नई दिल्ली, 20 अगस्त। Free Ration : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने मुफ्त राशन योजना (NFSA) को लेकर एक महत्वपूर्ण और कड़ा फैसला लिया है। अब वे राशन कार्डधारक जो इस योजना के पात्र नहीं हैं, जल्द ही सूची से बाहर किए जा सकते हैं। सरकार ने स्पष्ट कहा है कि ऐसे लाभार्थी जो करदाता हैं, चार पहिया वाहन के मालिक हैं या किसी कंपनी के निदेशक हैं, वे गरीबों के लिए चलाई जा रही इस योजना के हकदार नहीं हैं।
किन्हें योजना से हटाया जा सकता है?
केंद्र सरकार ने विभिन्न सरकारी डाटाबेस का मिलान करके करीब 1 करोड़ से अधिक राशन कार्डधारकों की पहचान की है, जिन्हें जल्द ही योजना से बाहर किया जा सकता है। इनमें शामिल हैं:
- 94.71 लाख ऐसे लाभार्थी जो इनकम टैक्स भरते हैं
- 17.51 लाख लाभार्थी जो चार पहिया वाहन मालिक हैं
- 5.31 लाख ऐसे लोग जो कंपनियों में निदेशक हैं
इन आंकड़ों की पुष्टि खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा की गई है।
क्रॉस वेरिफिकेशन के लिए उपयोग किए गए स्रोत
राशन कार्डधारकों की जानकारी को निम्नलिखित मंत्रालयों और विभागों के डाटाबेस से मिलाया गया-
- आयकर विभाग
- कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय
- सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय
इस क्रॉस-वेरिफिकेशन का उद्देश्य अपात्र लोगों को हटाकर वास्तविक जरूरतमंदों को लाभ देना है, जो फिलहाल प्रतीक्षा सूची में हैं।
राज्यों की भूमिका क्या होगी?
केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि डुप्लिकेट कार्डों की पहचान करना और अपात्र लोगों को हटाना राज्यों की जिम्मेदारी है। इसके लिए सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
किन्हें नहीं मिलेगा अब मुफ्त राशन?
सरकार के नियमों के अनुसार, निम्नलिखित श्रेणियों के लोग मुफ्त राशन योजना के योग्य नहीं माने जाएंगे, सभी सरकारी कर्मचारी, जिनकी वार्षिक आय 1 लाख रुपये या उससे अधिक है, चार पहिया वाहन मालिक और आयकर देने वाले नागरिकों को यह लाभ नहीं मिलेगा।
राशन योजना की मौजूदा स्थिति
- 19.17 करोड़ राशन कार्ड अब तक जारी किए जा चुके हैं
- 76.10 करोड़ से अधिक लाभार्थी वर्तमान में योजना का लाभ ले रहे हैं
- योजना देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है
अधिकारी बोले
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण (Free Ration) विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा- “यह कदम वास्तविक जरूरतमंदों को योजना का लाभ देने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। हमने राज्यों को सभी जरूरी आंकड़े और निर्देश दे दिए हैं। आगे की कार्रवाई अब राज्यों को करनी है।