नई दिल्ली, 30 मार्च| Loan Recovery : आज के समय में जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन लेने का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। आमतौर पर लोग घर-मकान या गाड़ी खरीदने के लिए बैंकों से लोन लेते हैं। देश के तमाम बैंक अपने ग्राहकों के क्रेडिट स्कोर और रीपेमेंट हिस्ट्री को ध्यान में रखते हुए लोन पर कई तरह के ऑफर्स भी देते हैं।
बैंक से लोन लेने के बाद कर्जदार को ईएमआई के रूप में उसका भुगतान करना होता है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि अगर लोन लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाए तो कर्ज का बकाया किस व्यक्ति को भरना होगा? ऐसी परिस्थितियों में बैंक कर्ज की वसूली के लिए क्या-क्या करते हैं?
कर्ज की वसूली के लिए क्या हैं नियम
नियमों के मुताबिक, अगर लोन लेने के बाद किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो बैंक सबसे पहले उस लोन के को-ऐप्लिकैंट को कॉन्टैक्ट करते हैं। ऐसे मामले में अगर कोई को-ऐप्लिकैंट ही नहीं है या फिर को-ऐप्लिकैंट लोन की भरपाई के लिए असमर्थ है तो फिर बैंक गारंटर से संपर्क करते हैं।
अगर गारंटर भी लोन की भरपाई के लिए मना कर दे तो बैंक फिर मृतक कर्जदार के कानूनी उत्तराधिकारी से कॉन्टैक्ट करते हैं और उनसे लोन की बकाया राशि के समय-समय पर भुगतान करने की अपील करते (Loan Recovery)हैं। को-ऐप्लिकेंट, गारंटर और कानूनी उत्तराधिकारी में से कोई भी लोन की भरपाई करने में समर्थ नहीं है तो बैंक वसूली के लिए आखिरी विकल्प पर काम करना शुरू कर देते हैं।
मृतक की संपत्ति को सीज कर बेच सकते हैं बैंक
लोन की वसूली के लिए बैंकों के पास आखिरी विकल्प के तौर पर मृतक की संपत्ति को सीज करना है। ऐसे मामलों में बैंकों के पास ये अधिकार होते हैं कि वे मृतक की संपत्ति को बेचकर कर्ज की वसूली कर सकते हैं।
होम लोन और ऑटो लोन के मामले में बैंक सीधे-सीधे मृतक के घर या गाड़ी को सीज कर लेते हैं और फिर नीलामी आयोजित कर उसे बेचकर कर्ज की वसूली करते (Loan Recovery)हैं। अगर किसी व्यक्ति ने पर्सनल लोन या फिर कोई अन्य लोन लिया है तो ऐसे मामलों में बैंक उसकी किसी अन्य संपत्ति को बेचकर कर्ज की वसूली करते हैं।