डेस्क रिपोर्ट, 17 जून। Jagannath Rath Yatra 2025 : उड़ीसा के पुरी में हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा धूमधाम से आयोजित होती है। इस वर्ष यह पावन यात्रा 27 जून 2025 को शुरू होगी, जो 5 जुलाई तक चलेगी। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत विशिष्ट है।
जगन्नाथ रथ यात्रा न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, एकता और भक्ति का प्रतीक भी है। यह यात्रा हर वर्ष लाखों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है, जो इस अद्वितीय अनुभव का हिस्सा बनने के लिए पुरी पहुंचते हैं।
रथ यात्रा की विशेषताएं
तीन प्रमुख रथ : यात्रा में भगवान जगन्नाथ का रथ ‘नंदीघोष’, भगवान बलभद्र का रथ ‘तालध्वज’ और बहन सुभद्रा का रथ ‘दर्पदलन’ होते हैं। इन रथों का निर्माण विशेष ‘दारुक’ की लकड़ी से किया जाता है, और इनमें कोई कील, कांटा या धातु का उपयोग नहीं होता। रथों का निर्माण हर साल अक्षय तृतीया के दिन से शुरू होता है।
विशालता और भव्यता : नंदीघोष रथ की ऊँचाई लगभग 44 फीट है, तालध्वज की 43 फीट और दर्पदलन की 42 फीट। इन रथों में क्रमशः 16, 14 और 12 पहिए होते हैं, और इन्हें हजारों भक्त मिलकर खींचते हैं।
रथ यात्रा और मौसम
पुरी में रथ यात्रा के दौरान आषाढ़ माह में बारिश होती है। किंतु मान्यता है कि आज तक कभी भी रथ यात्रा के दौरान बारिश न हुई हो, ऐसा कोई उदाहरण नहीं है। यह एक अद्भुत संयोग है जो भक्तों की आस्था को और भी मजबूत करता है।
परंपराएं और रीतियां
चेरा पन्हारा : प्राचीन काल में राजा रथ के आगे सोने की हत्थे वाली झाड़ू से सफाई करते थे। वर्तमान में राजाओं के वंशज यह परंपरा निभाते हैं, जिससे यह यात्रा और भी पवित्र बनती है।
पाहंडी और रथ खींचना : भक्तों को रथ के खींचने की अनुमति होती है, जो उन्हें पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
धार्मिक महत्व
रथ यात्रा में शामिल होने या इसका साक्षात दर्शन करने से हजार यज्ञों का पुण्य मिलता है। यह यात्रा चार धामों में से एक पुरी के जगन्नाथ मंदिर की रथ यात्रा में शामिल होने से पापों का नाश होता है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा से इस संसार के सुखों को भोगकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
रथ यात्रा 2025 की प्रमुख तिथियां
तिथि | कार्यक्रम | महत्व |
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11 जून | स्नान पूर्णिमा | देवताओं का पवित्र स्नान |
26 जून | गुंडिचा मर्जाना | गुंडिचा मंदिर की सफाई |
27 जून | रथ यात्रा (पहला दिन) | देवताओं का रथों पर सवार होकर यात्रा |
1 जुलाई | हेरा पंचमी | देवी लक्ष्मी का गुंडिचा मंदिर में आगमन |
5 जुलाई | बहुड़ा यात्रा | देवताओं की वापसी यात्रा |
6 जुलाई | सुन बेशा | देवताओं का स्वर्ण आभूषणों से श्रृंगार |
7 जुलाई | अधरापाना | देवताओं को विशेष मीठा पेय अर्पित करना |
8 जुलाई | नीलाद्रि विजय | देवताओं का जगन्नाथ मंदिर में पुनः आगमन |