चंडीगढ़,18 अगस्त। Jananayak Janata Party : हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा सियासी उथल-पुथल देखने को मिल रहा है। करीब 4.5 साल तक बीजेपी की गठबंधन सहयोगी के रूप में सत्ता में रही किंग मेकर जननायक जनता पार्टी (JJP) के 4 विधायक पार्टी छोड़कर चले गए हैं। जबकि तीन विधायकों ने पार्टी से दूरी बना ली है। लिहाजा जेजेपी के कुल 10 विधायकों में से सिर्फ तीन विधायक ही व्यावहारिक रूप से पार्टी के साथ बचे हैं।
इन चार विधायकों ने दिया पार्टी से इस्तीफा
पिछले 24 घंटे में पूर्व श्रम मंत्री और उकलाना विधायक अनूप धानक, शाहाबाद विधायक रामकरण काला, गुहाला चीका विधायक ईश्वर सिंह और टोहाना विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री देवेंद्र बबली समेत 4 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी है।
इन तीन विधायकों ने बनाई पार्टी से दूरी
पार्टी छोड़ने वाले 4 विधायकों के अलावा नरवाना विधायक राम निवास सुरजाखेड़ा, बरवाला विधायक जोगी राम सिहाग और नारनौंद विधायक राम कुमार गौतम ने विभिन्न कारणों से खुद को पार्टी से अलग कर लिया है।
JJP के पास सिर्फ ये तीन MLA
संकटग्रस्त जेजेपी के पास पार्टी के सिर्फ तीन विधायक बचे हैं, जिसमें पूर्व उपमुख्यमंत्री और उचाना विधायक दुष्यंत चौटाला, उनकी मां और बाढड़ा विधायक नैना चौटाला और जुलाना विधायक अमरजीत ढांडा। इसमें 2 सदस्य तो चौटाला परिवार के हैं।
अनूप धानक ने पार्टी छोड़ दी है
शाहाबाद विधायक रामकरण काला ने पार्टी छोड़ दी है
ईश्वर सिंह ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है
देवेंद्र बबली ने पार्टी छोड़ दी है
विधायकों को एकजुट रखने में विफल
जननायक जनता पार्टी साल 2019 में 10 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करके किंग मेकर बनी थी। हालांकि पार्टी नेतृत्व अपने विधायकों को एकजुट रखने में विफल रहा। अब 6 विधायकों के कांग्रेस और भाजपा समेत मुख्यधारा की पार्टियों में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं। इसमें विधायक रामकरण काला, ईश्वर सिंह और देवेंद्र बबली के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें हैं, जबकि अनूप धानक बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
उल्टा पड़ा ये दांव
जेजेपी नेतृत्व ने पहले भी अपने विधायकों के पलायन को रोकने की कोशिश की थी, लेकिन असफल रहा था। जोगी राम सिहाग और रामनिवास सुरजाखेड़ा समेत दो असंतुष्ट विधायकों के खिलाफ पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए FIR दर्ज कराने का प्रयास उल्टा पड़ गया। इन दो विधायकों ने सत्तारूढ़ बीजेपी को अपना समर्थन देने की घोषणा की है और यहां तक कि लोकसभा चुनावों में पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार भी किया था।
असंतुष्ट विधायकों ने दिया निजी कारणों का हवाला
पार्टी के 2 असंतुष्ट विधायक ईश्वर सिंह और रामकरण काला ने हाल ही में इस्तीफा देकर पार्टी अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह चौटाला को भेजे अपने पत्रों में पार्टी छोड़ने के लिए निजी कारणों का हवाला दिया है। कभी उनके करीबी सहयोगी रहे देवेंद्र बबली चौटाला के कामकाज से खुश नहीं थे। उन्होंने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा के लिए खुलकर समर्थन जताया था। अब देवेंद्र बबली के कांग्रेस में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन उन्होंने फैसला अपने समर्थकों पर छोड़ दिया है।
इस्तीफे पर क्या बोले देवेंद्र बबली?
देवेंद्र बबली ने कहा कि 5 साल पहले जब मैंने कांग्रेस छोड़ी थी, तब स्थिति अलग थी। मैं अपने समर्थकों के सुझाव पर जेजेपी में शामिल हुआ था, लेकिन 5 साल बाद स्थिति पूरी तरह बदल गई है, इसलिए मैं इस्तीफा दे रहा हूं।
क्या है विधायकों के पार्टी छोड़ने की वजह?
पार्टी विधायकों के JJP छोड़ने का सबसे बड़ा कारण पार्टी का कमजोर होना है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का वोट शेयर 14.9% था, जो कि 2024 में घटकर 0.87 प्रतिशत रह गया है। सूत्रों का कहना है कि चौटाला परिवार (जेजेपी, INLD) का प्राथमिक वोट बैंक जाट मतदाता थे, जो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस में चले गए। जेजेपी ने भाजपा को समर्थन देने के अपने फैसले को किसान विरोधी और जाट आंदोलन के मामले में नुकसान उठाने वाला बताया है।
दिग्विजय चौटाला बोले- पार्टी छोड़ने वाले विधायक ‘अवसरवादी’
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए जेजेपी महासचिव दिग्विजय चौटाला ने पार्टी के 4 विधायकों को ‘अवसरवादी’ बताया है। वहीं, दुष्यंत चौटाला ने कहा कि कई लोगों ने जेजेपी को धोखा दिया है और जो लोग पार्टी छोड़ रहे हैं, वे हमारे लिए कोई मायने नहीं रखते। जेजेपी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार है और हम सरकार बनाएंगे।
ऐसे किंगमेकर बनी थी JJP
हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। 5 साल पहले यानी 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 40 सीटें जीती थीं। भाजपा ने 36.7 फीसदी वोट शेयर हासिल किया था। लिहाजा बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि कांग्रेस 31 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही थी, कांग्रेस का वोट शेयर 28.2 फीसदी था। तीसरे नंबर पर दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) रही थी, जेजेपी ने 14.9 फीसदी वोट शेयर के साथ 10 सीटें जीती थीं। हरियाणा लोकहित पार्टी ने एक फीसदी से भी कम वोट शेयर हासिल कर सिर्फ एक सीट जीती थी।
जबकि 7 निर्दलीय भी चुनाव जीते थे, लेकिन किसी भी पार्टी ने सरकार बनाने के लिए 46 सीटों का जादुई आंकड़ा नहीं छुआ था। ऐसे में जेजेपी किंगमेकर बनी थी। बीजेपी ने जेजेपी, हरियाणा लोकहित पार्टी और निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बनाई थी। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले जेजेपी से गठबंधन तोड़कर मनोहरलाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बना दिया था।