India’s Power : युद्ध का शोर और सबका जोर…जंग के बिना ही आधी दुनिया का एजेंडा पूरा…! 3 दिन की तनातनी में किसने क्या पाया…? सब कुछ बिंदुवार यहां पढ़ें

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नई दिल्ली, 20 मई। India’s Power : भारत-पाक तनाव के बीच बीते तीन दिनों में बने युद्ध जैसे माहौल ने केवल दक्षिण एशिया ही नहीं, बल्कि वैश्विक रणनीतिक हलकों में भी बड़ी हलचल पैदा की। इस सीमित लेकिन गूंजदार सैन्य गतिशीलता के दौरान न केवल भारत ने अपनी सैन्य क्षमताओं का परिचय कराया, बल्कि कई देशों ने अप्रत्यक्ष रूप से अपने हित भी साध लिए। युद्ध हुआ नहीं, लेकिन असर ऐसा रहा जैसे आधी दुनिया ने अपनी-अपनी तैयारियों की हकीकत परख ली हो।

चीन से तुर्की तक सबने किया टेस्ट

पाकिस्तान को मिला जीवनदान– युद्ध के कगार पर खड़े पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से आर्थिक राहत यानी लोन हासिल हो गया, जो लंबे समय से अटका हुआ था। संकट को भुनाने की पाकिस्तानी कूटनीति काम कर गई।

चीन ने मिसाइल टेस्ट कर दिखाया दम– पाकिस्तान की आड़ में चीन ने अपनी अत्याधुनिक मिसाइलों का परीक्षण कर लिया, यह दिखाने के लिए कि वह अब भी इस क्षेत्र में रणनीतिक रूप से सक्रिय और सक्षम है।

तुर्की ने अपने ड्रोन की ताकत परखी– तुर्की, जो हाल के वर्षों में ड्रोन्स के क्षेत्र में वैश्विक खिलाड़ी बनने की होड़ में है, उसने भी इस अवसर का उपयोग अपने ड्रोन सिस्टम की दक्षता दिखाने और परखने में किया।

भारत की शक्ति का प्रदर्शन

  • ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता और सटीकता दुनिया ने देखी।
  • राफेल फाइटर जेट्स की गति, फ्लेक्सिबिलिटी और हमलावर क्षमता का परीक्षण वास्तविक परिदृश्य में हो गया।
  • S-400 एंटी एयर सिस्टम, जो रूस से प्राप्त हुआ है, उसने भी अपनी रक्षा क्षमता प्रमाणित कर दी।

आतंकवाद को तगड़ा झटका– भारत की जवाबी कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकियों का खात्मा हुआ, जिन्हें अब ’72 हूरों’ की दुनिया में भेजे जाने की बात कही जा रही है। यह आतंकवादियों के लिए बड़ा मनोवैज्ञानिक झटका है।

बलूच लिबरेशन आर्मी का उभार– बलूचिस्तान में बलूच लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तानी सैन्य चौकियों पर कब्जा कर वैश्विक मंच पर फिर से अपनी आजादी की मांग को ज़ोरदार तरीके से रखा।

बांग्लादेश का रुख स्पष्ट– युद्ध जैसे माहौल ने बांग्लादेश को यह सिखा दिया कि उसे भारत के साथ सहयोग और शांति का मार्ग ही चुनना है, क्योंकि क्षेत्रीय स्थायित्व इसके लिए भी ज़रूरी है।

अमेरिका की भूमिका– पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरह ही अब वैश्विक नेता बनने के इच्छुक तमाम नेताओं की ‘सरपंच बनने’ की लालसा शांत हुई, क्योंकि भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह अपने मुद्दों को खुद सुलझाने में सक्षम है।

जनता को बढ़ा भरोसा

मोदी सरकार की स्थिति मजबूत– इस माहौल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को राजनीतिक रूप से मजबूती दी है। विपक्ष की आलोचनाएं दब गई हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर जनता का भरोसा सरकार पर बढ़ा है।

जनता का डर खत्म, विश्वास मजबूत– आम भारतीय नागरिकों को पहली बार समझ में आया कि यदि युद्ध होता है तो भारत किस स्तर की तैयारी और जवाबी क्षमता रखता है। यह आत्मविश्वास देश की सामूहिक मानसिकता के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

तीन दिनों के तनाव ने भले ही सीमित सैन्य हलचल (India’s Power) पैदा की हो, लेकिन इसके प्रभाव बहुआयामी रहे। रणनीतिक, राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर यह दौर भारत सहित कई देशों के लिए परीक्षा की घड़ी भी था और सफलता का प्रमाण भी।