रायपुर, 02 जुलाई। Doctors Day Occasion : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को एक बार फिर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के कारण सार्वजनिक रूप से असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। मामला पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, रायपुर का है, जहां डॉक्टर्स डे के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
“हाय-हाय” के नारों से गूंजा ऑडिटोरियम
कार्यक्रम के दौरान जैसे ही मंच से वक्तव्य चल रहा था, तभी छात्र अचानक उठ खड़े हुए और “श्याम बिहारी जायसवाल हाय-हाय” के नारे लगाने लगे। नारों से पूरा ऑडिटोरियम गूंज उठा। छात्रों ने हॉस्टल सुविधाओं की कमी, अनदेखी, और लंबे समय से चली आ रही समस्याओं पर सरकार की चुप्पी को लेकर गुस्सा जाहिर किया।
छात्रों ने बताया कि उन्होंने कई बार मंत्री और स्वास्थ्य विभाग को अपनी समस्याएं बताईं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। मजबूरी में उन्हें मुख्यमंत्री के सामने विरोध करना पड़ा ताकि उनकी बात सीधे शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचे।
मेडिकल छात्रों की बड़ी शिकायतें:
- हॉस्टल में रहने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं
- स्वास्थ्य मंत्री की ओर से बार-बार आश्वासन के बावजूद कार्रवाई नहीं
- बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव
- फील्ड ट्रेनिंग और उपकरणों की भारी कमी
मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप
सिर्फ छात्र ही नहीं, बल्कि कई जन प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी कहना है कि श्याम बिहारी जायसवाल के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग में लगातार घोटाले हो रहे हैं। उन पर आरोप है कि वे उन्हीं योजनाओं को तवज्जो देते हैं जिनमें मोटा कमीशन मिलता हो। विरोध करने वालों का कहना है कि जनता की पीड़ा और मेडिकल स्टाफ की जरूरतें मंत्री की प्राथमिकता में नहीं हैं।
भाजपा के लिए चेतावनी का संकेत?
स्वास्थ्य मंत्री को लेकर लगातार उठ रहे सवाल अब भाजपा सरकार के लिए भी राजनीतिक बोझ बनते जा रहे हैं। विपक्षी दल और जनता दोनों ही अब सवाल उठा रहे हैं कि: “क्या भाजपा नेतृत्व इन आरोपों को जानबूझकर नजरअंदाज कर रहा है?”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर ऐसे ही हालात रहे तो आम जनता 2023 के वादों और घोषणाओं की याद दिलाते हुए 2028 में जवाब मांग सकती है।
निष्पक्ष आवाज़ की अपील
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कुछ लोगों का कहना है कि वे न तो पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं और न ही राजनीतिक हित साधना कर रहे हैं। उनका साफ कहना है: “अगर सरकार अच्छा करेगी, तो हम खुले दिल से तारीफ भी करेंगे। लेकिन जनता के मुद्दों पर आंख मूंदना लोकतंत्र के खिलाफ है।”
छत्तीसगढ़ में सरकार को यह समझना होगा कि अब केवल भाषण और भावनात्मक राष्ट्रभक्ति के नारों से जनता संतुष्ट नहीं होती। जनता अब धरातल पर दिखने वाले कामों के आधार पर अपना मत बनाती है। और अगर वही नजर नहीं आया, तो विरोध अब मंचों पर ही नहीं, सीधे आमने-सामने होगा।