कोरबा, 29 अगस्त। Father’s helplessness : एक बेबस पिता की लाचारी देखिए, कि पहले तो उसे अपने डेढ़ साल के पुत्र की बेवक्त मौत का सदमा बर्दाश्त करना पड़ा। उसके बाद उस मासूम के पोस्ट मार्टम की कानूनी प्रक्रिया के लिए भी जूझने मजबूर किया गया। रात भर माता-पिता ने डबडबाई आंखों से घर पर रखी उसकी देह की निगरानी की और उसके बाद बाइक पर बेटे का शव लेकर 55 किलोमीटर दूर जिला अस्पताल लेकर जाना पड़ा।
यह हृदयविदारक घटना सुदूर वनांचल ग्राम लेमरू के ग्राम अरसेना की है। यहां गांव में अपनी मां के साथ नहाने गए डेढ़ साल के बालक की डूबने से मौत हो गई। मोर्च्युरी के अभाव में रात भर शव को घर पर रखना पड़ा। परिजन पूरी रात निगरानी करते रहे। अपने दिल के टुकड़े को सदा के लिए खो चुके पिता पर उस समय दुखों का पहाड़ टूट पड़ा जब शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने सरकारी चार पहिया वाहन तक नसीब नहीं हुआ। वह बड़े भाई के साथ मासूम का शव लेकर बाइक से करीब 55 किलोमीटर दूर मेडिकल कालेज अस्पताल पहुंचा और तब कहीं जाकर पीएम की कार्रवाई पूरी हो सकी। घटना रविवार की है। लेमरू से लगे ग्राम अरसेना निवासी दरसराम यादव मजदूरी कर पत्नी और तीन बच्चों की गुजर बसर करता है। रोज की तरह उसकी पत्नी दोपहर करीब 3 बजे अपने डेढ़ साल के पुत्र अश्वनी कुमार को लेकर गांव के समीप स्थित ढोढ़ी नुमा तालाब में नहाने गई थी। वह नहाने में व्यस्त हो है और इसी बीच खेलते-खेलते मासूम गहरे पानी में डूब गया। इसकी भनक उसकी मां को तब लगी जब वह नहाने के बाद घर जाने तैयार हुई। उसने आसपास खोजबीन करने के बाद घटना की जानकारी परिजनों को दी। परिजनों ने करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद शव को तालाब से खोज निकाला। घटना की जानकारी देर शाम लेमरू पुलिस को दी गई। साथ ही मर्च्यूरी के अभाव में शव को घर पर ही रखा गया। परिजन पूरी रात मासूम के लाश की डबडबाई आंखों से निगरानी करते रहे। अपने कलेजे के टुकड़े को खोने के गम में डूबे पिता की मुसीबत यहीं कम नहीं हुई। उस पर दुखों का पहाड़ तब गिर गया जब पुलिस ने सोमवार की सुबह वैधानिक कार्रवाई करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कालेज अस्पताल ले जाने की बात कही। इसके लिए न तो स्वास्थ्य विभाग से एंबुलेंस की सुविधा मिली और न ही पुलिस विभाग का वाहन उपलब्ध हो सका। परिजनों की माने तो थाने में चार पहिया वाहन खड़ी थी, लेकिन मासूम के शव को ले जाने बड़े वाहन को भेजने में असमर्थता जता दी गई। मासूम के शव को बाइक में ले जाने कह दिया गया। जिससे लाचार पिता बेटे का शव बड़े भाई के साथ 55 किलोमीटर का सफर बाइक में तय कर मेडिकल कालेज अस्पताल पहुंचा। तब कहीं जाकर पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी की जा सकी। घटना ने न सिर्फ सरकारी व्यवस्था की पोल खोल दी है बल्कि वनांचल क्षेत्र में असंवेदनशीलता को भी उजागर कर दिया है।
गांव वापसी के लिए मिली मुक्तांजलि की सेवा
लेमरू थाने से मासूम के शव को लेकर लाचार पिता बड़े भाई के साथ बाइक में मेडिकल कालेज अस्पताल के लिए रवाना हुआ। यह खबर सीएमएचओ डॉ. एसएन केसरी को मिल गई। उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए मुक्तांजलि कर्मियों से संपर्क किया। सीएमएचओ ने किसी भी सूरत में मासूम के शव को परिजनों के साथ घर पहुंचाने के निर्देश दिए। मेडिकल कालेज अस्पताल से मुक्तांजलि में परिवार शव को लेकर गांव पहुंचा।