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Devshayani Ekadashi Vrat: देवशयनी एकादशी से श्री हरि विष्णु जी के चातुर्मास विश्राम पर जाने की बात तो सभी जानते हैं, किंतु क्या आप जानते हैं कि भगवान इस बीच कहां पर शयन करते हैं. इस वर्ष अधिकमास होने के कारण भगवान चार नहीं, बल्कि पांच माह विश्राम करेंगे. विष्णु जी का यह शयन 29 जुलाई से शुरू होगा और 23 नवंबर को पूरा होगा. भगवान के शयन की बहुत ही रोचक कथा है.

राजा बलि
श्रीमद्भागवत महापुराण के अष्टम स्कंद में दानवीर बलि की कथा इसके पौराणिक महत्व को दर्शाती है. भगवान वामन ने जब राजा बलि से साढ़े तीन पग भूमि का दान मांगा और तीन ही पग में तीनों लोक नाप लिए, तब भी साक्षात श्री हरि का सानिध्य पा चुके ज्ञानवान राजा बलि साहस और वचन का मान रखते हुए बोले, प्रभु धन से ज्यादा महत्व धनी का होता है, इसलिए आपने जिसके धन को तीन पग में शुमार कर लिया है, आधा पग उसकी देह का भी आकलन कर लें. बलि की प्रेमपूर्ण भक्ति, अनुराग एवं त्याग से गदगद भगवान विष्णु ने उसे पाताल लोक का अचल राज देकर और वरदान मांगने को कहा.

राजा बलि ने वचनबद्ध हो चुके विष्णु जी से कहा, प्रभु, आप नित्य मेरे महल में निवास करें. उसी समय से श्री हरि वर के रूप में अपने किए वादे का अनुपालन करते हुए तीनों देवता अर्थात विष्णु जी के साथ महादेव और ब्रह्मा जी भी देवशयनी एकादशी से देव प्रबोधिनी एकादशी तक पाताल लोक में निवास करते हैं, इसलिए कहा जाता है कि जिसने केवल इस आषाढ़ एकादशी का व्रत रखकर कमल पुष्पों से भगवान विष्णु का पूजन कर लिया, उसे त्रिदेव के पूजन का फल प्राप्त होता है.

व्रत-उपासना
विद्वानों के अनुसार चातुर्मास की इस अवधि में श्री विष्णु का ध्यान कर व्रत, उपवास पूजा-अर्चना आदि करना चाहिए. प्रतिदिन प्रातः काल स्नान करके जो भगवान विष्णु के समक्ष खड़ा होकर ‘पुरुषसूक्त’ का जप करता है, उसकी बुद्धि बढ़ती है. जो अपने हाथ में फल लेकर मौन भाव से भगवान विष्णु की एक सौ आठ परिक्रमा करता है, वह कभी भी पाप में लिप्त नहीं होता है. इस अवधि में जो व्यक्ति रोज वेदों का पाठ कर भगवान विष्णु की आराधना करता है, वह विद्वान होता है. यदि चार महीनों तक नियम का पालन करना संभव न हो तो मात्र कार्तिक मास में ही सब नियमों का पालन करना चाहिए.

चार माह में उपयोगी वस्तुएं त्यागने का व्रत लेने वाले उन वस्तुओं को ब्राह्मण को दान करें तो त्याग सफल होता है. माना जाता है कि जो मनुष्य भगवान विष्णु के उद्देश्य से केवल शाकाहार करके वर्षा के चार महीने व्यतीत करता है, वह धनी होता है. जो इस अवधि में प्रतिदिन नक्षत्रों का दर्शन करके केवल एक बार ही भोजन करता है, वह धनवान और रूपवान होता है तथा जो एक दिन का अंतर देकर भोजन करते हुए चौमासा व्यतीत करता है, वह सदा बैकुंठ धाम में निवास करता है.