इंदौर, 22 अगस्त। Drug Ban in MP : मध्य प्रदेश में इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट के बाद 9 इंजेक्शनों के बड़े बैच पर प्रतिबंध लगाया गया है। अब ये इंजेक्शन किसी भी अस्पताल में उपयोग नहीं किए जा सकते हैं। इन इंजेक्शनों में से कुछ जीवन रक्षक दवाएं हैं। कुल 12 दवाओं को संदिग्ध गुणवत्ता वाली पाया गया था, लेकिन फिलहाल 9 दवाओं के बैच पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह आदेश अगले निर्देश तक लागू रहेगा।
दो दवाओं की गुणवत्ता खरी नहीं
एमजीएम कॉलेज की रिपोर्ट मिलने के बाद, इन दवाओं के सैंपल को कोलकाता की सेंट्रल ड्रग्स लैब भेजा गया। वहां से दो दवाओं की जांच रिपोर्ट मिली है, जिसमें इनकी गुणवत्ता मानकों के अनुसार नहीं पाई गई। वडोदरा-गुजरात की Adraid Inj. और हिमाचल प्रदेश की एक कंपनी की Adrenaline Inj. को गैर-मानक गुणवत्ता (NSQ) का पाया गया। इन इंजेक्शनों का इस्तेमाल रक्तचाप को बढ़ाने और स्थिर करने के लिए किया जाता था।
इन जीवन रक्षक दवाओं की खराब गुणवत्ता
जांच में पाई गई दवाओं में हेपरिन, एट्रोपिन, डोपामाइन, नाइट्रोग्लिसरीन, फेंटेनल जैसी महत्वपूर्ण दवाएं शामिल थीं। ये सभी दवाएं जीवन रक्षक होती हैं और इमरजेंसी की स्थिति में इस्तेमाल की जाती हैं। यह बेहद चिंताजनक है कि इन दवाओं की गुणवत्ता मानकों के अनुसार नहीं पाई गई। इस मामले ने राज्य भर में मेडिकल कम्युनिटी को सतर्क कर दिया है। अब इन दवाओं का इस्तेमाल पूरी तरह से रोक दिया गया है।
तीन दवाओं की जांच अधूरी
तीन अन्य दवाओं की जांच अधूरी रह गई है क्योंकि जांच के लिए जरूरी जानकारी पूरी नहीं थी। ड्रग प्रशासन ने संबंधित कंपनियों को पत्र भेजकर पूरी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहा है। जब तक कोलकाता की सेंट्रल ड्रग्स लैब को पूरी जानकारी नहीं मिलती, तब तक इन दवाओं की जांच आगे नहीं बढ़ सकेगी। इन दवाओं में एट्रोपिन सल्फेट, पोटेशियम क्लोराइड, हेपरिन कैल्शियम ग्लूकोनेट और नाइट्रोग्लिसरीन शामिल हैं।
मेडिकल कॉलेज ने की सख्त निगरानी की अपील
एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे इन इंजेक्शनों के बैच का इस्तेमाल रोके। कॉलेज ने सभी चिकित्सा अधिकारियों से अपील की है कि वे अन्य दवाओं की गुणवत्ता की भी जांच करें और अगर किसी अन्य दवा में भी गुणवत्ता की समस्या पाई जाती है, तो तुरंत इसकी रिपोर्ट की जाए। इस निर्देश का उद्देश्य मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
इस घटना के बाद, राज्य सरकार ने दवाओं की गुणवत्ता की सख्ती से जांच करने का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में दवाओं की गुणवत्ता की नियमित जांच करने का आदेश दिया है। साथ ही, दवा कंपनियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे अपनी उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करें। इस कदम का उद्देश्य मरीजों की जान को किसी भी संभावित खतरे से बचाना है।