Spread the love

रायपुर, 28 जुलाई। CG CAG Report : भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने छत्तीसगढ़ में सरकारी स्वास्थ्य कर्मियों की कमी, दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की खरीद में अनियमितताओं को उजागर किया है। दरअसल, छत्तीसगढ़ विधानसभा में शुक्रवार को मार्च 2022 को समाप्त वर्ष के लिए भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक का लोक स्वास्थ्य अधोसंरचना व स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन पर निष्पादन लेखापरीक्षा पटल पर रखा गया।

जनशक्ति की उपलब्धता में 34% कमी

रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग में स्वीकृत 74,797 पदों के मुकाबले जनशक्ति की उपलब्धता में कुल मिलाकर 34 प्रतिशत (25,793) की कमी है। हालांकि 2016-22 के दौरान राज्य के डॉक्टर जनसंख्या अनुपात (1: 2492) में सुधार हुआ था, लेकिन यह डब्ल्यूएचओ के मानदंड 1:1000 और राष्ट्रीय अनुपात 1:1456 से काफी पीछे था।

172 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की कमी

रिपोर्ट में कहा गया है कि जनसंख्या के आधार पर डॉक्टरों के पद समान रूप से स्वीकृत नहीं किए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप जिलों में संचालक स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत डॉक्टरों की कमी रही। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 23 जिला अस्पतालों में स्वीकृत पदों के मुकाबले विशेषज्ञ डॉक्टरों (33%), चिकित्सा अधिकारियों (4%) और पैरामेडिक्स (13 प्रतिशत) की उपलब्धता में कमी थी। 172 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वीकृत पदों के मुकाबले विशेषज्ञ डॉक्टरों (72%) और डॉक्टरों (15%) की कमी थी।

एएनएम के 17% पद रिक्त

रिपोर्ट में कहा गया है कि 4,996 उप स्वास्थ्य केंद्रों में स्वीकृत पदों के मुकाबले एएनएम (सहायक नर्स दाई) के 17% पद रिक्त थे। 502 एसएचसी में, कोई एएनएम तैनात नहीं थी और इस प्रकार इन एसएचसी में गर्भवती महिलाओं को आवश्यक मातृत्व सेवाएं प्रदान नहीं की जा सकी।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के तहत दवाओं, औषधियों और उपकरणों की सभी खरीद और आपूर्ति के लिए 2010 में छत्तीसगढ़ राज्य चिकित्सा सेवा निगम लिमिटेड (सीजीएमएससीएल) की स्थापना एक केंद्रीकृत नोडल एजेंसी के रूप में की थी।

3753 करोड़ की खरीदी में अनियमितता

2016-22 के दौरान, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने 3,753.18 करोड़ रुपये मूल्य की दवाओं, दवाओं और उपकरणों की खरीद की थी। एक केंद्रीकृत खरीद एजेंसी होने के बावजूद, 2016-22 के दौरान कुल खरीद के 26.79 से 50.65 प्रतिशत तक दवाओं, औषधियों और उपभोग्य सामग्रियों की खरीद स्थानीय खरीद (विकेंद्रीकृत खरीद) के माध्यम से की गई थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सीजीएमएससीएल छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम (सीजीएसपीआर) के अनुरूप खरीद मैनुअल तैयार करने में विफल रहा, जिसके कारण कई मामलों में सीजीएसपीआर का उल्लंघन करते हुए खरीदारी की गई।

दवाओं और उपकरणों की आपूर्ति में हुई देरी
रिपोर्ट के मुताबिक, सीजीएमएससीएल द्वारा दर अनुबंधों (RC) के लिए अंतिम रूप दिए गए कुल 278 निविदाओं में से 165 निविदाओं को 2016-22 के दौरान तीन से 694 दिनों की देरी से अंतिम रूप दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप दवाओं और उपकरणों की आपूर्ति में देरी हुई। अंतिम रूप देने में देरी के परिणामस्वरूप दवाओं की स्थानीय खरीद अधिक दरों पर हुई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आवश्यक बुनियादी ढांचे की आवश्यकता/उपलब्धता सुनिश्चित किए बिना उपकरण खरीदे गए, जिसके परिणामस्वरूप 49.68 करोड़ रुपये के उपकरण बेकार हो गए। इसमें कहा गया है कि 23.98 करोड़ रुपये की दवाएं ब्लैक लिस्टेड फर्मों से खरीदी गईं।

इसमें कहा गया है कि दवाओं की सामग्री प्रबंधन प्रणाली में कमी थी क्योंकि सीजीएमएससीएल ने अपने गोदामों में उपलब्ध स्टॉक, पिछली खपत और भविष्य की आवश्यकता पर विचार किए बिना खरीद आदेश दिए, जिसके परिणामस्वरूप 33.63 करोड़ रुपये की दवाएं एक्सपायर हो गई।

कोविड संबंधित वस्तुओं की खरीदी में भी अनियमिता

रिपोर्ट में कहा गया है कि सीजीएमएससीएल ने कोविड समिति की सिफारिश के बिना 23.13 करोड़ रुपये की कोविड-19 संबंधित वस्तुओं की खरीद की थी, जो अनियमित था।