Name of Chhattisgarh Congress' 'missing treasurer' and jailed Kawasi Lakhma in the list of Congress's national convention... see the list hereCongress
Spread the love

रायपुर, 07 अप्रैल। Congress : गुजरात में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होने जा रहे छत्तीसगढ़ के नेता आज अहमदाबाद रवाना हो गए हैं। कांग्रेस ने अहमदाबाद जाने वाले 55 नेताओं की सूची जारी की है। इस सूची में एक नाम छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल का भी है।

भाजपा ने कसा तंज

इस पर भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी ने कहा कि, ये कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन है या घोटालेबाजों का अधिवेशन। जो व्यक्ति वर्षों से फरार चल रहे हैं, उन्हें राष्ट्रीय अधिवेशन में बुलाया गया है। समझना पड़ेगा उन्होंने जेल में बंद सौम्य चौरसिया और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को भी कहीं अपेक्षित श्रेणी में तो नहीं रखा।

पार्टी में लगे थे गबन के आरोप

कांग्रेस सरकार जाने के बाद रामगोपाल वर्मा पर पार्टी के अंदर से ही गबन का आरोप लगा है। कांग्रेस के पूर्व महामंत्री अरुण सिसोदिया ने दीपक बैज को चिट्ठी लिखी थी। इसमें 5 करोड़ 89 लाख रुपए के गबन करने की बात लिखी गई थी।

सिसोदिया ने अपने पत्र में लिखा था कि रामगोपाल अग्रवाल ने अपने मित्र और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा के बेटे की कंपनी टेसू मीडिया लैब गाजियाबाद को 5 करोड़ 89 लाख रुपए दिए हैं। ये रुपए तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम और प्रभारी महामंत्री की जानकारी के बिना भुगतान किया गया था।

2 साल से फरार हैं रामगोपाल अग्रवाल

साल 2013 में रामगोपाल अग्रवाल को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। रामगोपाल अग्रवाल पिछले दो सालों से फरार हैं। उन पर ED की रेड के बाद से ही शिकंजा कस गया था। साल 2022 में हुई छापेमारी में कई अहम दस्तावेज और सबूत जब्त किए गए थे।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले और बाद में साल 2022-23 में 2-3 बार उनके ठिकानों पर ED ने छापा मारा था। तब से वे न तो पार्टी के कार्यक्रमों में नजर आए, न ही किसी बैठक में शामिल हुए। खुद कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में मौजूद कई नेताओं को भी ये याद नहीं कि उन्हें आखिरी बार कब देखा गया था।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने (Congress) अब तक इस पद पर किसी नए व्यक्ति की नियुक्ति नहीं की है। यानी प्रदेश की एक बड़ी पार्टी दो साल से बिना आधिकारिक कोषाध्यक्ष के ही चल रही है। पार्टी का फाइनेंशियल मैनेजमेंट कौन देख रहा है ये भी साफ नहीं है।