Bihar Elections : राजनीति में अफसरों की एंट्री ने बढ़ाई हलचल…! कई पूर्व IAS-IPS चुनावी मैदान में उतरने को तैयार…यहां देखें जंबो List

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पटना, 28 जुलाई। Bihar Elections : बिहार की राजनीति एक नई करवट ले रही है। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव 2025 करीब आ रहे हैं, पूर्व IAS और IPS अधिकारियों की सियासी एंट्री ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। कई रिटायर्ड नौकरशाहों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेकर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। इनमें कुछ ऐसे चेहरे भी हैं, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी रहे हैं, जबकि कुछ प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से राजनीतिक सफर शुरू कर रहे हैं।

नीतीश कुमार के पूर्व सचिव दिनेश कुमार राय मैदान में

पूर्व आईएएस अधिकारी और नीतीश कुमार के राजनीतिक सचिव रह चुके दिनेश कुमार राय ने करगहर विधानसभा से चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। कुर्मी समुदाय से आने वाले राय स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ रखते हैं। VRS लेने के बाद वे जमीनी राजनीति में पूरी तैयारी से उतर चुके हैं।

ADG रहे IPS जय प्रकाश सिंह जन सुराज में शामिल

2000 बैच के पूर्व आईपीएस जय प्रकाश सिंह, जो हिमाचल प्रदेश में ADG पद पर थे, ने VRS लेकर जन सुराज पार्टी का दामन थाम लिया है। वे सारण जिले की छपरा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। उनकी एंट्री से जन सुराज को नई धार मिली है।

‘सिंघम’ शिवदीप लांडे ने बनाई अपनी पार्टी

बिहार के चर्चित ‘सिंघम’ आईपीएस शिवदीप लांडे ने ‘हिंद सेना पार्टी’ का गठन कर राजनीति में उतरने का ऐलान किया है। उनका दावा है कि उनकी पार्टी राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

IPS आनंद मिश्रा का उतार-चढ़ाव भरा राजनीतिक सफर

पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा ने बक्सर से बीजेपी टिकट की उम्मीद में VRS लिया, लेकिन टिकट न मिलने पर जन सुराज पार्टी में शामिल हुए। बाद में उन्होंने वह पार्टी भी छोड़ दी। फिलहाल वे सियासी असमंजस में हैं।

अन्य पूर्व अफसर भी सियासी मैदान में तैयार

पूर्व डीएम अरविंद कुमार सिंह, पूर्व संयुक्त सचिव गोपाल नारायण सिंह, नवादा के पूर्व डीएम लल्लन यादव – इन सभी ने जन सुराज से जुड़कर चुनावी रणनीति बनानी शुरू कर दी है।

वहीं, ओडिशा कैडर के पूर्व IAS मनीष वर्मा ने जेडीयू में शामिल होकर महासचिव का पद संभाल लिया है और संभावना है कि वे नालंदा से चुनाव लड़ सकते हैं।

बिहार में अफसरों की सियासी मौजूदगी: परंपरा और प्रयोग

बिहार में फसरों का राजनीति में आना कोई नई बात नहीं। पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा, ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह, एन.के. सिंह और पूर्व मंत्री आरसीपी सिंह इसके सफल उदाहरण हैं। हालांकि कुछ अफसर, जैसे गुप्तेश्वर पांडेय, टिकट न मिलने के बाद हाशिए पर चले गए।

MLC सर्वेश कुमार कहते हैं: “अगर अफसर राजनीति में भी ‘बाबू’ बने रहेंगे तो असफल होंगे, लेकिन जिन्हें जनसंपर्क और जमीन का अनुभव है, उनके लिए राजनीति में बेहतर संभावनाएं हैं।”

नीतीश और मोदी दोनों को अफसरों पर भरोसा

प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश दोनों प्रशासकीय अनुभव रखने वालों को राजनीतिक जिम्मेदारी सौंपने में विश्वास रखते हैं। मोदी सरकार में एस. जयशंकर, आर.के. सिंह और अश्विनी वैष्णव जैसे अफसर मंत्री पदों पर हैं। वहीं नीतीश ने दीपक कुमार, चंचल कुमार और अतुल प्रसाद जैसे अफसरों को पद से रिटायर होने के बाद भी रणनीतिक जिम्मेदारी सौंपी है।

बदलते चुनाव की तस्वीर

बिहार का आगामी विधानसभा चुनाव (Bihar Elections) पारंपरिक राजनीति से हटकर ब्यूरोक्रेसी बनाम पॉलिटिक्स’ की नई लड़ाई के रूप में भी देखा जा रहा है। राजनीतिक दल भी अब ग्राउंड कनेक्ट वाले अफसरों को टिकट देने में रुचि दिखा रहे हैं। ऐसे में VRS लेने वाले अफसरों की बढ़ती संख्या चुनाव 2025 की तस्वीर को नया मोड़ दे सकती है।