नई दिल्ली, 30 जून। Birth Certificate Process : देशभर में नवजात शिशुओं का जन्म प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया अब पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई नई डिजिटल व्यवस्था के तहत अब हर नवजात शिशु का जन्म प्रमाण पत्र उसी अस्पताल में तैयार कर दिया जाएगा, जहां उसका जन्म हुआ है और वह प्रमाण पत्र बच्चे की मां को अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले ही सौंप दिया जाएगा।
इस पहल का उद्देश्य कागजी कार्यवाही की जटिलताओं को खत्म करना और समय की बचत करना है। अब अभिभावकों को नगर निगम या अन्य सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने होंगे। प्रमाण पत्र की डिजिटल एंट्री ‘सीआरएस पोर्टल’ पर की जाएगी, और जरूरत पड़ने पर इसकी डिजिटल कॉपी भी आसानी से प्राप्त की जा सकेगी।
यह व्यवस्था पहले चरण में सरकारी अस्पतालों में लागू की गई है, और आने वाले समय में निजी अस्पतालों को भी इससे जोड़ा जाएगा। इससे नवजात बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं और दस्तावेजों की प्रक्रिया और अधिक सहज और पारदर्शी हो सकेगी।
प्रमुख लाभ
- माता-पिता को जन्म प्रमाण पत्र के लिए अतिरिक्त दौड़‑भाग नहीं करनी पड़ेगी।
- प्रमाण पत्र डिजिटल व वैध हस्ताक्षर सहित जारी होगा।
- बच्चे की पहचान और स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ समय पर मिल सकेगा।
क्यों जरूरी था यह कदम?
- बचत होगी समय की – कार्यालय/नगर निगम में बार‑बार दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं रहेगी।
- डिजिटली सुरक्षित – प्रमाणपत्र डिजिटल हस्ताक्षर के साथ मिलेगा, किसी भी पहचान कार्य में तुरंत उपयोग हो सकेगा।
- स्मूथ ट्रैकिंग – जन्म के उपरांत स्वास्थ्य रिकॉर्ड व सरकारी योजनाओं के लिए पहचान तुरंत स्थापित होगी।
नई केंद्रीय डिजिटल व्यवस्था लागू
- केंद्र सरकार और राज्य स्वास्थ्य विभागों ने एक नई व्यवस्था शुरू की है, जिसके तहत किसी भी नवजात शिशु का जन्म प्रमाण पत्र उसके अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले ही तैयार और सौंप दिया जाएगा।
- प्रक्रिया ऑनलाइन ‘मां नवजात ट्रैकिंग सिस्टम’ (मंत्रा ऐप) व सीआरएस पोर्टल से जुड़ी है, ताकि बच्चे के नाम, जन्म समय, लिंग, वजन सहित माता‑पिता की जानकारी तत्काल दर्ज हो सके और डिजिटल सर्टिफिकेट प्रोसेस पूरा हो‑जाए।
- सभी कलेक्टर व मुख्य रजिस्ट्रार को इस दिशा में निर्देश जारी कर दिए गए हैं, और सरकारी अस्पतालों में यह सुविधा ज़ोर‑शोर से प्रारंभ हो रही है, मध्यप्रदेश के मनावर, सीहोर, भोपाल जैसे जिला अस्पताल इसका उदाहरण बने हैं।
- इससे पहले जहाँ जन्म प्रमाणपत्र बनाने में करीब 21 दिन लग जाते थे—जिसमें माता‑पिता को कई सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ता था, अब डिस्चार्ज तक सब कुछ पूरा हो जाएगा।
- इस पहल से समय, खर्च व शंकाओं में भारी कमी आएगी। साथ ही नवजात एवं माताओं की स्वास्थ्य ट्रैकिंग भी प्रभावी होगी। डिजिटल हस्ताक्षरयुक्त प्रमाणपत्र (Birth Certificate Process) तुरंत प्राप्त करने की सुविधा प्रतिष्ठान स्तर पर धर्मी व पारदर्शी साबित होगी।