Kawasi Lakhma: Stirred by sensational statement on his own party...! Said- BJP did not defeat Congress but...? see hereKawasi Lakhma
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जगदलपुर, 07 अप्रैल। Kawasi Lakhma : कांग्रेस के दिग्गज मंत्री डॉ. चरणदास महंत के विवादित बयान ने जहां बीजेपी को बैठे-बिठाए मुद्दा दे दिया, वहीं अब बस्तर के बड़े नेताओं में से एक और लोकसभा प्रत्याशी कवासी लखमा के बयान ने न सिर्फ सरकार के हाथ में पूरा लड्डू थमा दिया है…बल्कि इस बयान ने उनकी ही पार्टी के नेताओं पर सवालिया निशान लगा दिया है।

लखमा फिलहाल जगदलपुर में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। वह जहां भी प्रचार करने जाते हैं, बीजेपी को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते, लेकिन अब उन्होंने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर उंगली उठाई है। लखमा जगदलपुर के चिंगपाल में आम लोगों के बीच सभा को संबोधित कर रहे थे। बातचीत के दौरान उन्होने हल्बी बोली में ये कह दिया कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस क्यों हारी…..ये आप सभी को मालूम है। छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने कांग्रेस को नही हराया है…? बल्कि, कांग्रेस को कांग्रेस के लोगों ने ही चुनाव हराया है!

महंत के बाद अब कवासी लखमा के बयान

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के नेता विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार का जख्म नही भूल पा रहे है। डाॅ.चरणदास महंत के बाद अब बस्तर से कांग्रेस प्रत्याशी Kawasi Lakhma ने कांग्रेस की हार का खुलासा करते हुए हड़कंप मचा दिया है। जगदलपुर में चुनाव प्रचार के दौरान लखमा ने आम लोगों से कहा कि कांग्रेस क्यों हारी…..ये सबको पता है। कांग्रेस को बीजेपी ने नही हराया है, बल्कि कांग्रेस को कांग्रेस के लोगों ने ही हराया है।

कवासी लखमा ने अपने भाषण में भले ही किसी नेता का नाम नही लिया, लेकिन उनके इस बयान के बाद कांग्रेस में एक बार फिर हड़कंप मचा हुआ है। आपको बता दे कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में पहले चरण में मतदान 19 अप्रैल को होना है। ऐसे में ऐन चुनाव के वक्त कवासी लखमा के इस बयान के बाद एक बार फिर कांग्रेस घिरती नजर आ रही है।

छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के दिन जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे है, ठीक वैसे-वैसे राजनीतिक सरगर्मी भी तेज होती जा रही है। लेकिन मौजूदा वक्त में कांग्रेस में व्याप्त अंतर्कलह और विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार का सदमा कांग्रेस के नेता भूल नही पा रहे है। पहले नेता प्रतिपक्ष डाॅ. महंत ने ये स्वीकार किया था कि सत्ता में रहते हमारे नेताओं ने पार्टी कार्यकर्ता और नेताओं की उपेक्षा की, जिसका खामियाजा पार्टी को हार के रूप में स्वीकार करना पड़ा।