Jagannath Rath Yatra : पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा…! सतयुग से जुड़ता है भगवान जगन्नाथ का पौराणिक इतिहास…विभीषण को राम ने दिया था आराधना का आदेश

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पुरी/ओडिशा, 25 जून। Jagannath Rath Yatra : ओडिशा के ऐतिहासिक श्री जगन्नाथ मंदिर में 27 जून को आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भव्य रथ यात्रा का आयोजन होने जा रहा है। यह उत्सव 5 जुलाई तक चलेगा और देशभर से लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की झलक पाने के लिए पुरी पहुंचेंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह मंदिर केवल धार्मिक नहीं, बल्कि पौराणिक इतिहास और रामायण काल से भी गहराई से जुड़ा हुआ है?

सतयुग से द्वापर तक की यात्रा: युगों से जुड़ा है मंदिर का अस्तित्व

पुरी का यह मंदिर केवल द्वापर युग या भगवान कृष्ण से नहीं, बल्कि सतयुग और त्रेता युग से भी जुड़ा हुआ माना जाता है।

  • सतयुग में बद्रीनाथ,
  • त्रेता में रंगनाथ,
  • द्वापर में द्वारिकानाथ,
  • और कलियुग में जगन्नाथ के रूप में भगवान विष्णु की पूजा होती रही है।

इससे यह स्पष्ट होता है कि भगवान जगन्नाथ की पूजा केवल किसी एक युग तक सीमित नहीं, बल्कि उनका अस्तित्व हर युग में बना रहा है।

रामायण काल से संबंध: विभीषण को दिया था राम ने निर्देश

रामायण के उत्तरकांड में वर्णन मिलता है कि भगवान राम ने लंका के राजा विभीषण को भगवान जगन्नाथ की आराधना करने का आदेश दिया था।

आज भी पुरी मंदिर में विभीषण वंदना की परंपरा निभाई जाती है, जो इस बात का प्रतीक है कि इस मंदिर का रिश्ता रामायण काल से भी जुड़ा हुआ है।

विमला देवी का महत्व: रावण की कुलदेवी से संबंध

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, पुरी की यह पवित्र भूमि कभी रावण की कुलदेवी विमला माता के अधिकार में थी।
आज भी मंदिर परिसर में विमला देवी की पूजा होती है। उन्हें योगमाया और परमेश्वरी कहा जाता है और वे जगन्नाथ मंदिर की रक्षक देवी मानी जाती हैं।

तुलसीदास और रघुनाथ नामकरण

16वीं शताब्दी में संत तुलसीदास जब पुरी आए, तो उन्होंने भगवान जगन्नाथ को राम रूप में देखा और उन्हें रघुनाथ कहकर संबोधित किया।
हालांकि मंदिर में श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा की पूजा होती है, तुलसीदास के दृष्टिकोण ने यह संदेश दिया कि राम और कृष्ण एक ही परम तत्व के दो रूप हैं।

रथ यात्रा 2025 की तैयारियां जोरों पर

पुरी में सुरक्षा, यातायात और श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए तैयारियां अंतिम चरण में हैं। रथ यात्रा के दौरान श्रद्धालु तीनों देवताओं की विशाल रथों पर यात्रा का दर्शन करेंगे —

  • भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ
  • बलभद्र का तालध्वज रथ
  • सुभद्रा का पद्मध्वज रथ

जगन्नाथ रथ यात्रा न केवल एक धार्मिक आयोजन (Jagannath Rath Yatra) है, बल्कि यह भारत की पौराणिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। सतयुग से लेकर कलियुग तक, इस मंदिर का महत्व आज भी अटूट बना हुआ है।

जय जगन्नाथ!