Gurmeet Ram Rahim : राम रहीम को 13वीं बार मिली फरलो…साल में 3-3 बार जेल से बाहर जाने की अनुमति…कब-कब मिली राहत यहां देखें जंबो List

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रोहतक, 09 अप्रैल। Gurmeet Ram Rahim : हरियाणा के रोहतक में सिरसा डेरा प्रमुख राम रहीम पर सूबे की सरकार एक बार फिर मेहरबान होती दिखी है। रेप के दोषी राम रहीम को हरियाणा सरकार ने दी फिर 21 दिन की फरलो दे दी है। बुधवार यानी आज सुबह-सुबह पुलिस सिक्योरिटी के बीच राम रहीम सिरसा डेरा की तरफ गया। राम रहीम को लेने खुद हनी प्रीत पहुंचीं। इस बार राम रहीम सिरसा डेरा में रहेगा।

बता दें कि यह तेरहवीं बार है, जब राम रहीम को सरकार ने राहत दी है। वो दिल्ली चुनाव से पहले 30 दिन की पैरोल पर बाहर आया था।

चुनाव में रहीम को मिली राहत

तारीखदिनमौका
30 सितंबर 2024  20 दिन  हरियाणा विधानसभा चुनाव
13 अगस्त  202421 दिनहरियाणा विधानसभा चुनाव
20 जनवरी 202450 दिनलोकसभा चुनाव
21 नवंबर 202321 दिनराजस्थान विधानसभा चुनाव
20 जुलाई 2023 30 दिन हरियाणा पंचायत चुनाव
21 जनवरी 202340 दिनहरियाणा पंचायत चुनाव
15 अक्टूबर 2022 40 दिनआदमपुर, हरियाणा उपचुनाव
17 जून 202230 दिनहरियाणा एमसी चुनाव
7 फरवरी 202221 दिनपंजाब विधानसभा चुनाव

पैरोल के बाद उठे ये सवाल

जिस तरह से गुरमीत राम रहीम को पैरोल या फरलो मिलती आ रही हैं, उससे एक सवाल ये भी उठता है कि डेरा का राजनीति में कितना असर है और डेरा अनुयायी हरियाणा के वोटर्स को कैसे प्रभावित कर सकते हैं? इसे सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं।

हरियाणा के 6 जिलों में सबसे ज्यादा अनुयायी

सबसे पहले तो ये समझिए कि डेरा सच्चा सौदा के हरियाणा के 6 जिलों में काफी अनुयायी हैं, इनमें फतेहाबाद, कैथल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, करनाल और हिसार शामिल हैं. हरियाणा के कम से कम 26 विधानसभा क्षेत्रों में डेरा के अनुयायी हैं। फतेहाबाद में डेरा के अनुयायियों की संख्या सबसे ज्यादा है, जहां टोहाना, रतिया और फतेहाबाद समेत तीनों निर्वाचन क्षेत्रों को डेरा अनुयायी काफी प्रभावित करते हैं।

डेरा की 38 में से अकेले हरियाणा में 21 शाखाएं

डेरा के सूत्रों के अनुसार उनके अनुयायियों की संख्या 1.25 करोड़ है। डेरा की 38 शाखाओं में से 21 अकेले हरियाणा में स्थित हैं। धार्मिक संप्रदाय होने के बावजूद डेरा के राजनीतिक हित हैं और उन्होंने एक पॉलिटिकल ब्रांच यानी राजनीतिक शाखा स्थापित की है, जो गुरमीत राम रहीम के निर्देशन में काम करती है। यह संप्रदाय पहले शिरोमणि अकाली दल, भाजपा और कांग्रेस में शामिल रहा है।