DAV School : सरगुजा के इस स्कूल ने मानवता को झकझोर दिया…! क्लास-2 की छात्रा से 100 बार कराई उठक-बैठक…पैरों के मसल्स क्रैक…चलने-फिरने से लाचार

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सरगुजा/प्रतापगढ़ 06 सितंबर। DAV School : छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के प्रतापगढ़ स्थित DAV पब्लिक स्कूल से मानवता को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। यहां दूसरी कक्षा की 8 साल की छात्रा समृद्धि गुप्ता को उसकी महिला शिक्षिका ने सिर्फ टॉयलेट जाने के कारण 100 बार उठक-बैठक कराई और डंडे से मारा, जिससे बच्ची की हालत गंभीर हो गई।

बच्ची की हालत बेहद नाजुक

पीड़िता समृद्धि गुप्ता, DAV पब्लिक स्कूल प्रतापगढ़ की दूसरी कक्षा की छात्रा है। उसे उसकी शिक्षिका नम्रता गुप्ता ने सजा के तौर पर क्लास में 100 बार उठक-बैठक कराई। इसके बाद बच्ची के पैरों में असहनीय दर्द शुरू हुआ और वह खड़ी तक नहीं हो पा रही है। निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, पैरों के मसल्स क्रैक हो चुके हैं, और बच्ची चलने-फिरने की हालत में नहीं है।

क्या हुआ था?

समृद्धि जब टॉयलेट जा रही थी, तो रास्ते में शिक्षिका मोबाइल चला रही थीं। शिक्षक ने टोकते हुए पूछा कि वह कहां जा रही है। जब छात्रा ने टॉयलेट जाने की बात बताई, तो उसे दो डंडे मारे गए और क्लास में वापस बुलाकर 100 बार उठक-बैठक करने की सजा दी गई।

फ़िलहाल समृद्धि का इलाज निजी अस्पताल में किया जा रहा है। उसके पिता मनोज गुप्ता अंबिकापुर में काम करते हैं, जबकि समृद्धि अपने बड़े पिता अनुराग गुप्ता के साथ प्रतापगढ़ के गुतुरमा गांव में रहकर पढ़ाई कर रही है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

बहरहाल, DEO दिनेश झा ने कहा, हमें इस मामले की कोई जानकारी नहीं मिली है और न ही कोई शिकायत मिली है। अगर शिकायत मिलती है तो जांच कराई जाएगी। सीतापुर BEO इंदु तिर्की ने कहा, हमें घटना की जानकारी मिली है। शिक्षा विभाग की टीम दो दिनों के भीतर मामले की जांच करेगी। अगर शिक्षिका दोषी पाई जाती है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इधर परिजनों ने इस अमानवीय व्यवहार पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। साथ ही विद्यालय प्रबंधन और शिक्षा विभाग से शिक्षिका के निलंबन की मांग की गई है। यह घटना छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और संवेदनशीलता को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है। 

बच्चों पर शारीरिक दंड पर सुप्रीम कोर्ट की राय

भारत में बच्चों को शारीरिक दंड देना गैरकानूनी है। Right to Education Act, 2009 की धारा 17 के अनुसार, “किसी भी बच्चे को मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित नहीं किया जा सकता।