राजस्थान, 25 अक्टूबर। Interesting Mukabala : राजस्थान में चुनावी प्रक्रिया के तहत 25 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे। राजस्थान की कई सीटों पर दिलचस्प मुकाबला है, ऐसी ही सीटों में से एक है दांतारामगढ़ विधानसभा सीट। इस सीट पर JJP ने रीटा चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि उनके पति और मौजूदा विधायक वीरेंद्र सिंह को कांग्रेस फिर टिकट दे सकती है।
कांग्रेस के नारायण सिंह रहे 7 बार MLA
कांग्रेस ने राजस्थान में उम्मीदवारों की दो सूची में कुल 76 प्रत्याशी घोषित किए हैं। पार्टी ने दांतारामगढ़ के लिए अभी उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सात बार के विधायक नारायण सिंह के बेटे वीरेंद्र सिंह का परिवार पारंपरिक रूप से कांग्रेस के साथ रहा है। उनकी पत्नी रीटा अगस्त में JJP में शामिल हो गईं और उन्हें पार्टी की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।
रीटा चौधरी ने 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले दांतारामगढ़ से कांग्रेस की टिकट मांगी थी लेकिन पार्टी ने उनके पति को उम्मीदवार बनाया। सीकर की जिला प्रमुख रीटा तभी से इलाके में अपने राजनीतिक आधार को मजबूत कर रही थीं और उन्होंने जेजेपी में शामिल होकर कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया। जेजेपी ने सोमवार को छह उम्मीदवारों की सूची जारी की जिनमें रीटा का भी नाम था।
रीटा ने PTI से कहा, ”मैंने अपने दिल की सुनी, मुझे जो सही लगा वह किया और JJP में शामिल हो गई। मैं लोगों के बीच रही हूं, जब उन्हें मेरी जरूरत थी तब मैं उनके साथ खड़ी रही और इसलिए लोगों ने मुझे और मेरे फैसले को स्वीकार किया है।” उन्होंने कहा, “लोग खुश हैं क्योंकि वे बदलाव चाहते हैं। अब पार्टी ने मुझे दांतारामगढ़ सीट से उम्मीदवार बनाया है और मुझे अपनी जीत का भरोसा है।”पति से मुकाबले पर क्या बोलीं रीटा चौधरी
अपने पति के साथ राजनीतिक मुकाबले के बारे में पूछे जाने पर रीटा चौधरी ने कहा, “कांग्रेस ने अभी तक दांतारामगढ़ से अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, इसलिए मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकती, लेकिन लोग बदलाव चाहते हैं।” रीटा चौधरी ने कहा कि वह विकास, पानी की समस्या और बेरोजगारी समेत अन्य मुद्दों पर चुनाव लड़ेंगी। वहीं उनके पति वीरेंद्र सिंह ने कहा कि चुनाव उनके बीच “सीधी लड़ाई” होगी।
दांतारामगढ़ सीट पर जाट मतदाताओं का दबदबा
उन्होंने कहा, “JJP ने रीटा को मैदान में उतारा है और मुझे भी दोबारा टिकट मिलने की उम्मीद है। ऐसी स्थिति में, यह निश्चित रूप से पति-पत्नी के बीच सीधा मुकाबला होगा।” वीरेंद्र सिंह ने कहा कि उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र में तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और नए स्कूल जैसी कई कल्याणकारी परियोजनाएं शुरू कीं और वह विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे।
वीरेंद्र सिंह को 2018 में कांग्रेस का टिकट मिला था। उनके पिता नारायण सिंह इस सीट से सात बार 1972, 1980, 1985, 1993, 1998, 2003 और 2013 में जीते थे। दांतारामगढ़ सीट (Interesting Mukabala) पर जाट मतदाताओं का दबदबा है। पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत 1951 में पहली बार इस सीट से चुने गए थे।