Baranwapara: Like Kanha National Park, now tourists will get facilities in this sanctuary of Chhattisgarh too.Baranwapara
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CG Tourism : छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार भाटापारा जिले स्थित बारनवापारा अभ्यारण्य (Baranwapara) 15 अक्टूबर से पर्यटकों के लिए प्रारम्भ हो गया है।बारनवापारा अभ्यारण्य में प्रमुख रूप से पर्यटकों को वनभ्रमण सफारी के दौरान अभ्यारण्य में पाये जाने वाले वन्यप्राणियों हिरण, नीलगाय, मोर, गौर, काला हिरण, जंगली सुअर, सांभर, खरगोश, भालू एवं तेन्दुए को प्रत्यक्ष रूप से वनक्षेत्र में विचरण करते हुऐ आसानी से देखा जा सकता है।

बारनवापारा अभ्यारण्य (Baranwapara) में पर्यटकों को सफारी हेतु बारनवापारा अभ्यारण्य के मुख्यालय तक दूरी तय कर सफारी सुविधा उपलब्ध करायी जाती थी, किन्तु इस नये पर्यटक सीजन से पर्यटकों को कान्हा राष्ट्रीय उद्यान की भाँति सुविधा उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से पर्यटकों को बारनवापारा तक सफर तय करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी जिसके लिए अभ्यारण्य बार द्वार के अतिरिक्त अन्य द्वार पर सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है।

सफारी हेतु 3 नये प्रवेश गेट (भालू द्वार पकरीद, तेन्दुआ द्वार रवान तथा हाथी द्वार बरबसपुर) प्रारंभ किया गया है। जहां से ही पर्यटकों को जिप्सी तथा गाईड आसानी से उपलब्ध हो सकेगा। इसके पूर्व बारनवापारा से ही पर्यटकों को सफारी सुविधा उपलब्ध कराया जाता था जिसके कारण अत्यधिक दबाव भीड़ होने से पर्यटकगणों को समय पर जिप्सी तथा गाईड उपलब्ध नहीं हो पाने से अव्यस्थाओं का सामना करना पड़ता था।

इसके साथ ही पर्यटक मार्ग का विस्तार करते हुये 3 नये पर्यटक रूट का निर्माण कराया जा रहा है.जिससे की पर्यटकों को अलग-अलग भ्रमण हेतु रूट उपलब्ध हो सके। अभ्यारण्य के इस नयी पहल से पर्यटकों तथा प्रकृति प्रेमिओं के द्वारा काफी सराहना की जा रही है तथा पर्यटकों के बारनवापारा अभ्यारण्य के प्रति रूझान को देखते हुये भविष्य में अनेकों सुविधा उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित है।

बारनवापारा अभ्यारण्य (Baranwapara) के नवीन सफारी सेवा के प्रारंभ होने संबंध में मुंबा मचान रिसॉर्ट के जनरल मैनेजर रविन्द्र राठौर ने बताया इससे निश्चित से दूर से आने वाले पर्यटकों को लाभ मिलेगा। सफारी के लिए पर्यटक गांव तक जाने की जरूरत नहीं पड़ेगा।

जंगल प्रवेश करते ही सफारी प्रारंभ हो जाएगा। इससे न केवल पैसे बल्कि समय के बचत के साथ हो जानवरों को देखने का आसान रहेगा। इसके साथ ही बारनवापारा के नैसर्गिक पर्यटन के प्रति पर्यटकों के रूझान बढने की संभावना व्यक्त करते हुये बारनवापारा अभ्यारण्य भविष्य में एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनने की बात की गई है।

गौरतलब है कि बारनवापारा अभ्यारण्य में 150 प्रजाति के तितली एवं मोथ पायी जाती हैं। जिसमे से वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की शेड्यूल वन की क्रिमसन रोज (पैचीलौप्टा हेक्टर) डनाइड इगली (हाइपो सिलिमस मिसीपस) शेड्यूल दो की सिपोरा निरिसा,होगारा एनेक्स, यूक्रीशॉप्स सीनेजस, जेनेलिया लेपीडिया रपेला वरुणा,लैंपिडर्स बोइहन, तजुना शिप्स आदि पाई जाती है। शेड्यूल छह के भी बहुत से प्रजाति पाई जाती है। वि

गत तीन वर्षों से बारनवापारा अभ्यारण्य (Baranwapara) में 14-16 हाथियों का दल निवास कर रहा है। साथ ही साथ विगत 9 माह से एक बाघ लगातार अभ्यारण्य में विचरण कर रहा है। बारनवापारा नाम बार और नवापारा गाँव से मिलकर बना है। बारनवापारा अभ्यारण्य अपनी स्थापना के बाद से ही देश के हर हिस्से से पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है।

बारनवापारा वन्यजीव अभ्यारण्य (Baranwapara) छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार भाटापारा जिले में स्थित है। अभ्यारण्य का कुल क्षेत्रफल 244.66 वर्ग किमी है। अभ्यारण्य की स्थलाकृति समतल और लहरदार इलाका है। ऊँचाई 640 मीटर समुद्र तल तक है। बालमदेही,जोंक और महानदी नदियाँ अभयारण्य की जीवन रेखा हैं जो अभयारण्य की जल कमी को पूरा करने के लिए अभयारण्य के साथ बहती हैं। वार्षिक वर्षा 1200 मिमी है इस अभ्यारण्य में सागौन, साल और मिश्रित वन की मुख्य वनस्पति है। पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए इसमें शिकार और शिकारियों का अच्छा घनत्व है।

अभ्यारण्य के अंदर स्थित बलार जलाशय में कई आर्द्रभूमि पक्षी और मछलियाँ पाई जाती हैं। यह अभ्यारण्य लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए इकोटूरिज्म को बढ़ावा देता है। बारनवापारा तक पहुँचने के लिए रायपुर से सड़क मार्ग से दो घंटे का सफर करना पड़ता है।

जबकि ड्राइविंग करते समय रोमांच का मज़ा लिया जा सकता है। यह रायपुर से NH53 पर 78वें किलोमीटर पर 106 किलोमीटर दूर है। पटेवा एक छोटा शहर है जहाँ बारनवापारा से 28 किलोमीटर की दूरी पर मौसम अनुकूल सड़क पर गाड़ी चलाकर पहुँचा जा सकता है।