बिलासपुर, 04 जुलाई। Bilaspur High Court : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दो दिन के नवजात शिशु की हत्या के मामले में दोषी मां की अपील को खारिज करते हुए सत्र न्यायालय द्वारा दी गई उम्रकैद की सजा को सही ठहराया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि सामाजिक बैठक में महिला द्वारा बिना किसी दबाव या प्रलोभन के यह स्वीकार करना कि नवजात उसके अवैध संबंधों का परिणाम था, और सह अभियुक्त द्वारा बच्चे को अपनाने से इनकार करने पर हत्या की बात स्वीकार करना, सजा का पुख्ता आधार है।
यह मामला रायपुर जिले का है, जहां 22 अक्टूबर 2018 को एक व्यक्ति ने पुलिस को सूचना दी कि उसकी विधवा बहू ने एक सह अभियुक्त के साथ मिलकर दो दिन के नवजात पुत्र की हत्या कर दी है। आरोप के अनुसार, नवजात के सिर और गले पर वार कर उसकी हत्या की गई और फिर शव को खार में फेंक दिया गया।
पुलिस ने मर्ग कायम कर शव का पोस्टमॉर्टम कराया, जिसमें सिर और गले पर गंभीर चोटें पाई गईं और हत्या की पुष्टि हुई। इसके बाद अभियोजन की ओर से पेश साक्ष्य और महिला के कथन के आधार पर सत्र न्यायालय ने उसे दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा एवं न्यायमूर्ति बीडी गुरु की खंडपीठ (Bilaspur High Court) ने सुनवाई करते हुए कहा कि महिला का बयान उसकी स्वेच्छा से दिया गया है और वह मामले की परिस्थितियों से मेल खाता है। इसलिए उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस फैसले के साथ हाईकोर्ट ने समाज में लोकलाज के डर से किए गए ऐसे अमानवीय कृत्य के खिलाफ कड़ा संदेश भी दिया है।