बिस्तरों वाला यह अस्पताल दैनिक 700-800 ओपीडी, 40-45 आईपीडी, 8 प्रसव, 2200-2500 पैथोलॉजी टेस्ट और 65 एक्स-रे संचालित कर रहा है। प्रमुख विभागों में हमर लैब पैथोलॉजी, सर्जरी, मेजर सर्जरी, स्त्री रोग/प्रसूति, नेत्र चिकित्सा, कैंसर, इमरजेंसी, रेडियोलॉजी, शिशु रोग, अस्थि रोग और डायलिसिस शामिल हैं। भविष्य में 12 बिस्तर शिशु आईसीयू, जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र और 30 बिस्तर डेडिकेटेड शिशु वार्ड शुरू होने वाले हैं। महारानी अस्पताल की उत्कृष्टता को कई पुरस्कारों से नवाजा गया है- 2023 में सर्वश्रेष्ठ सिविल सर्जन पुरस्कार, एनक्यूएएस सर्टिफिकेशन से 17 विभागों को राष्ट्रीय प्रमाणन, 2022-23 में कायाकल्प पुरस्कार में राज्य स्तर पर प्रथम स्थान। 2023-24 में कायाकल्प पुरस्कार की कंसिस्टेंसी श्रेणी में सम्मान। अस्थि रोग विभाग में पहली बार हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी शुरू, जिसमें एक महिला का सफल ऑपरेशन। ग्रामीण स्वास्थ्य का विस्तार: हर गांव तक पहुंचपिछले 25 वर्षों में बस्तर जिले में 2 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 7 से 8 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 3 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बढ़े हैं, जिससे 20-30 हजार जनसंख्या पर एक केंद्र उपलब्ध हो गया है। साथ ही, 50 से 60 उप स्वास्थ्य केंद्रों की वृद्धि से 3-5 हजार जनसंख्या और 3-5 किमी दायरे में प्राथमिक सेवाएं पहुंच रही हैं। अधोसंरचना के साथ मानव संसाधन, लैब जांच, ओपीडी/आईपीडी सुविधाओं में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। ये उपलब्धियां छत्तीसगढ़ सरकार की दूरदर्शिता का प्रमाण हैं, जो बस्तर जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे रही हैं।राज्य सरकार की प्राथमिकता सूची में स्वास्थ्य क्षेत्र को शीर्ष स्थान देने के परिणामस्वरूप बस्तर में नए स्वास्थ्य केंद्र, आयुष्मान कार्ड, मातृ एवं शिशु देखभाल सेवाएं, एम्बुलेंस सुविधा और टेलीमेडिसिन सेवा जैसी पहलें सफलतापूर्वक लागू की गई हैं।कोविड-19 महामारी के दौरान बस्तर की स्वास्थ्य व्यवस्था ने मजबूती का परिचय दिया — ऑक्सीजन प्लांट, कोविड अस्पताल और टीकाकरण अभियान ने नए आयाम स्थापित किए। वर्तमान में बस्तर जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और ब्लॉक स्तर के स्वास्थ्य संस्थान आधुनिक उपकरणों, लैब सुविधाओं और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम से सुसज्जित हैं। आने वाले वर्षों में सरकार का लक्ष्य है कि बस्तर के हर नागरिक को “गांव के पास ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधा” मिले।

Special Article: The efforts of the state government are bringing about a change in the lives of workers, 25 years of departmental achievements under the Labour Department
Chhattisgarh

Special Article : राज्य सरकार के प्रयासों से श्रमिकों के जीवन में आ रहा है बदलाव, श्रम विभाग अंतर्गत 25 वर्षों की विभागीय उपलब्धियां

रायपुर, 30 अक्टूबर। Special Article : छत्तीसगढ राज्य स्थापना के समय 16 जिलों में से 09 जिलों में श्रम कार्यालय तथा 04 जिलों में औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कार्यालय संचालित है। वर्तमान में राज्य के समस्त 33 जिलों में श्रम कार्यालय तथा 10 जिलों में औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा तथा वर्ष 2008 से रायपुर में इंडस्ट्रीयल हाईजिन लैब का राज्य स्तरीय कार्यालय प्रारंभ किया गया है। राज्य स्थापना के बाद से वर्ष 2008 में छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल तथा वर्ष 2011 में छत्तीसगढ़ असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल का गठन किया गया है। उक्त मण्डलों में श्रमिकों के पंजीयन, नवीनीकरण तथा विभिन्न योजनाओं में आवेदन विभागीय पोर्टल/श्रमेव जयते मोबाईल ऐप के माध्यम से ऑनलाईन करने की सुविधा दी गयी है तथा विभिन्न योजनाओं में डी०बी०टी के माध्यम से श्रमिकों को लाभान्वित किया जा रहा है। 52 लाख 75 हजार 618 संगठित/निर्माण/असंगठित श्रमिक पंजीकृत 31 जुलाई, 2025 तक छ0ग0 श्रम कल्याण मंडल अंतर्गत 5लाख 41 हजार 920 संगठित श्रमिक, छ0ग0 भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल अंतर्गत 30 लाख 21 हजार 624 निर्माण श्रमिक तथा छ०ग० असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल अंतर्गत 17 लाख 12 हजार 074 असंगठित श्रमिक पंजीकृत हैं। इस प्रकार विभाग अंतर्गत संचालित मंडलों में कुल 52 लाख 75 हजार 618 संगठित, निर्माण, असंगठित श्रमिक पंजीकृत हैं। राज्य स्थापना के बाद से 57 लाख 24 हजार 745 श्रमिकों को 23 अरब 70 करेाड 24 लाख 56 हजार 757  रूपये से लाभांवित किया गया।  छ0ग0 श्रम कल्याण मंडल में 80 लाख 713 संगठित श्रमिक को 31 जुलाई, 2025 तक राशि रूपये 26 करोड 56 लाख 2 हजार 131 से, छ०ग० भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल में 51 लाख 72, हजार 579 निर्माण श्रमिकों को राशि रूपये 19 करोड 82 लाख 69 लाख 48 हजार 448 तथा छ०ग० असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल में 4 लाख 71 हजार 453 अंगठित कर्मकारों को राशि रूपये 3अरब 60 करोड 99 लाख 06 हजार 178 से इस प्रकार राज्य स्थापना के बाद से कुल 57 लाख 24 हजार 745 श्रमिकों को राशि रूपये 23 अरब 70 करोड़ 24 लाख 56 हजार 757 (तेईस अरब सत्तर करोड़ चौबीस लाख छप्पन हजार सात सौ सात रूपये) से लाभांवित किया गया है। श्रमिक सहायता केन्द्र 24×7 संचालित  श्रमिकों के हितलाभ संरक्षण, सहायता एवं उनके शिकायतों के निराकरण करने के लिए राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री  श्रमिक सहायता केन्द्र (Helpline Center) रायपुर में 24×7 संचालित है। प्रत्येक जिले में जिला स्तरीय तथा समस्त विकासखंडों में मुख्यमंत्री श्रम संसाधन केन्द्र संचालित किया जा रहा है, जिसके माध्यम से 31 जुलाई 2025 तक 84 हजार 810 निर्माण श्रमिकों को पंजीयन एवं योजनाओं के आवेदन में सहयोग प्रदान किया गया है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अंतर्गत विभिन्न श्रम कानूनों के अंतर्गत कारखानों, दुकान व स्थापनाओं, ठेकेदारों आदि का पंजीयन, नवीनीकरण, संशोधन तथा विभाग अंतर्गत गठित मंडलों में श्रमिकों के पंजीयन, नवीनीकरण, संशोधन तथा योजनाओं हेतु आवेदन/स्वीकृति विभागीय वेब पोर्टल एवं श्रमेव जयते मोबाईल एप के माध्यम से ऑनलाईन की जा रही है। साथ ही विभिन्न श्रम अधिनियमों के अंतर्गत पंजियों/अभिलेखों को ऑनलाईन डिजिटल रूप में संधारित करने तथा एकीकृत वार्षिक विवरणी ऑनलाईन प्रस्तुत करने की सुविधा नियोजकों को प्रदान की गई है। ई-गवर्नेस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार      भारत सरकार कार्मिक, लोक शिकायत मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा छ०ग० शासन श्रम विभाग को 2020-21 हेतु ‘ई-श्रमिक सेवा‘ सहित सार्वभौमिक पहुंच हेतु ‘ई-गवर्नेस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार‘ रूपये 02 लाख पुरस्कार राशि के साथ गोल्ड पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रवासी श्रमिकों के हित संरक्षण, कल्याण एवं सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विभिन्न विभागों के समन्वय से दिनांक 19 जुलाई 2021 से छ०ग० राज्य प्रवासी श्रमिक नीति, 2020 लागू किया गया है, जिसमें पलायन पंजी के ऑनलाईन संधारण की व्यवस्था की गई है। श्रमिक परिवारों के बच्चों के लिये अटल उत्कृष्ट शिक्षा योजना      मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा एवं श्रम मंत्री के निर्देशानुसार पंजीकृत निर्माण श्रमिक परिवारों के बच्चों को उत्कृष्ट निजी शालाओं में निःशुल्क अध्ययन कराये जाने हेतु छ०ग० भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा ‘अटल उत्कृष्ट शिक्षा योजना‘ 08.जनवरी 2025 से प्रारंभ की गई है। योजना के तहत मंडल में 01 वर्ष पूर्व पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के प्रथम 02 बच्चों को कक्षा 6 वीं में प्रवेश दिया जाकर कक्षा 12 वीं तक आवासीय विद्यालयों में वर्तमान में 100 श्रमिकों के बच्चों को विभिन्न विद्यालयों में प्रवेश दिया जाकर गुणवत्तायुक्त निःशुल्क शिक्षा प्रदान किया जा रहा है। निर्माण श्रमिकों के स्वयं के आवास क्रय एवं आवास निर्माण हेतु एक लाख रूपये एकमुश्त अनुदान सहायता राशि प्रदाय किया जा रहा है। 31 जुलाई 2025 तक 2 हजार 278 निर्माण श्रमिकों को नवीन आवास क्रय/आवास निर्माण हेतु अनुदान सहायता राशि प्रदाय किया जा चुका है। निर्माण श्रमिकों के लिये पेंशन योजना 60 वर्ष आयु पूर्ण कर चुके पंजीकृत निर्माण श्रमिक, जिनका मंडल में 10 वर्ष पूर्व का पंजीयन हो, ऐसे 37 निर्माण श्रमिकों को प्रतिमाह रूपये 1500/- पेंशन योजना से लाभांवित किया जा रहा है। शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना इस योजना अंतर्गत पंजीकृत निर्माण, असंगठित एवं संगठित श्रमिकों को रूपये 05 में गरम एवं पौष्टिक भोजन प्रदाय किया जा रहा है। प्रदेश के 17 जिलों में 37 श्रम अन्न योजना केन्द्र संचालित है, जिसमें प्रतिदिन लगभग 8 हजार श्रमिक गरम भोजन प्राप्त करे रहें है। संचालनालय, कर्मचारी राज्य बीमा सेवायें कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 के अंतर्गत कर्मचारी राज्य बीमा योजना, राज्य निर्माण के समय श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदाय करने वाली यह योजना केवल कारखानों, सिनेमाघरों, ट्रांसपोर्ट, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर लागू थी। राज्य निर्माण के पश्चात इस योजना में निजी सहायता प्राप्त शैक्षणिक एवं निजि चिकित्सा संस्थाओं तथा राज्य सरकार द्वारा संचालित नगर निगमों, नगर पालिकाएं, नगर परिषद् एवं अन्य स्थानीय निकाय पर भी लागू की गई है। निःशुल्क चिकित्सा हित लाभ        छ.ग. राज्य गठन के उपरांत कर्मचारी राज्य बीमा योजना का विस्तार छ.ग. राज्य के 15 जिलों के सम्पूर्ण क्षेत्र तथा 17 जिलों के नगरीय निकाय क्षेत्रों में किया गया है। कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 के अंतर्गत छ.ग. राज्य निर्माण के पूर्व लगभग 30 हजार कामगार बीमित होकर राज्य के संचालनालय, कर्मचारी राज्य बीमा सेवायें के अंतर्गत

Jashpur: Jashpur's voice echoes in the Himalayas, tribal youth open a new route to Jagatsukh Peak, named Vishnu Dev Route in honor of Chhattisgarh Chief Minister Vishnu Dev Sai's initiative.
Chhattisgarh

Jashpur : हिमालय में गूँजी जशपुर की गूंज, आदिवासी युवाओं ने जगतसुख पीक पर खोला नया मार्ग, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल के सम्मान में दिया गया विष्णु देव रूट नाम

रायपुर, 30 अक्टूबर। Jashpur : छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले के आदिवासी युवाओं के एक दल ने भारतीय पर्वतारोहण के इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया है। इस दल ने हिमाचल प्रदेश की दूहंगन घाटी (मनाली) में स्थित 5,340 मीटर ऊँची जगतसुख पीक पर एक नया आल्पाइन रूट खोला, जिसे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल के सम्मान में “विष्णु देव रूट” नाम दिया गया है। टीम ने यह चढ़ाई बेस कैंप से केवल 12 घंटे में पूरी की — वह भी आल्पाइन शैली में, जो तकनीकी रूप से अत्यंत कठिन मानी जाती है। यह ऐतिहासिक अभियान सितंबर 2025 में आयोजित हुआ, जिसका आयोजन जशपुर प्रशासन ने पहाड़ी बकरा एडवेंचर के सहयोग से किया। इस अभियान को हीरा ग्रुप सहित अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों का सहयोग प्राप्त हुआ। यह उपलब्धि इसलिए भी विशेष है क्योंकि इस दल के पाँचों पर्वतारोही पहली बार हिमालय की ऊँचाइयों तक पहुँचे थे। सभी ने “देशदेखा क्लाइम्बिंग एरिया” में प्रशिक्षण प्राप्त किया, जो जशपुर प्रशासन द्वारा विकसित भारत का पहला प्राकृतिक एडवेंचर खेलों के लिए समर्पित प्रशिक्षण क्षेत्र है। विश्वस्तरीय मानकों को सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को जोड़ा, जिनमें बिलासपुर के पर्वतारोही एवं मार्गदर्शक स्वप्निल राचेलवार, न्यूयॉर्क (USA) के रॉक क्लाइम्बिंग कोच डेव गेट्स, और रनर्स XP के निदेशक सागर दुबे शामिल रहे। इन तीनों ने मिलकर तकनीकी, शारीरिक और मानसिक दृष्टि से युवाओं को तैयार करने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाया। दो महीनों की कठोर तैयारी और बारह दिनों के अभ्यास पर्वतारोहण के बाद टीम ने यह चुनौतीपूर्ण चढ़ाई पूरी की। अभियान प्रमुख स्वप्निल राचेलवार ने बताया कि जगतसुख पीक का यह मार्ग नए पर्वतारोहियों के लिए अत्यंत कठिन और तकनीकी था। मौसम चुनौतीपूर्ण था, दृश्यता सीमित थी और ग्लेशियरों में छिपी दरारें बार-बार बाधा बन रही थीं। इसके बावजूद टीम ने बिना फिक्स रोप या सपोर्ट स्टाफ के यह चढ़ाई पूरी की — यही असली आल्पाइन शैली है। यह अभियान व्यावसायिक पर्वतारोहण से अलग था, जहाँ पहले से तय मार्ग और सहायक दल पर निर्भरता होती है; इस दल ने पूरी तरह आत्मनिर्भर रहते हुए नई मिसाल कायम की। अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली। स्पेन के प्रसिद्ध पर्वतारोही टोती वेल्स, जो इस अभियान की तकनीकी कोर टीम का हिस्सा थे और स्पेन के पूर्व वर्ल्ड कप कोच रह चुके हैं, ने कहा कि “इन युवाओं ने, जिन्होंने जीवन में कभी बर्फ नहीं देखी थी, हिमालय में नया मार्ग खोला है। यह साबित करता है कि सही प्रशिक्षण और अवसर मिलने पर ये पर्वतारोही विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।” “विष्णु देव रूट” के अलावा दल ने दूहंगन घाटी में सात नई क्लाइम्बिंग रूट्स भी खोले। इनमें सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि रही एक अनक्लाइम्ब्ड (पहले कभी न चढ़ी गई) 5,350 मीटर ऊँची चोटी की सफल चढ़ाई, जिसे टीम ने ‘छुपा रुस्तम पीक’ नाम दिया। इस पर चढ़ाई के मार्ग को ‘कुर्कुमा (Curcuma)’ नाम दिया गया — जो हल्दी का वैज्ञानिक नाम है और भारतीय परंपरा में सहनशक्ति और उपचार का प्रतीक माना जाता है। अभियान का नेतृत्व स्वप्निल राचेलवार ने किया, उनके साथ राहुल ओगरा और हर्ष ठाकुर सह-नेता रहे। जशपुर के पर्वतारोही दल में रवि सिंह, तेजल भगत, रुसनाथ भगत, सचिन कुजुर और प्रतीक नायक शामिल थे। अभियान को प्रशासनिक सहयोग डॉ. रवि मित्तल (IAS), रोहित व्यास (IAS), शशि कुमार (IFS) और अभिषेक कुमार (IAS) से मिला। तकनीकी सहायता डेव गेट्स, अर्नेस्ट वेंटुरिनी, मार्टा पेड्रो (स्पेन), केल्सी (USA) और ओयविंड वाई. बो (नॉर्वे) ने दी। पूरे अभियान का डॉक्यूमेंटेशन और फोटोग्राफी ईशान गुप्ता की कॉफी मीडिया टीम ने किया। प्रमुख सहयोगी और प्रायोजक संस्थानों में पेट्ज़ल, एलाइड सेफ्टी इक्विपमेंट, रेड पांडा आउटडोर्स, रेक्की आउटडोर्स, अडवेनम एडवेंचर्स, जय जंगल प्राइवेट लिमिटेड, आदि कैलाश होलिस्टिक सेंटर, गोल्डन बोल्डर, क्रैग डेवलपमेंट इनिशिएटिव और मिस्टिक हिमालयन ट्रेल शामिल रहे।

CG Rajyostav: Rajyotsav to be organised from 02 to 04 November, Industry Minister Lakhan Lal will be present as the chief guest.
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CG Rajyostav : राज्योत्सव का आयोजन 02 से 04 नवंबर तक, उद्योग मंत्री लखन लाल मुख्य अतिथि के रूप में होंगे शामिल

रायपुर, 29 अक्टूबर। CG Rajyostav : छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस रजत जयंती वर्ष के अवसर पर राज्योत्सव का आयोजन कोरबा के घंटाघर ओपन आडिटोरियम परिसर में 02 नवंबर से 04 नवंबर तक किया जायेगा। इसके लिए आवश्यक तैयारियां की जा रही है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वाणिज्य श्रम व उद्योग मंत्री श्री लखन लाल देवांगन होंगे। राज्योत्सव के शुभारंभ अवसर पर स्थानीय कलाकारों को मंच देने के साथ ही छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम में 02 नवंबर को शाम 07 बजे से जसगीत गायक श्री दिलीप षड़ंगी, 03 नवंबर को लोक गायिक श्रीमती अलका चंद्राकर अपनी प्रस्तुति देंगी। 04 नवंबर को कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है। जिसमें श्री अरूण जैमिनी, हास्य कवि श्री चिराग जैन, कवि श्री शशिकांत यादव, श्रद्धा शौर्य, देवेन्द्र परिहार, हीरामणी वैष्णव शामिल होंगे। तीन दिवसीय राज्योत्सव कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की कलाकारों द्वारा देशभक्ति छत्तीसगढ़ी गीत, लोक नृत्य, नृत्य नाटिका, शास्त्रीय संगीत एवं गायन की प्रस्तुति भी दी जायेगी। कलेक्टर श्री अजीत वसंत ने आम नागरिकों से अपील की है कि राज्योत्सव कार्यक्रम में शामिल होकर कार्यक्रम का आनंद उठायें। 

Special Article: After the formation of Chhattisgarh state, 54 irrigation schemes were constructed in Bastar, increasing the irrigated area in Bastar district by more than 23,500 hectares.
Chhattisgarh

Special Article : छत्तीसगढ़ राज्य गठन पश्चात बस्तर में 54 सिंचाई योजनाओं का हुआ निर्माण, बस्तर जिले में साढ़े 23 हजार हेक्टेयर से अधिक सिंचित रकबे में हुई वृद्धि

रायपुर, 29 अक्टूबर। Special Article : छत्तीसगढ़ राज्य को उदित हुए 25 वर्ष की अवधि में बस्तर जिले के अंतर्गत किसानों को सिंचाई संसाधन उपलब्ध करवाने के लिए सकारात्मक प्रयास किया गया है। जिसके फलस्वरूप अब तक कुल 92 सिंचाई योजनाओं के माध्यम से 32 हजार 656 हेक्टेयर सिंचित रकबे का सृजन किया गया है। बस्तर जिले में छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पूर्व 38 लघु सिंचाई योजनाओं से 7521 हेक्टेयर खरीफ एवं 1386 हेक्टेयर रबी कुल 8907 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई हो रही थी। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद किसानों को खेती-किसानी के लिए ज्यादा से ज्यादा सिंचाई साधन उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से जिले में 54 सिंचाई योजनाओं का निर्माण कर 23 हजार 749 हेक्टेयर सिंचित रकबा का सृजन किया गया है। जिसमें 18 हजार 129 हेक्टेयर खरीफ और 5620 हेक्टेयर रबी फसल हेतु सिंचाई क्षेत्र विकसित किया गया है। इन सभी सिंचाई संसाधनों के माध्यम से क्षेत्र के किसानों द्वारा द्विफसलीय खेती-किसानी को बढ़ावा देकर आय संवृद्धि किया जा रहा है। कोसारटेडा, बेदारमुंडा एवं टिकरालोहंगा जैसी परियोजनाओं से नगदी फसल के रकबे में हुई वृद्धि छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद जल संसाधन विभाग के द्वारा बस्तर जिले में कोसारटेडा मध्यम सिंचाई परियोजना सहित बेदारमुंडा एवं टिकरालोहंगा लघु सिंचाई तालाब, कुम्हरावण्ड, बनियागांव एवं भालूगुड़ा उदवहन सिंचाई योजना, मूली एवं कावारास व्यपवर्तन योजना और 46 एनीकट एवं स्टॉपडेम निर्मित किया गया है। इन सिंचाई साधनों के निर्माण एवं सिंचित रकबा में वृद्धि के फलस्वरूप अब किसानों में नकदी फसलों की ओर रुझान बढ़ रहा है। जिससे बस्तर जिले के किसान आवश्यकता के अनुरूप खरीफ फसल में सिंचाई करते हैं और रबी सीजन में मक्का, उड़द-मूंग एवं साग-सब्जी की भरपूर पैदावार लेकर अतिरिक्त आमदनी अर्जित कर रहे हैं।  कोसाटेडा बनने से डमरूधर और पीलूराम की आमदनी में हुआ इजाफा कोसाटेडा जलाशय से लाभन्वित होने वाले केशरपाल निवासी कृषक डमरूधर कश्यप और पीलूराम बघेल बताते है कि रबी में मक्का सहित साग-सब्जी की खेती कर आमदनी में इजाफा कर रहे हैं। कार्यपालन अभियंता टीडीपीपी जल संसाधन संभाग जगदलपुर से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में जिले के अन्तर्गत 195 करोड़ 36 लाख रूपए लागत की 42 सिंचाई योजनाओं का निर्माण प्रगति पर है, इन योजनाओं के पूर्ण होने पर 6790 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता निर्मित होगी। जिससे किसानों को खेती-किसानी को बढ़ावा देने में सहूलियत होगी।

Special Article: The country's first digital museum is dedicated to tribal heroes.
Chhattisgarh

Special Article : आदिवासी वीर नायकों को समर्पित है देश का पहला डिजिटल संग्रहालय

रायपुर, 29 अक्टूबर।  Special Article : आदिवासी नायक भगवान बिरसा मुंडा जहां देशभर के आदिवासियों के प्रेरणापूंज है। ठीक उसी प्रकार छत्तीसगढ़ में भी फिरंगियों के विरूद्ध बिगुल फूंकने का काम सोनाखान केे जमींदार वीर नारायण सिंह ने किया। उन्होंने फिरंगियों की दमन और शोषणकारी नीतियों के विरूद्ध विद्रोह का बिगुल फंूका और उनसे लड़ते हुए शहीद हुए। उन्हें छत्तीसगढ़ का प्रथम शहीद माना जाता है।   मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शहीद वीर नारायण सिंह और फिरंगियों के विरूद्ध संघर्ष करने वाले आदिवासी नायकों की स्मृतियों को संजोने और भावी पीढ़ी तक उनके प्रेरणास्पद कार्यों को पहुंचाने के लिए नवा रायपुर में संग्रहालय बनाने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री के इस निर्णय से पूरा आदिवासी समाज गौरवान्वित है।  प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा ने बताया कि नवा रायपुर के सेक्टर 24 में तैयार किया जा रहा है भव्य संग्रहालय अपने आप में अनूठा है। यह देश का पहला डिजिटल संग्रहालय है। लगभग 50 करोड़ रूपए की लागत से इस संग्रहालय को तैयार किया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी राज्य स्थापना की 25वीं वर्षगांठ पर इस संग्र्रहालय का लोकार्पण करने जा रहे हैं।  प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत की। उन्होंने जनजाति समाज को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए देश का सबसे बड़ा अभियान पीएम जनमन और प्रधानमंत्री धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना शुरू की। इस अभियान के तहत जनजाति इलाकों में सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाओं के साथ ही कंेद्र और राज्य सरकार की योजनाओं से उन्हें लाभान्वित किया जा रहा है।  संग्रहालय में शहीद वीर नारायण सिंह का भव्य स्मारक भी बनाया गया है। साथ ही यहां छत्तीसगढ़ में आदिवासी विद्रोहों हल्बा विद्रोह, सरगुजा विद्रोह, भोपालपट्टनम, परलकोट, तारापुर, लिंगागिरी, कोई, मेरिया, मुरिया, रानी चौरिस, भूमकाल, सोनाखान विद्रोहों के साथ ही झंडा सत्याग्रह और जंगल सत्याग्रह की जीवंत झलक दिखाई गई है। इन विद्रोहों को अलग-अलग 14 सेक्टरों में बांटा गया है। अत्याधुनिक इस डिजिटल संग्रहालय में आगतुंकों के लिए वीएफएक्स टेक्नोलॉजी, प्रोजेक्शन, डिजिटल स्क्रीन, मोबाइल पर क्यूआर कोड स्कैन की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।   संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर सरगुजा कलाकारों की नक्काशीदार पैनल, 1400 वर्ष पुराने साल-महुआ और साजा वृक्ष की प्रतिकृति जिसकी पत्तियों पर 14 विद्रोहों की डिजिटल कहानी उकेरी गई है। यह वृक्ष मोशन फिल्मों की तरह पूरे विद्रोहो की कहानी बतलाती प्रतीत होगी। इस संग्रहालय में सेल्फी पॉइंट, दिव्यांग सुविधाएं, सीनियर सिटीजन के लिए विशेष इंतजाम, ट्राइबल आर्ट से सजा फर्श, भगवान बिरसा मुंडा, शहीद गैंदसिंह और रानी गाइडल्यू की मूर्तियां भी लगाई गई है, जो लोगों के लिए प्रेरणाप्रद होंगे।    मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय कहते हैं कि यह संग्रहालय छत्तीसगढ़ जनजातीय संस्कृति का वैश्विक केंद्र बनेगा। यहां आने वाले लोगों को आदिवासी वीर नायकों की शौर्य गाथा से गर्व की अनुभूति होगी। यह आदिवासी समाज की पूर्वजों की स्मृति है और नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। 

CM Vishnu: Baba Kartik Oraon dedicated his life for the upliftment of tribal society.
Chhattisgarh

CM Vishnu : बाबा कार्तिक उरांव ने जनजातीय समाज के उत्थान हेतु अपना जीवन किया समर्पित

रायपुर, 29 अक्टूबर। CM Vishnu : जनजातीय समाज के महान शिक्षाविद्, समाजसेवी एवं राष्ट्रनायक बाबा कार्तिक उरांव की जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर आज अंबिकापुर में भूमि पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री साय ने बाबा कार्तिक उरांव जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि बाबा कार्तिक उरांव समाज के गौरव हैं। उन्होंने विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद अपनी धर्म, संस्कृति और सभ्यता को कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने पुरखों के बताए हुए मार्ग पर चलते हुए उच्चतम शिक्षा अर्जित की और समाज को दिशा दी। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बाबा कार्तिक उरांव का यह कथन-“जितना ज्यादा पढ़ेंगे, उतना ही समाज को गढ़ेंगे”- आज भी हमें प्रेरित करता है। उन्होंने जनजातीय समाज के उत्थान, शिक्षा के प्रसार और सामाजिक एकता के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया। हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलकर समाज के सर्वांगीण विकास का संकल्प लेना चाहिए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने नगर निगम कार्यालय के समीप बनने वाले बाबा कार्तिक उरांव चौक का भूमि पूजन किया तथा मूर्ति एवं चौक निर्माण के लिए ₹40.79 लाख की राशि की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह चौक बाबा कार्तिक उरांव के आदर्शों, विचारों और योगदान की स्मृति को सहेजने का प्रतीक बनेगा। कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम ने कहा कि बाबा कार्तिक उरांव हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने समाज के उत्थान और विकास के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया। हमें उनके बताए हुए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। उन्होंने समाज की संस्कृति, सभ्यता, परंपरा और रीति-रिवाजों को सम्मान देते हुए समाज को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। सांसद श्री चिंतामणि महाराज ने कहा कि बाबा कार्तिक उरांव ने सदैव समाज में एकता, शिक्षा और जागरूकता का संदेश दिया। आज यह आवश्यक है कि हम उनके आदर्शों और बताए मार्ग पर चलकर समाज को संगठित करें और एकता के सूत्र में बांधें, जिससे जनजातीय समाज सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनकर देश के विकास में अपनी भागीदारी निभा सके। इस अवसर पर सामरी विधायक उद्धेश्‍वरी पैकरा, जशपुर विधायक रायमुनी भगत, सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

CM Vishnu: The darkness of fear is being dispelled by the light of rehabilitation in Bastar; Bastar is becoming a new land of dialogue, empathy and trust - Chief Minister
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CM Vishnu : बस्तर में पुनर्वास की रोशनी से मिट रहा भय का अंधकार, संवाद, संवेदना और विश्वास की नई धरती बन रहा है बस्तर – मुख्यमंत्री

रायपुर, 29 अक्टूबर। CM Vishnu : राज्य सरकार की ‘आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025’ और ‘नियद नेल्ला नार योजना’ ने बस्तर अंचल में एक नई क्रांति की शुरुआत की है। इन नीतियों के परिणामस्वरूप माओवाद की हिंसक विचारधारा में लिप्त युवाओं में विश्वास जागा है और वे मुख्यधारा में लौटकर विकास की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बीजापुर जिले में “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्ज़ीवन” अभियान के तहत आज सुरक्षा बलों के निरंतर प्रयासों से कुल ₹66 लाख के इनामी 51 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। इन सभी ने संविधान पर आस्था व्यक्त करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम इस बात का प्रमाण है कि बस्तर भय और हिंसा के अंधकार से बाहर निकलकर शांति, विश्वास और प्रगति के नए युग में प्रवेश कर रहा है। शासन की संवेदनशील नीतियाँ और मानवीय दृष्टिकोण इस परिवर्तन की सबसे बड़ी शक्ति बनकर उभरी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि संवाद ही इस समस्या का स्थायी समाधान है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के मार्गदर्शन में देश अब नक्सल मुक्त भारत के लक्ष्य की ओर तेजी से अग्रसर है। छत्तीसगढ़ सरकार इस दिशा में प्रतिबद्धता और संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे इस परिवर्तन की यात्रा में सहभागी बनें, ताकि छत्तीसगढ़ का प्रत्येक गाँव शांति, प्रगति और समरसता का प्रतीक बन सके।

Khelo India: Khelo India University Games in Rajasthan from November 24 to December 5, Union Sports Minister Dr. Mansukh Mandaviya says KIUG is the 'first step towards glory'
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Khelo India : खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स राजस्थान में 24 नवंबर से 5 दिसम्बर तक, केन्द्रीय खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा कि केआईयूजी ‘गौरव की दिशा में पहला कदम’ है

रायपुर, 28 अक्टूबर। Khelo India : पांचवें खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स राजस्थान के सात शहरों में 24 नवंबर से 5 दिसम्बर 2025 तक आयोजित होंगे। इसमें 23 मेडल स्पोर्ट्स और एक डेमोंस्ट्रेशन स्पोर्ट (खो-खो) में प्रतियोगिताएं होंगी। इसी साल कुछ समय पहले में बिहार में हुए खेलो इंडिया यूथ गेम्स की तरह, यूनिवर्सिटी गेम्स भी राजस्थान के सात शहरों जयपुर, अजमेर, उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर, कोटा और भरतपुर में आयोजित होंगे। इस 12 दिनों के यूनिवर्सिटी आयोजन में 5,000 से अधिक एथलीटों के आने की उम्मीद है। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स का आयोजन भारतीय विश्वविद्यालय संघ के सहयोग से किया जाता है। केन्द्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा कि ‘खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स’ भारत के खेल मार्ग में एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। दुनिया भर में विश्वविद्यालय, चैंपियनों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और केआईयूजी हमारे युवा एथलीटों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी क्षमता दिखाने का मंच प्रदान करता है। इन खेलों का राजस्थान संस्करण भारत के विस्तृत खेल परिदृश्य को उजागर करेगा और वैश्विक स्तर पर राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने की आकांक्षा रखने वालों के लिए पहला कदम साबित होगा। डॉ. मंडाविया ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विज़न के तहत खेलो इंडिया पहल ने भागीदारी, प्रतिभा विकास और उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करने वाला एक ठोस पारिस्थितिकी तंत्र बनाया है। राजस्थान में आयोजित होने वाले ये यूनिवर्सिटी गेम्स हजारों छात्रों को न केवल खेलों को पढ़ाई के समानांतर ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे। साथ ही प्रतियोगिता एवं सौहार्द्र के माध्यम से ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत भी करेंगे। केआईयूजी-2025 में 23 मेडल स्पोर्ट्स और एक डेमोंस्ट्रेशन श्रेणी के स्पोर्ट्स होंगे। मेडल स्पोर्ट्स में तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, बॉक्सिंग, फेंसिंग, फुटबॉल, हॉकी, जूडो, कबड्डी, मल्लखंब, रग्बी, शूटिंग, तैराकी, टेबल टेनिस, टेनिस, वॉलीबॉल, वेटलिफ्टिंग, कुश्ती, योगासन, साइक्लिंग, बीच वॉलीबॉल, कैनोइंग और कयाकिंग शामिल हैं। खो-खो एक डेमोंस्ट्रेशन इवेंट होगा। पहली बार केआईयूजी कार्यक्रम में कैनोइंग, बीच वॉलीबॉल, और कयाकिंग तथा साइक्लिंग को शामिल किया जा रहा है। पूर्वाेत्तर भारत में आयोजित हुए पिछले खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी चैंपियन बनी। लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी और गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर ने क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया था। खेलो इंडिया के विषय में  खेलो इंडिया योजना युवा मामले एवं खेल मंत्रालय की प्रमुख केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। खेलो इंडिया गेम्स खेल कौशल प्रदर्शन का आधारभूत मंच हैं, जो प्रतिभा की पहचान करने और प्रतिभाशाली बच्चों को उत्कृष्टता हासिल करने हेतु एक विकास का मार्ग प्रदान करने का प्लेटफॉर्म बनते हैं। ये राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं ओलंपिक आंदोलन की सच्ची भावना में आयोजित की जा रही हैं, जिसमें संबंधित एनएसएफ, एसजीएफआई, एआईयू आदि जैसे विभिन्न हितधारकों को शामिल किया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत अब तक देश भर में 20 संस्करणों का आयोजन हो चुका है, जिसमें 7 संस्करण खेलो इंडिया यूथ गेम्स (केआईव्हायजी), 4 संस्करण खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (केआईयूजी), 5 संस्करण खेलो इंडिया विंटर गेम्स (केआईव्हीजी), 2 संस्करण खेलो इंडिया पैरा गेम्स (केआईपीजी), 1 संस्करण खेलो इंडिया बीच गेम्स (केआईबीजी), और 1 संस्करण खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल (केआईडब्ल्यूएसएफ) शामिल हैं।