रायपुर/महासमुंद, 09 जुलाई। CGMSC (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन लिमिटेड) एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवालों के घेरे में है। इस बार मामला महासमुंद जिला अस्पताल से जुड़ा है, जहां ऑपरेशन थियेटर में उपयोग के लिए भेजे गए सर्जिकल ब्लेड जंग लगे हुए पाए गए हैं। इस लापरवाही ने मरीजों की जान को गंभीर खतरे में डाल दिया है।
क्या है मामला?
महासमुंद के संयुक्त संचालक सह अस्पताल अधीक्षक द्वारा CGMSC के प्रबंध संचालक को भेजे गए शिकायत पत्र में स्पष्ट किया गया है कि-
- मार्च माह में आए Surgical Blade No. 22 (बैच नं. G409, एक्सपायरी: 05/2029) की 500 ब्लेड की खेप में से अब तक कम से कम 50 ब्लेड ‘Loose Packing’ और जंग लगे (Rusted) पाए गए हैं।
- अस्पताल प्रबंधन ने इन्हें ऑपरेशन थियेटर में इस्तेमाल करने से मना कर दिया है, क्योंकि ऐसे ब्लेड से सर्जरी के दौरान संक्रमण (Septic) होने का खतरा अत्यधिक होता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की कड़ी प्रतिक्रिया
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस घटना को मरीजों की जान से सीधा खिलवाड़ बताते हुए कहा है कि, “लगातार अमानक दवाएं, खराब डायग्नोस्टिक किट्स और अब जंग लगे ब्लेड—यह सब CGMSC में व्याप्त कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार का परिणाम है।”
गौरतलब है कि इससे पहले भी CGMSC द्वारा सप्लाई की गई Phenytoin Sodium दवा, प्रेगनेंसी टेस्ट किट और IV ड्रिप सेट को अमानक करार देकर रोक लगाई जा चुकी है।
प्रबंध संचालक से जवाब नहीं
मामले को लेकर CGMSC की प्रबंध संचालक पद्ममनी भोई साहू से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने न तो कॉल रिसीव किया, न ही कोई स्पष्टीकरण दिया। स्थानीय स्वास्थ्यकर्मियों का आरोप है कि इससे पहले भी उनके कार्यालय में जाकर जानकारी मांगी गई थी, लेकिन उन्होंने देने से इनकार कर दिया।
चेयरमैन का बयान- होगी जांच
CGMSC के चेयरमैन दीपक म्हस्के ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मामला संज्ञान में आया है। जांच के आदेश दिए जाएंगे। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
यह केवल लापरवाही नहीं, संभावित अपराध है
इस पूरे प्रकरण ने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था में गंभीर लापरवाही और उत्तरदायित्व की कमी को उजागर कर दिया है।
अस्पतालों में मरीज पहले से ही संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं, और अब यदि ऑपरेशन जैसे संवेदनशील मामलों में जंग लगे ब्लेड सप्लाई किए जाएं, तो यह केवल लापरवाही नहीं, संवेदनहीनता और आपराधिक लापरवाही की श्रेणी में आता है।
छत्तीसगढ़ सरकार और स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि CGMSC की कार्यप्रणाली की स्वतंत्र जांच कराई जाए और ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर जवाबदेही तय की जाए। क्योंकि जब सवाल मरीज की जान का हो, तो एक जंग लगी ब्लेड भी जानलेवा साबित हो सकती है।
