दुर्ग, 10 फरवरी। Child Swapping Case : दुर्ग जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। जहां दो नवजात बच्चों की अदला-बदली हो गई। यह मामला 23 जनवरी का है, जब शबाना कुरैशी और साधना सिंह ने जिला अस्पताल में ऑपरेशन से बच्चों को जन्म दिया। अस्पताल के स्टाफ की गलती से दोनों मांओं को गलत बच्चे सौंप दिया।
यह मामला उस समय खुला जब शबाना कुरैशी के परिवार ने बच्चे के हाथ में लगा अस्पताल का टैग देखा। टैग पर दूसरे माता-पिता का नाम लिखा था। शक होने पर परिवार तुरंत अस्पताल पहुंचा और इस लापरवाही की शिकायत की। जब दोनों परिवारों ने अपने-अपने बच्चों को अपना बताया, तो मामला उलझ गया और DNA टेस्ट की मांग उठी।
DNA टेस्ट से सुलझी गुत्थी
इस घटना पर कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी के निर्देश पर 6 फरवरी को DNA टेस्ट के लिए नमूने रायपुर भेजे गए। रिपोर्ट आने के बाद नवजातों की सही पहचान हुई और उन्हें उनके जैविक माता-पिता को सौंप दिया गया। डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने पर शनिवार 8 फरवरी को बंद लिफाफा खोला गया। जिसमें डीएनए रिपोर्ट थी।
डीएनए रिपोर्ट के मुताबिक बच्चा बदलने की पुष्टि हुई। जिसमे शबाना और साधना को उसके वास्तविक बच्चों को सुपुर्द कर दिया गया है। दोनो परिवार के लोगों ने बताया कि उनका अपना बच्चा मिल गया है। इसी में खुशी है अस्पताल प्रबंधन के द्वारा लापरवाही उजागर हुई है। ऐसी गलती अस्पताल में दोबारा न हो। शबाना के पास जो बच्चा था उसे साधना को सौंपा गया और साधना के पास जो बच्चा था उसे शबाना को सौंपा गया है।
इस मामले में अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। दुर्ग जिला अस्पताल के सीएमएचओ डॉक्टर मनोज दानी ने कहा कि इस लापरवाही की जांच के लिए एक समिति बनाई गई है, जो दोषियों पर कार्रवाई की सिफारिश करेगी।
DNA टेस्ट के बाद हुई नवजातों की पहचान
शबाना कुरैशी ने कहा कि मुझे मेरा असली बच्चा मिल गया, मैं बहुत खुश हूं। 16 दिन तक जिस बच्चे को पाला, उसे भी अपने बेटे की तरह रखा। वहीं, साधना सिंह की ननद रानी सिंह ने भी खुशी जताई और अस्पताल प्रशासन (Child Swapping Case) पर सख्त कार्रवाई की मांग की।