रांची, 08 जनवरी। Court Case : झारखंड के सरायकेला-खरसावां में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक ASI (सहायक पुलिस उपनिरीक्षक) ने डीजीपी, एसपी और डीआईजी के खिलाफ कोर्ट केस करने के लिए तीन दिन की छुट्टी मांगी है। इस मामले के सामने आने के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है।
जानकारी के मुताबिक छुट्टी का आवेदन देने वाले ASI का नाम शुभंकर कुमार है। वह आरआईटी थाना में पदस्थ है। शुभंकर ने वरिष्ठ अधिकारियों पर शोषण और मनमाने रवैये का आरोप लगाया है। ASI का आरोप है कि उसने जरूरी काम को लेकर छुट्टी मांगी थी, जिसे अप्रूव नहीं किया गया। इसलिए उसने अब अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट केस करने का फैसला लिया है।
पत्र लिखने पर नहीं मिली प्रतिक्रिया
ASI शुभंकर कुमार ने अपने आवेदन में कहा है कि साल 2024 में उन्हें आकस्मिक अवकाश (CL) और क्षतिपूर्ति अवकाश (CPL) का एक भी दिन इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी गई। इसके चलते उनकी छुट्टियां व्यर्थ चली गईं। उन्होंने कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखा, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। अधिकारियों के इस रवैये के कारण वह मानसिक तनाव (डिप्रेशन) में चले गए हैं।
शुभंकर ने अब तीन दिन की छुट्टी मांगी है ताकि वह रांची हाई कोर्ट में न्याय की गुहार लगा सकें। उन्होंने अपने आवेदन में अधिकारियों के वेतन से कटौती कर क्षतिपूर्ति देने की मांग की थी, लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
बार-बार छुट्टी देने से इनकार
शुभंकर कुमार ने बताया कि यह मामला लंबे समय से चल रहा है। मैंने कई मौकों पर अवकाश मांगा, जैसे बेटे के जन्मदिन, काली पूजा और भतीजी की शादी के लिए, लेकिन मुझे अनुमति नहीं दी गई। वरिष्ठ अधिकारियों ने बार-बार मेरे अवकाश को अस्वीकार किया। मैंने अपनी छुट्टियों का उपयोग नहीं किया, फिर भी मुझे मुआवजा नहीं दिया गया। यह केवल मेरा मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे पुलिस विभाग में कर्मचारियों के साथ ऐसा हो रहा है। शुभंकर ने कहा कि वह न्यायालय में जाने का कदम उठाकर अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं। मैं सरकार से कुछ नहीं मांग रहा, बल्कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई चाहता हूं।
विभाग ने दी ये प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर एसडीपीओ समीर कुमार सवैया ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में है। यह जांच का विषय है और इसकी विस्तृत जांच होगी। इससे पहले ऐसा कोई मामला नहीं आया है। वहीं, शुभंकर कुमार का यह कदम पुलिस विभाग में चर्चा का विषय बन गया है। वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ न्यायालय जाने की अनुमति मांगने का यह मामला विभागीय प्रक्रियाओं और आंतरिक अनुशासन पर गंभीर सवाल (Court Case) उठाता है।