नैनीताल, 21 फ़रवरी| High Court Commented On Live-In Partner : प्रदेश में हाल में लागू हुए समान नागरिक संहिता (UCC) में लिव-इन रिलेशन के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन को चुनौती देने वाली एक याचिका पर उत्तराखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि ‘जब आप बेशर्मी से बिना शादी किए एक साथ रहते हैं तो फिर यह आपकी निजता पर हमला कैसे हुआ?’
गोपनीयता पर किया जा रहा हमला
बता दें कि याचिकाकर्ता ने यूसीसी में लिव-इन रिलेशन का अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन किए जाने या कैद की सजा और जुर्माना भरने के यूसीसी के प्रावधान के खिलाफ हाई कोर्ट का रूख किया (High Court Commented On Live-In Partner)था। याचिकाकर्ता ने कहा कि वे यूसीसी के इस प्रावधान से व्यथित हैं क्योंकि इसके माध्यम से उनकी गोपनीयता पर हमला किया जा रहा है।
निजता में बाधा बन रहा प्रावधान
उन्होंने यह भी दावा किया कि अंतरधार्मिक कपल होने के नाते उनके लिए समाज में रहना और अपने रिश्ते का रजिस्ट्रेशन कराना मुश्किल है। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने दलील दी कि अनेक लिव-इन रिलेशन सफल विवाहों में बदले हैं और इस प्रावधान से उनके भविष्य और निजता में बाधा उत्पन्न हो रही है।
समाज में रह रहे हो
वहीं हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने कहा, ‘‘आप समाज में रह रहे हो, न कि जंगल की किसी दूर दराज की गुफा (High Court Commented On Live-In Partner)में। पड़ोसियों से लेकर समाज तक सबको आपके रिश्ते के बारे में पता है और आप बिना शादी किए, बेशर्मी से एक साथ रह रहे हो। फिर, लिव-इन रिलेशन का रजिस्ट्रेशन आपकी निजता पर हमला कैसे हो सकता है?’’
एक अप्रैल को होगी सुनवाई
बता दें कि इससे पहले, यूसीसी के खिलाफ दायर जनहित याचिका तथा अन्य याचिकाओं पर अदालत ने निर्देश दिया था कि यूसीसी से पीड़ित व्यक्ति हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। फिलहाल अदालत इस मामले पर इसी तरह की अन्य याचिकाओं के साथ एक अप्रैल को सुनवाई करेगी।