Electoral Bond: Audit report of electoral bonds came out...BJP is rich, Congress is poor...! see hereElectoral Bond
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नई दिल्ली, 10 जनवरी। Electoral Bond : चुनाव की बात आते ही चुनावी बॉन्ड की चर्चा शुरू हो जाती है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर से चुनावी बॉन्ड की ऑडिट रिपोर्ट सामने आ गई है। भारतीय जनता पार्टी ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा किया है कि पिछले वित्त वर्ष में चुनावी बॉन्ड से उसे 1294.14 करोड़ रुपए का चंदा मिला है।

कांग्रेस को मिले चंदे से 7 गुना ज्यादा

यह चुनावी बॉन्ड से मिला अब तक का सबसे ज्यादा भुगतान है। यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी को मिले चंदे से सात गुना अधिक है। चुनाव आयोग को सौंपी गई ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा की कुल आय 1917.12 करोड़ रुपए रही वहीं कांग्रेेस की आय सिर्फ 452.37 करोड़ रुपए रही।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक मार्च 2018 से जुलाई 2023 के बीच चुनावी बॉन्ड से 13,000 करोड़ रुपए का दान राजनीतिक पार्टियों को मिला। एसबीआई ने 9,208 करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड बेचे। इनकी 58 प्रतिशत राशि भाजपा को मिली। 18 से 22 के बीच पार्टियों को बॉन्ड से मिलने वाले चंदे में 743 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

केंद्र सरकार ने 2017 के बजट में चुनावी बॉन्ड की घोषणा की और 2018 में इसे लागू किया गया। हर तिमाही एसबीआई 10 दिन के लिए चुनावी बॉन्ड जारी करता है। ऐसा बताया जाता है बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान गुप्त रहती है। इसके माध्यम से अपनी पसंदीदा पार्टी को चंदा दिया जा सकता है।

क्या है चुनावी बॉन्ड?

चुनावी बॉन्ड की घोषणा 2017 के केंद्रीय बजट में की गई थी और इन्हें लागू 2018 में किया गया था। यह मूल रूप से भारत में राजनीतिक दलों को चंदा देने की एक योजना है। यह एक किस्म का वित्तीय इंस्ट्रूमेंट है जिसके जरिये कोई भी राजनीतिक दलों को गुमनाम रूप से चंदा दे सकता है। इन पर कोई ब्याज भी नहीं लगता।
यह 1,000, 10,000, एक लाख, दस लाख और एक करोड़ रुपयों के मूल्य में उपलब्ध हैं। इन्हें सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से खरीदा जा सकता है। चंदा देने वाले को बांड के मूल्य के बराबर की धनराशि एसबीआई की अधिकृत शाखा में जमा करवानी होती है। यह भुगतान सिर्फ चेक या डिजिटल प्रक्रिया के जरिए ही किया जा सकता है।

बॉन्ड कोई भी व्यक्ति और कोई भी कंपनी खरीद सकती है। कोई कितनी बार बॉन्ड खरीद सकता है, इसकी कोई सीमा नहीं है। जिस पार्टी के नाम से बांड लिए गया है उसे 15 दिनों में इसे भुना लेना होता है। 15 दिनों के बाद एसबीआई बांड की धनराशि को प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा करा देती है।