उत्तर प्रदेश/बुलंदशहर, 04 जुलाई। Kabaddi Player Died : एक महीने पहले आवारा पिल्ले को बचाने के दौरान काटे जाने के बाद भी राज्य स्तरीय कबड्डी खिलाड़ी ब्रजेश सोलंकी ने एंटी‑रेबीज का इंजेक्शन नहीं लगवाया, जिससे अंततः उसकी मौत हो गई। यह घटना पूरे खेल और स्वास्थ्य जगत में सोचने पर मजबूर कर देने वाली चेतावनी बन चुकी है।
राज्यस्तरीय कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी (22) की रैबीज से हुई दर्दनाक मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। मार्च 2025 में फराना गांव निवासी बृजेश ने एक नाली में गिरे पिल्ले की जान बचाई, लेकिन उसी दौरान पिल्ले ने उनके हाथ की उंगली काट ली। उन्होंने इस चोट को मामूली समझकर एंटी-रेबीज का टीका नहीं लगवाया, जो बाद में उनकी जान का कारण बन गया।
कबड्डी का सितारा बुझ गया
- बृजेश ने राज्य चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था।
- प्रो कबड्डी लीग में खेलने का सपना देख रहा था।
- 26 जून को अभ्यास के दौरान उसकी तबीयत बिगड़ी
- हाथ सुन्न होना और पानी से डरना (हाइड्रोफोबिया) जैसे लक्षण दिखे।
इलाज में देरी, सिस्टम पर सवाल
- परिजनों ने अलीगढ़, मथुरा और दिल्ली तक कई सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए गुहार लगाई, लेकिन कहीं उसे भर्ती नहीं किया गया।
- अंततः नोएडा के एक निजी अस्पताल में रैबीज की पुष्टि हुई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
- 28 जून को Faith Healer के पास ले जाते वक्त रास्ते में बृजेश की मौत हो गई।
वायरल हुआ आखिरी वीडियो
- सोशल मीडिया पर बृजेश का तड़पते हुए वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वह चारपाई पर बेसुध और कांपते हुए दिखाई देता है।
- वीडियो ने रैबीज और स्वास्थ्य प्रणाली की खामियों पर बड़ा सवाल खड़ा किया है।
गांव में टीकाकरण और जागरूकता अभियान
- बृजेश की मौत के बाद गांव के 29 लोगों को एंटी-रेबीज टीका लगाया गया।
- स्वास्थ्य विभाग ने जागरूकता अभियान शुरू किया है ताकि लोग कुत्ते या अन्य जानवरों के काटने पर समय रहते टीका लगवाएं।
परिवार की मांग: नौकरी और समर्थन
बृजेश के भाई संदीप कुमार ने राज्य सरकार (Kabaddi Player Died) से नौकरी देने की मांग की है, क्योंकि बृजेश ही परिवार का एकमात्र कमाने वाला था। संदीप ने कहा, “हमने रैबीज के बारे में कभी नहीं सुना था… काश किसी ने पहले समझाया होता।” उनके भाई संदीप कुमार ने कहा, ‘वह कबड्डी की प्रैक्टिस करने गांव गए थे। उन्होंने एक कुत्ते के पिल्ले को नाले से बाहर निकाला। पिल्ले ने उन्हें काट लिया।
उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। हमने रैबीज के बारे में नहीं सुना था…। काटने के बाद बीमारी की पुष्टि अलीगढ़ अस्पताल में हुई। वह पानी पीने में हिचकिचा रहे थे… मैं सरकार से मांग करता हूं कि हमें नौकरी दी जाए, क्योंकि मेरा भाई परिवार का एकमात्र कमाने वाला था…।’
यह सिर्फ एक खबर नहीं, चेतावनी है
बृजेश की मौत ने साफ किया कि जानवर के काटने को कभी हल्के में न लें।
रैबीज 100% जानलेवा है, लेकिन समय पर टीकाकरण से पूरी तरह रोका जा सकता है।
काटने के 24 घंटे के भीतर एंटी-रेबीज टीका ज़रूरी होता है।
ध्यान रखने योग्य बातें
घर के आसपास के कुत्तों और पालतू जानवरों को नियमित रूप से टीका लगवाएं।
किसी भी काटने या जोर से खरोंच के बाद तुरंत जख्म धोएं और डॉक्टर से सलाह लें।
अपने समुदाय में जागरूकता फैलाएं। आप खुद भी यह शुरुआत कर सकते हैं।
वायरल हुआ आखिरी वीडियो
इलाज में देरी
देख कर रूह कांप जाएगी