Liquor Scam Accused : बिलासपुर हाई कोर्ट ने अनवर ढेबर की जमानत याचिका चौथी बार की खारिज…कोर्ट ने भ्रष्टाचार को बताया गंभीर आर्थिक अपराध

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बिलासपुर, 29 जुलाई। Liquor Scam Accused : छत्तीसगढ़ राज्य में लगभग ₹2,000 करोड़ की शराब घोटालों की जांच के तहत प्रमुख आरोपित अनवर ढेबर को मिली जमानत याचिका को बिलासपुर हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। धारा 420, 468, 471 और 120 B के तहत दर्ज चाराज़शीट की प्रभावशीलता रोकी नहीं गई है।

याचिका की मुख्य दलीलें

अनवर ढेबर ने कोर्ट में दावा किया कि उन्हें 4 अप्रैल 2025 को बिना वैध सूचना व बिना पंचनामा के हिरासत में लिया गया। गिरफ्तारी की औपचारिक सूचना 5 अप्रैल दोपहर 2 बजे ही दी गई, पर न तो पंचनामा प्रस्तुत किया गया न मुख्य कारण बताए गए। उन्होंने तर्क दिया कि यह सुप्रीम कोर्ट व संविधान के अनुच्छेद 21 व 22 के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।

राज्य सरकार और अदालत का रुख

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता कार्यालय ने कोर्ट को बताया कि गिरफ्तारी कानूनी प्रक्रिया का अनुपालन करते हुए की गई थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि गिरफ्तारी प्रक्रिया में कोई विधिक त्रुटि या संवैधानिक उल्लंघन नहीं हुआ है और याचिका को पूरी तरह खारिज कर दिया है।

घोटाले का बड़ा पैमाना

ED की चार्जशीट (मार्च 2025) में 22 नामजद आरोपियों का उल्लेख है, जिनमें भ्रष्टाचार से जुड़े सरकारी अधिकारी, कारोबारी और सार्वजनिक योजना प्रभावित हैं। आरोप यह है कि 2019–22 के दौरान लेन-देन में ₹2,161 करोड़ की कमीशन वसूली हुई; अनवर ढेबर इसमें प्रमुख सरगना हैं। अब तक ₹180 करोड़ की अचल संपत्ति जप्त की जा चुकी है। इसमें ₹121 करोड़ से अधिक का वितरण त्रिपाठी व अन्य आरोपितों से भी जुड़ा है। जांच में अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी, सौम्या चौरसिया, कवासी लखमा आदि प्रमुख नाम शामिल हैं, जिनके माध्यम से सिंडिकेट ने अवैध रूप से होलोग्राम व कमिशन लेन-देन को संचालित किया।

कोर्ट का निचोड़

यह चौथी बार है जब ढेबर की हाई कोर्ट से जमानत याचिका खारिज की गई है—जिसमें दो बार हाई कोर्ट, एक बार सुप्रीम कोर्ट, और एक बार लोअर कोर्ट शामिल है। अदालत ने टिप्पणी की कि “भ्रष्टाचार केवल अपराध नहीं, बल्कि मानवाधिकारों को कमजोर करने वाला गंभीर आर्थिक अपराध है, जिसका प्रभाव राष्ट्र की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।” ऐसे अपराधों में जमानत देना न्यायिक हितों के खिलाफ माना गया।

सारांश

बिंदुविवरण
अभियुक्तअनवर ढेबर, त्रिलोक ढिल्लन, नितेश पुरोहित, अरुणपति त्रिपाठी
घोटाले की राशिलगभग ₹2,000–2,161 करोड़ ₹
जमानत याचिका ना मिलेचौथी बार खारिज
गिरफ्तारी तिथि4–5 अप्रैल 2025 (कानूनी प्रक्रियादेखते विचलन का दायरा)
कोर्ट की टिप्पणीभ्रष्टाचार मानवाधिकारों को कमजोर करता है
चाराज़शीट व संपत्ति22 आरोपित, ₹180 करोड़ तक जप्त संपत्ति