नई दिल्ली, 4 जुलाई। Balasore Train Accident : बालासोर ट्रेन हादसे को लेकर एक उच्च स्तरीय जांच में यह बात निकलकर सामने आई है कि इस दुर्घटना के पीछे का मुख्य कारण गलत सिग्नल था। जांच में सिग्नलिंग और दूरसंचार विभाग में कई स्तरों पर खामियों का जिक्र किया है। इसमें कहा गया है कि यदि पिछले चेतावनी संकेतों की सूचना दी जाती तो त्रासदी को टाला जा सकता था।
रेलवे सुरक्षा आयोग (सीआरएस) द्वारा रेलवे बोर्ड को सौंपी गई स्वतंत्र जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि सिग्नलिंग कार्य में खामियों के बावजूद एसएंडटी कर्मचारियों द्वारा उपचारात्मक कार्रवाई की जा सकती थी, अगर बहानागा बाजार के स्टेशन प्रबंधक द्वारा दो समानांतर पटरियों को जोड़ने वाले स्विच के बार-बार असमान्य व्यवहार के बारे में सूचना दी गई होती।
रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया कि बहानागा बाजार स्टेशन पर लेवल क्रॉसिंग गेट-94 पर इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर को बदलने के कार्यों के लिए स्टेशन विशिष्ट अनुमोदित सर्किट आरेख (स्टेशन स्पेसिफिक अप्रूव्ड सर्किट) की आपूर्ति न करना एक गलत कदम था, जिसके कारण गलत वायरिंग हुई। इसमें कहा गया है कि फील्ड पर्यवेक्षकों की एक टीम ने वायरिंग सर्किट को ठीक किया और इसे दोहराने में विफल रही।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दक्षिण पूर्व रेलवे के खड़गपुर डिवीजन के बांकरनयाबाज स्टेशन पर 16 मई, 2022 को गलत वायरिंग और केबल फॉल्ट के कारण इसी तरह की घटना हुई थी। इसमें कहा गया है कि अगर इस घटना के बाद गलत वायरिंग के मुद्दे को हल करने के लिए सुधारात्मक उपाय किए गए होते, तो बहानागा बाजार रेलवे स्टेशन में दुर्घटना नहीं हुई होती। 2 जून को हुई इस दुर्घटना में 292 लोगों की मौत हो गई थी और 1000 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
सीआरएस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस तरह की आपदा के लिए प्रारंभिक प्रतिक्रिया तेज होनी चाहिए और रेलवे को जोनल रेलवे में आपदा-प्रतिक्रिया प्रणाली की समीक्षा करने और जोनल रेलवे और एनडीआरएफ और एसडीआरएफ जैसे विभिन्न आपदा-प्रतिक्रिया बलों के बीच समन्वय की सलाह (Balasore Train Accident) दी गई है।