नई दिल्ली, 28 अक्टूबर। Census Survey Timing : देश में कई सालों से जनगणना का काम रुका हुआ है। इस बीच काफी विलंब से चल रही दशकीय जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने का काम जल्द ही शुरू हो सकता है। जनगणना का समय सामने आ गया है। जनसंख्या क्या है, इसे हर कोई जानना चाहता है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, 2025 की शुरुआत में जनगणना शुरू होने की संभावना है और डेटा 2026 तक घोषित किए जाएंगे, जिससे भविष्य की जनगणना चक्र पूरी तरह बदल जाएंगे।
जाति जनगणना पर अभी फैसला नहीं
अभी तक इस बात पर कोई फैसला नहीं हुआ है कि आम जनगणना के साथ-साथ जाति जनगणना भी की जाएगी या नहीं। देश की जनसंख्या की गणना 1951 से हर 10 साल में की जाती रही है, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण 2021 में जनगणना का काम नहीं हो सका। अभी तक इसके अगले कार्यक्रम पर कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है।
भविष्य के चक्रों में होगा बदलाव
संभावना है कि जनगणना और एनपीआर का काम अगले साल की शुरुआत में शुरू हो जाएगा और जनसंख्या के आंकड़े 2026 तक घोषित किए जाएंगे। इसके साथ ही जनगणना चक्र में बदलाव होने की संभावना है। इसलिए, यह 2025-2035 और फिर 2035-2045 और भविष्य में इसी तरह होगा।
जनगणना में पूछे जाने वाले 31 सवाल भी तैयार
रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यालय ने जनगणना के दौरान नागरिकों से पूछे जाने वाले 31 सवाल तैयार किए थे। इन सवालों में यह भी शामिल है कि क्या घर का मुखिया अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से है और परिवार के अन्य सदस्य पिछली जनगणना में पूछे गए सवालों के समान हैं।
परिवार से पूछे जाएंगे ये 31 सवाल
- परिवार में सामान्य रूप से रहने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या क्या है।
- क्या परिवार की मुखिया महिला है।
- परिवार के पास विशेष रूप से कितने कमरे हैं।
- परिवार में रहने वाले विवाहित जोड़ों की संख्या आदि शामिल हैं।
- प्रश्नों में यह भी शामिल है कि क्या परिवार के पास टेलीफोन, इंटरनेट कनेक्शन, मोबाइल या स्मार्टफोन, साइकिल, स्कूटर या मोटरसाइकिल या मोपेड है और क्या उनके पास कार, जीप या वैन है।
- नागरिकों से यह भी पूछा जाएगा कि वे घर में क्या अनाज खाते हैं, पीने के पानी का मुख्य स्रोत, शौचालय तक पहुंच, शौचालय का प्रकार, अपशिष्ट जल आउटलेट, स्नान की सुविधा की उपलब्धता के बारे में भी पूछा जाएगा।
- वहीं, रसोई और एलपीजी/पीएनजी कनेक्शन की उपलब्धता, खाना पकाने के लिए उपयोग किए जाने वाले मुख्य ईंधन, रेडियो, ट्रांजिस्टर, टेलीविजन आदि की उपलब्धता के बारे में भी सवाल होंगे।
विपक्ष को क्या है परेशानी
विपक्षी कांग्रेस और आरजेडी उन राजनीतिक दलों में शामिल हैं जो जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं ताकि देश में कुल ओबीसी आबादी का पता चल सके। एक सूत्र ने बताया, “सरकार ने अभी तक जाति जनगणना पर कोई फैसला नहीं लिया है।” यह देखना होगा कि जनगणना के आंकड़े प्रकाशित होने के बाद सरकार 2026 में होने वाले परिसीमन अभ्यास को आगे बढ़ाएगी या नहीं।
दक्षिणी राज्यों के कई राजनीतिक नेताओं ने आशंका जताई है कि उनके राज्य लोकसभा की सीटों और इस तरह अपने राजनीतिक प्रभाव को खो सकते हैं, क्योंकि उत्तरी राज्यों के विपरीत, जनसंख्या नियंत्रण में वे सफल रहे हैं। उन्हें लगता है कि यदि नए आंकड़ों के साथ परिसीमन किया जाता है, तो दक्षिणी राज्यों को मौजूदा निर्वाचन क्षेत्रों की तुलना में संसदीय सीटों की संख्या कम मिल सकती है।