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रायपुर, 17 मार्च। Big Blow to CG govt : छत्तीसगढ़ के शिक्षकों ने क्रमोन्नत वेतनमान की बड़ी लड़ाई जीत ली है। राज्य सरकार की एसएलपी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। आज सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में इसकी सुनवाई हुई।

पहली ही सुनवाई में न्यायाधीश ए.एस. ओका और न्यायाधीश एन. कोटीश्वर सिंह की खंडपीठ ने एसएलपी को खारिज कर दिया। इस केस में भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता राज्य सरकार की तरफ से पक्ष रखा, जबकि शिक्षकों की तरफ से सीनियर वकील एस मुरलीधरण ने पक्ष रखा।

क्रमोन्नत वेतनमान का मुद्दा क्या है?

सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि क्रमोन्नत वेतनमान का मुद्दा क्या है। दरअसल, लंबे समय तक प्रमोशन न मिलने पर शिक्षकों ने 2013 में सरकार पर दबाव डाला, जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 10 साल की सेवा पूरी कर (Big Blow to CG govt)चुके शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान देने का ऐलान किया।लेकिन इसके बावजूद आंदोलन शांत नहीं हुआ।

शिक्षकों के लगातार विरोध को देखते हुए सरकार ने एक साल बाद समतुल्य वेतनमान देने का निर्णय लिया, और इसके साथ ही क्रमोन्नति वेतनमान का आदेश रद्द कर दिया। इसके बाद यह मामला ठंडा पड़ गया।

शिक्षिका सोना साहू ने दायर की याचिका

हालांकि, इसी बीच शिक्षिका सोना साहू ने क्रमोन्नति वेतनमान के लिए याचिका दायर की थी, जबकि सरकार ने नए वेतनमान के तहत इसे रद्द कर दिया था।

सोना साहू ने सोचा कि क्रमोन्नति वेतनमान समाप्त होने के बावजूद यदि कोर्ट में याचिका दायर की जाए तो उसे लाभ मिल सकता है, और ऐसा ही हुआ।सोना साहू के पति ने केस दायर (Big Blow to CG govt)किया और जीत भी गए। इसके बाद हाई कोर्ट में याचिकाएं लगनी शुरू हो गईं, क्योंकि इस फैसले से छत्तीसगढ़ के 50 हजार शिक्षकों को फायदा हो सकता था।

सरकार पहले ही रद्द कर चुकी थी क्रमोन्नति वेतनमान का आदेश

राज्य सरकार को यह बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि जिला और जनपद पंचायत के अधिकारियों के कोर्ट आदेश का पालन करने से इतना बड़ा संकट उत्पन्न होगा। शिक्षकों ने सोना साहू को रोल मॉडल मानते हुए कोर्ट का रुख किया।

जब कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया, तो सरकार हरकत में आई।पहले ही सरकार क्रमोन्नति वेतनमान का आदेश रद्द कर चुकी थी, और अब सोना साहू कोर्ट में केस जीत चुकी थीं। साथ ही, राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि 50 हजार शिक्षकों को क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ दे सके।

सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था

इस संकट से बचने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सरकार ने स्पेशल लीव पेटीशन (एसएलपी) दायर की है, जिसका मतलब है कि इस मामले की जल्दी सुनवाई की जाए। सुनवाई हुई भी, जिसके बाद अब राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार की एसएलपी को डबल बेंच ने खारिज कर दिया है।