Kalma Saved Me: Neither spoke nor shouted… just read the Kalma and life returned… Debashish told how he returned after touching death… see hereKalma Saved Me
Spread the love

श्रीनगर/नई दिल्ली, 23 अप्रैल। Kalma Saved Me : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से जुड़ी एक चौंकाने वाली कहानी सामने आई है। इस हमले में जान बचाकर निकले देबाशीष नाम के युवक ने उस खौफनाक लम्हे को याद करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने जान बचाने के लिए अपनी सूझ-बूझ और हिम्मत का इस्तेमाल किया।

देबाशीष ने बताया, “हम पेड़ के नीचे छिपे हुए थे। तभी मैंने देखा कि आसपास कुछ लोग कलमा पढ़ रहे हैं। मैंने भी उनके साथ मिलकर कलमा पढ़ना शुरू कर दिया।”

इसी दौरान एक आतंकवादी उनके पास आया और उन पर शक जाहिर करते हुए पूछा, “क्या कर रहे हो? ये क्या बोल रहे हो? क्या राम नाम बोल रहे हो?”

इस पर देबाशीष ने डर के बावजूद हिम्मत दिखाते हुए और भी जोर से कलमा पढ़ना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, “हालांकि मुझे किसी ने कलमा पढ़ने को नहीं कहा था, लेकिन मैंने खुद से पढ़ना जारी रखा। थोड़ी देर बाद वह आतंकी मुड़ा और वहां से चला गया।”

इस वाकये ने साफ किया है कि कैसे एक पल की सूझबूझ और माहौल को समझते हुए उठाया गया कदम किसी की जान बचा सकता है। देबाशीष का यह अनुभव ना सिर्फ रोंगटे खड़े कर देने वाला है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आतंकवादियों के सामने इंसानियत और बुद्धिमत्ता किस तरह जीत सकती है।