Gajrath Yatra : छत्तीसगढ़ में शुरू हुई ‘गजरथ यात्रा’…जानें हाथियों से क्या है इसका कनेक्शन…

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रायपुर, 22 जून। Gajrath Yatra : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शनिवार को ‘गजरथ यात्रा’ की शुरुआत की। इसका मकसद है इंसानों और हाथियों के बीच होने वाले झगड़ों को कम करना और जंगली जानवरों की हिफाजत के लिए लोगों में जागरूकता फैलाना। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर जशपुर के रणजीता स्टेडियम में आयोजित प्रोग्राम में मुख्यमंत्री ने इस यात्रा को हरी झंडी दिखाई।

इस मौके पर उन्होंने कहा, ‘इंसानों और हाथियों के बीच बढ़ते टकराव को कम करने के लिए सबकी हिस्सेदारी और जागरूकता बहुत जरूरी है। ‘गजरथ यात्रा’ इस काम में एक अहम जरिया बनेगी, जो लोगों को सिखाएगी और इंसान-जंगली जानवरों के झगड़े को कम करने में मदद करेगी।

इंसानों और हाथियों के बीच अक्सर होता है टकराव

साय ने ये भी कहा कि पर्यावरण संरक्षण केवल सरकार की ही नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। इस प्रोग्राम में मुख्यमंत्री ने वन विभाग की एक छोटी फिल्म और किताब का विमोचन भी (Gajrath Yatra)किया। इनमें हाथियों के बर्ताव, उनसे बचने के तरीके और सावधानियों की जानकारी दी गई है। ये सामग्री स्कूलों, गांवों और स्थानीय लोगों में बांटी जाएगी। साथ ही, वन विभाग के उन कर्मचारियों को सम्मानित भी किया गया, जिन्होंने इस क्षेत्र में शानदार काम किया।

बता दें कि छत्तीसगढ़ के उत्तरी इलाकों जैसे सरगुजा, जशपुर, बलरामपुर, कोरिया और कोरबा में अक्सर इंसानों और हाथियों के बीच टकराव होता है। इन टकरावों में सैकड़ों लोगों की जान गई है, हजारों एकड़ फसलें बर्बाद हुई हैं और कई हाथी भी मारे गए हैं

गजरथ यात्रा’ क्या है और इसका मकसद क्या है?

गजरथ यात्रा‘ एक खास मुहिम है, जिसे छत्तीसगढ़ सरकार ने शुरू किया है। इसके जरिए स्कूलों, ग्राम पंचायतों और हाट-बाजारों में जाकर लोगों को हाथियों के बर्ताव, उनसे बचने के तरीकों और उनके साथ मिलकर रहने (सह-अस्तित्व) का पैगाम दिया (Gajrath Yatra)जाएगा। इसका मकसद है:

इंसानों और हाथियों के बीच टकराव को कम करना। 

जंगली जानवरों, खासकर हाथियों, की हिफाजत के लिए लोगों में जागरूकता लाना। 

स्थानीय लोगों की हिस्सेदारी से वन्यजीवों के लिए सुरक्षित माहौल बनाना। 

छत्तीसगढ़ की जैव विविधता की रक्षा करना।