गुरुग्राम, 11 जुलाई। Father Killed Daughter : हरियाणा के गुरुग्राम शहर में गुरुवार सुबह एक दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना घटी, जिसने पूरे शहर और खेल जगत को हिला कर रख दिया। सेक्टर-57 इलाके में एक स्टेट लेवल टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की उसके ही पिता दीपक यादव ने गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना सुबह करीब 10:30 बजे उस समय हुई जब राधिका अपने घर की पहली मंज़िल पर स्थित किचन में काम कर रही थी।
क्या हुआ?
पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी पिता ने पीछे से आकर राधिका पर रिवॉल्वर से गोली चला दी। गोली लगते ही राधिका की मौके पर ही मौत हो गई। घटना के तुरंत बाद दीपक यादव ने गुरुग्राम पुलिस थाने जाकर खुद सरेंडर कर लिया और अपना अपराध कबूल कर लिया।
एफआईआर में दिए गए बयान के अनुसार, दीपक यादव अपनी बेटी की कमाई और सोशल मीडिया गतिविधियों से परेशान था। “गांव वजीराबाद में जब दूध लेने जाता था, तो लोग कहते थे, ‘बेटी की कमाई खा रहा है’, ‘लड़की ने एकेडमी खोल ली, ये कैसा बाप है।’”
दीपक ने यह भी कहा कि बेटी की टेनिस एकेडमी और सोशल मीडिया पर रील्स बनाना उसकी सामाजिक इज्जत को ठेस पहुंचा रहे थे। उसने कई बार राधिका से अकादमी बंद करने को कहा, लेकिन राधिका ने मना कर दिया।
राधिका पहले एक काबिल टेनिस खिलाड़ी रह चुकी थीं और कई राष्ट्रीय स्तर की ट्रॉफियाँ जीत चुकी थीं। लेकिन कंधे में गंभीर चोट लगने के बाद उन्होंने खेल को छोड़कर गुरुग्राम में टेनिस एकेडमी शुरू की थी, जिसमें वह नए खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे रही थीं।
मानसिक तनाव और सामाजिक दबाव बना कारण
पुलिस के अनुसार, दीपक यादव पर लंबे समय से सामाजिक दबाव और मानसिक तनाव बना हुआ था। गांव के लोग लगातार उसे बेटी की आर्थिक सफलता को लेकर ताने मारते थे, जिससे वह कुंठित हो गया था। उसी कुंठा और तनाव ने उसे इस खौफनाक कदम की ओर धकेला।
घटना के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और हत्या की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस पूरे मामले की विस्तृत जांच कर रही है, और आसपास के लोगों से भी पूछताछ की जा रही है।
खेल जगत में शोक की लहर
राधिका की मौत से खेल समुदाय (Father Killed Daughter) में गहरा शोक है। कई कोच और खिलाड़ी जो कभी राधिका के साथ जुड़े रहे, उन्होंने इसे “प्रतिभा का हत्या” करार दिया है। सोशल मीडिया पर #JusticeForRadhika ट्रेंड कर रहा है।
यह घटना केवल एक हत्या नहीं, बल्कि सामाजिक मानसिकता, लिंग आधारित पूर्वाग्रह, और परिवार (Father Killed Daughter) में संवाद की कमी का कड़वा उदाहरण है। जहां एक बेटी परिवार का गौरव बन सकती थी, वहीं वही गौरव एक पिता के लिए शर्मिंदगी का कारण बन गया। यह घटना सोचने पर मजबूर करती है- क्या आज भी बेटियाँ अपने घरों में सुरक्षित हैं?