Contract Scam in DMF : रानू और सौम्या सहित 9 के खिलाफ 6000 पन्नों की चार्जशीट पेश…बिंदुवार देखें किस विभाग को कितना बजट देकर किया था घोटाला

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रायपुर, 28 मई। Contract Scam in DMF : छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड (DMF) घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विशेष कोर्ट में 8,021 पन्नों का आरोप पत्र पेश किया है। इसमें निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू, पूर्व महिला बाल विकास अधिकारी सौम्या चौरसिया, और अन्य 16 आरोपियों के नाम शामिल हैं। जांच में यह खुलासा हुआ है कि 2021-22 और 2022-23 में ठेकेदारों ने अधिकारियों को टेंडर राशि का 40% तक कमीशन दिया, जिससे कुल घोटाले की राशि 90.48 करोड़ रुपये तक पहुंची है।

घोटाले का विवरण

  • कमीशन का खेल : ठेकेदारों ने अधिकारियों को 15% से 42% तक कमीशन दिया।
  • मुख्य आरोपी : मनोज कुमार द्विवेदी ने अपने एनजीओ ‘उदगम सेवा समिति’ के माध्यम से ठेके हासिल किए और अधिकारियों को रिश्वत दी।
  • जांच की स्थिति : ईडी ने 23.79 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है, जिसमें 2.32 करोड़ रुपये की बेहिसाबी नकदी और आभूषण शामिल हैं।

यह घोटाला छत्तीसगढ़ सरकार के अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच मिलीभगत का उदाहरण प्रस्तुत करता है, जहां सरकारी फंड का दुरुपयोग कर निजी लाभ कमाया गया। जांच जारी है और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी की संभावना जताई जा रही है।

1. आदिवासी विकास विभाग

  • संबंधित अधिकारी : माया वारियर, जो इस विभाग में सहायक आयुक्त के रूप में कार्यरत थीं।
  • भूमिका: उन्होंने ठेकेदारों से कमीशन की वसूली में मध्यस्थ की भूमिका निभाई और DMF फंड के आवंटन में अनियमितताएँ कीं।

2. कोरबा जिला प्रशासन

  • संबंधित अधिकारी : रानू साहू, जो कोरबा जिले के कलेक्टर के रूप में कार्यरत थीं।
  • भूमिका: उन्होंने ठेकेदारों से 25% से 40% तक कमीशन की वसूली की और DMF फंड के आवंटन में अनियमितताएँ कीं।

3. महिला एवं बाल विकास विभाग

  • संबंधित अधिकारी : सौम्या चौरसिया, जो इस विभाग में उप सचिव के रूप में कार्यरत थीं।
  • भूमिका : उन्होंने ठेकेदारों से कमीशन की वसूली में सहयोग किया और DMF फंड के आवंटन में अनियमितताएँ कीं।

4. प्राइवेट ठेकेदार और एनजीओ ऑपरेटर

  • प्रमुख व्यक्ति : मनोज कुमार द्विवेदी, जो ‘उदगम सेवा समिति’ नामक एनजीओ के सचिव हैं।
  • भूमिका : उन्होंने DMF ठेके प्राप्त करने के लिए अधिकारियों को रिश्वत दी और फंड के दुरुपयोग में शामिल रहे।

इन विभागों और व्यक्तियों की मिलीभगत से DMF फंड का दुरुपयोग (Contract Scam in DMF) हुआ, जिससे खनन प्रभावित समुदायों के कल्याण के लिए आवंटित धन का गबन हुआ। जांच एजेंसियां इस मामले में आगे की कार्रवाई कर रही हैं।

इन विभागों में बजट देकर किया गया घोटाला

आदिवासी विकास विभाग कोरबा काे 29.86 करोड़ रु.।
खेल एंव युवा कल्याण विभाग को 27.62 करोड़ रु.।
समग्र शिक्षा विभाग कोरबा को 72.26 करोड़ रुपए।
महिला एंव बाल विकास विभाग 119. 39 करोड़ रु.।
जनपद पंचायत पोड़ी-उपरोड़ा को 110.14 करोड़ रु.।
जनपद पंचायत पाली को 146.13 करोड़ रुपए।
जनपद पंचायत करतला को 16.8 करोड़ रुपए।
जनपद पंचायत कोरबा को 15.24 करोड़ रुपए।
ठेकेदार संजय शेडे को 114.24 करोड़।

ठेकेदार ऋषभ सोनी को 54.87 करोड़
ठेकेदार राकेश शुक्ला को 29.58 करोड़
ठेकेदार मनोज द्विवेदी को 19.11 करोड़
ठेकेदार मुकेश अग्रवाल को 50.21 करोड़
ठेकेदार अशोक अग्रवाल को 29.98 करोड़
ठेकेदार शेंड्रे मन्नुभाई पटेल को 10 करोड़