Gariaband News : छत्तीसगढ़ में लोक निर्माण विभाग के सेतु विभाग द्वारा लोगों को आने जाने और पड़ोसी राज्य ओडिशा से जोड़ने के लिए 2 करोड़ रुपये की लागत से लगभग 75 मीटर लंबा पुल (Bridge) का निर्माण करवाया गया है। भले ही विभाग द्वारा इसे आवाजाही करने के लिए बनाया गया था, लेकिन स्थानीय लोगों ने इसे न सिर्फ खलिहान बना दिया है, बल्कि बकायदा इसमें धान की मिंजाई का काम कर रहे हैं। पुल को खलिहान बनाने का मामला गरियाबंद जिले का ह
गरियाबंद जिले के देवभोग ब्लाक मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर ओडिशा सीमा से लगे गोहरापदर में पंचायत मुख्यालय को दूसरे मोहल्ले से जोड़ने के लिए तुआस नाला पर 2 करोड़ की लागत से 75 मीटर लंबा उच्च स्तरीय पुल (Bridge) बनाया गया। यह कच्ची सड़क आगे ओडिशा के एक छोटे से गांव कोटमेर तक जाती है।
रास्ता ग्रामीण इलाके का होने के कारण पीएम सड़क बनाने के मापदंड पर भी खरा नहीं उतरता था। लेकिन 2015 में यहां पीडब्ल्यूडी के सेतु निगम शाखा ने उच्च स्तरीय पुल बनाया। पुल पर वाहनों की आवाजाही कम होती है। इसलिए अब 75 मीटर लंबे पुल का पूरा हिस्सा धान मक्का फसल सुखाने और मिंजाई के लिए इस्तेमाल हो रहा है। बकायदा फसलों के देखभाल के लिए किसान अस्थायी झोपड़ी तक बनी है।
ग्रामीण इलाके के सड़क को जोड़ने वाले इस सड़क पर भारी वाहनों की आवाजाही नहीं के बराबर है। धान सप्लाई सीजन में ओडिशा से दिनभर 10 से 12 बार पिकअप और ट्रैक्टर गुजरते हैं। जिस तुआस नाले पर 75 मीटर पुल बनाया गया है, उस नाले की अधिकतम चौड़ाई 15 मीटर से भी कम थी।
लेकिन जब सर्वे किया गया, तो इसका डूबान एरिया की चौड़ाई 30 मीटर से ज्यादा बताई गई।उच्चस्तरीय पुल 30 मीटर से ज्यादा चौड़ी नाले पर बनाया जाना था। ऐसे में यहां 75 मीटर उच्च स्तरीय पुल निर्माण की मंजूरी 2015 को मिली। ग्रामीण बताते है कि, सर्वे 2014 में किया गया था। इसी साल धुपकोट जलाशय का उलट भी बनाया गया। इस उलट के कारण नाले में पानी का दबाव कम हो गया। पुल बना है, तब से कोई बाढ़ नहीं आई।