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बिलासपुर, 05 दिसम्बर। Chhattisgarh High Court : सात साल की बच्ची से दुष्कर्म के बाद आरोपी ने हत्या कर दी। निचली अदालत ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई थी। निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए आरोपी ने हाई कोर्ट में अपील पेश की थी। मामले की सुनवाई डिवीजन बेंच में (Chhattisgarh High Court Decission)हुई।

सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने इस घटना को बेहद क्रूर माना है। डिवीजन बेंच ने कहा, यह बेहद क्रूर और जघन्य अपराध,पर रेयरेस्ट आफ रेयर अपराध नहीं। इस टिप्पणी के साथ निचली अदालत द्वारा दिए गए फांसी की सजा को रद्द करते हुए आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया है।

राजनांदगांव एफटीसी ने फांसी की सजा सुनाने के बाद पुष्टि के लिए मामला हाई कोट के हवाले किया था। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने कहा कि यह घटना अपने आप में बहुत भयानक और बर्बर (Chhattisgarh High Court Decission)है।

यह जघन्य मामला है। डिवीजन बेंच ने यह भी कहा कि जघन्य अपराध तो है पर इसे रेयरेस्ट आफ रेयर की श्रेणी में नहीं माना जा सकता। इस टिप्पणी के साथ डिवीजन बेंच ने दुष्कर्म और हत्या के आरोपी की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया है। बता दें कि राजनांदगांव के एफटीसी ने दुष्कर्म और हत्या के आरोपी को फांसी की सजा सुनाई (Chhattisgarh High Court Decission)थी।

क्या है मामला

राजनांदगांव जिले के सोमानी गांव की सात साल की बच्ची को 28 फरवरी 2021 की रात करीब 8.30 बजे आरोपी दीपक बघेल झांकी दिखाने के बहाने अपने साथ ले गया। बच्ची के साथ उसका पांच साल का भाई भी था। भाई को झांकी समारोह में छोड़कर आरोपी दीपक बच्ची को अपने साथ रेलवे ट्रैक के किनारे ले गया।

वहां दुष्कर्म करने के बाद बच्ची के सिर पर भारी पत्थर पटक कर उसकी हत्या कर दी। लाश को रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया। ट्रेन गुजरने के कारण लाश क्षत-विक्षत हो गई थी।

एफटीसी ने आठ महीने में सुनाया था फैसला

दुष्कर्म और हत्या के आरोपी के खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की धारा 363, 366, 376 2एफ, 376 (2) (1), 302 और 201 और पॉक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद पुलिस ने चार्जशीट पेश की थी।

एफटीसी ने आठ महीने में अपना फैसला सुनाया था। एफटीसी ने इस अपराध को रेयरेस्ट आफ रेयर श्रेणी का मानते हुए आरोपी दीपक बघेल को फांसी की सजा सुनाई थी। सजा सुनाने के बाद इसकी पुष्टि के लिए मामला हाई कोर्ट भेज दिया था।