Basavaraju Naxal Encounter : अबूझमाड़ में खत्म हुआ ‘रेड टेरर’ का अध्याय…बसवराजु की मौत से टूटी माओवाद की कमर…शवों को एयरलिफ्ट कर ले जाया जा रहा जिला मुख्यालय…

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रायपुर/नारायणपुर, 22 मई 2025| Basavaraju Naxal Encounter : छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ जंगलों में हुए ऑपरेशन ने नक्सली नेटवर्क की रीढ़ तोड़ दी है। बसवराजु जैसे कुख्यात शीर्ष माओवादी नेता का एनकाउंटर महज एक कामयाबी नहीं, बल्कि यह विचारधारा के आतंक पर निर्णायक प्रहार है।

मुठभेड़ में 27 नक्सलियों का ढेर, दो जवानों की शहादत, और सुरक्षाबलों की जीत के जश्न ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब माओवादी नेटवर्क अपनी रणनीतिक ताकत और मनोबल — दोनों में कमजोर हो रहा है।

इस रिपोर्ट ी खास बातें:

बसवराजु की मौत माओवादियों के लिए वैचारिक और संगठनात्मक दोनों मोर्चों पर बड़ा झटका है।

ऑपरेशन में DRG (District Reserve Guard) की भूमिका बेहद निर्णायक (Basavaraju Naxal Encounter)रही। ये वह फोर्स है, जो नक्सलियों की भाषा, चाल और जंगलों की पहचान रखती है — और उन्हें उन्हीं की शैली में मात देती है।

DRG में वे भी शामिल हैं जो कभी नक्सली थे और अब हथियार छोड़ कर राष्ट्र की रक्षा में लगे हैं।

शहादत देने वाले दो वीर जवानों को नारायणपुर जिला मुख्यालय में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।

ग्राउंड वीडियो वायरल:

एक वायरल वीडियो में जवानों को शव बरामद करते और विजय का उत्सव मनाते देखा जा सकता है। यह सिर्फ ऑपरेशन की जीत नहीं, आत्मविश्वास की वापसी का प्रतीक है।

विशेष विश्लेषण: क्या खत्म हो रहा है नक्सल नेटवर्क?

विशेषज्ञों के मुताबिक बसवराजु की मौत से माओवादियों के कमांड एंड कंट्रोल में बड़ा शून्य पैदा हुआ है। उसके बाद मारे गए 5 और नक्सली यह संकेत देते हैं कि संगठन अब डिफेंसिव मोड में आ चुका (Basavaraju Naxal Encounter)है।

DRG: जनता से निकली, जनता की सुरक्षा में लगी फोर्स

स्थानीय युवाओं से बनी यह यूनिट जंगल की भाषा, गंध और रणनीति को समझती है

कई DRG जवान पूर्व नक्सली हैं – वे नक्सल मानसिकता को अंदर से जानते (Basavaraju Naxal Encounter)हैं

DRG की सफलता, ‘लोकल बनाम लोकल’ मॉडल की जीत है