CBSE : मातृभाषा में शिक्षा…! प्री-प्राइमरी से कक्षा 5वीं तक की पढ़ाई…? सीबीएसई की नई पहल…जारी की नई गाइडलाइन यहां देखें

Spread the love

रायपुर, 26 मई। CBSE : सीबीएसई ने एक महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किया है, जिसके तहत सभी संबद्ध स्कूलों को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा (NCF-2023) के तहत प्राथमिक और प्रारंभिक शिक्षा स्तर पर मातृभाषा या स्थानीय भाषा को माध्यम के रूप में अपनाने का निर्देश दिया गया है। यह पहल 2025-26 शैक्षणिक सत्र से लागू होगी। इसका उद्देश्य बच्चों के शैक्षिक और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देना है।

CBSE के जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि 3 से 11 साल तक के बच्चों यानी प्री-प्राइमरी से कक्षा 5वीं तक की पढ़ाई मातृभाषा में कराई जाएगी। सर्कुलर में कहा गया है कि बच्चे अपने घर की भाषा में जल्दी और गहराई से कॉन्सेप्ट को समझ पाते हैं।

मुख्य बिंदु

  • मातृभाषा को माध्यम बनाना: शैक्षिक और व्यक्तिगत विकास के लिए प्राथमिक और प्रारंभिक स्तर पर मातृभाषा या स्थानीय भाषा को माध्यम के रूप में अपनाया जाएगा।
  • पाठ्यक्रम संचालन के लिए समिति का गठन: पाठ्यक्रम के प्रभावी संचालन के लिए संबंधित स्कूलों में एक समिति का गठन किया जाएगा, जो स्थानीय भाषाओं के अनुसार पाठ्यक्रम की योजना और क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगी।
  • शिक्षकों के प्रशिक्षण की आवश्यकता: शिक्षकों को स्थानीय भाषाओं में शिक्षा देने के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी, ताकि वे बच्चों की भाषा संबंधी जरूरतों को समझ सकें।
  • शैक्षिक सामग्री का अनुकूलन: शैक्षिक सामग्री को स्थानीय भाषाओं में अनुकूलित किया जाएगा, जिससे बच्चों को उनकी समझ के अनुसार शिक्षा मिल सके।

मातृभाषा को माध्यम बनाना

प्रारंभिक और प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा या घरेलू भाषा को माध्यम के रूप में अपनाया जाएगा। कक्षा 3 से 5वीं तक के छात्रों के लिए भी मातृभाषा में पढ़ाई की सलाह दी गई है, हालांकि यहां माध्यम बदलने का विकल्प खुला रखा गया है।

  • कमेटी का गठन: सभी स्कूलों को मई के अंत तक एक कमेटी बनाने का निर्देश दिया गया है, जो एनसीएफएसई द्वारा जारी गाइडलाइन को लागू करेगी। यह कमेटी छात्रों की मातृभाषा, संसाधन और पाठ्यक्रम पर कार्य करेगी।
  • भाषा जरूरतों का आंकलन: कमेटी का मुख्य कार्य छात्रों की भाषा जरूरतों का आंकलन करना और शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराना होगा।
  • शिक्षकों का प्रशिक्षण: शिक्षकों को स्थानीय भाषाओं में शिक्षा देने के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी, ताकि वे बच्चों की भाषा संबंधी जरूरतों को समझ सकें।
  • शैक्षिक सामग्री का अनुकूलन: शैक्षिक सामग्री को स्थानीय भाषाओं में अनुकूलित किया जाएगा, जिससे बच्चों को उनकी समझ के अनुसार शिक्षा मिल सके।

यह पहल बच्चों के शैक्षिक और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा (CBSE) देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उन्हें उनकी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करके उनकी समझ और आत्मविश्वास को मजबूत करेगी।